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Koo : पीली रंग की छोटी चिड़िया जैसे दिखने वाला भारत का अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हुआ बंद, बंद होने की वजह क्या है ?

Koo : माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Twitter (अब X) को टक्कर देने के लिए देसी ऐप Koo को यूजर्स के लिए लाया गया था।चार साल पहला आया Koo App लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आया।इसलिए कंपनी ने Koo ऐप को बंद करने का फैसला लिया है। 2020 में लॉन्च हुआ कू ऐप पहली भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग साइट थी जो यूजर्स के लिए 10 अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध थी।अब तक इस ऐप को 60 मिलियन यानी 6 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है।KOO को बनाने वालों ने ‘अभिव्यक्ति को लोकतांत्रिक बनाने’ और लोगों को उनकी स्थानीय भाषाओं में बेहतर तरीके से जोड़ने के लिए ‘बहुत मन से’ बनाया गया था। KOO को लेकर लिंक्डइन पर पोस्ट KOO के सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिड़वाटका ने लिंक्डइन पोस्ट में कहा, कि हमने कई लोगों से बातचीत किया उनमें से कुछ ने ऐप को चालू रखना चाहते थे,लेकिन सोशल मीडिया ऐप चालू रखने के लिए तकनीकी सेवाओं की लागत बहुत अधिक है,और हमें यह कठिन फैसला लेना पड़ा। KOO में मुश्किल समय सितंबर 2022 में शुरू हुआ था जब कंपनी ने पहली बार करीब 40 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला। फरवरी 2023 में सह-संस्थापक बिड़वाटका ने कर्मचारियों को चेतावनी दी कि और छंटनी होने वाली है। 21 लाख दैनिक सक्रिय यूजर्स जब ट्विटर और भारत सरकार के बीच रिश्ते बिगड़े थे तब कू के मंथली एक्टिव यूजर्स अगला की संख्या 94 लाख के पार चली गई थी।2020 में अप्रमेर लेख राधाकृष्ण और मयंक बिड़वाटका द्वारा स्थापित यह 10 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध पहली भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग साइट थी। ऐप का लोगो एक पीले रंग की छोटी चिड़िया थी।जिसके लॉन्च होने के बाद से इसे लगभग छह करोड़ बार डाउनलोड किया गया था।इस माइक्रोब्लॉगिंग साइट के प्रवक्ता ने दावा किया कि KOO के पास लगभग 21 लाख दैनिक सक्रिय यूजर्स और लगभग एक करोड़ मासिक सक्रिय यूजर्स थे।उन्होंने यह भी दावा किया कि सोशल साइट्स में प्रतिष्ठित हस्तियों समेत 9,000 से अधिक वीआईपी हैं। बाजार का मूड और फंडिंग में नरमी KOO का सपना अधूरा रह गया कू का अंतिम मूल्यांकन 27.4 करोड़ डॉलर था,जब इसने श्री वन फोर कैपिटल समेत निवेशकों से 6.6 करोड़ डॉलर से अधिक जुटाए थे। एक रिपोर्ट के अनुसार 2023 से ही KOO नई पूंजी जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा था, जिसके बाद इसने कई प्लैटफॉर्म के साथ विलय की संभावना तलाशी, लेकिन कही पर कोई भी बातचीत सफल नहीं हुई। लिंक्डइन पोस्ट में संस्थापकों ने कहा,सोशल मीडिया संभवतः सबसे कठिन कंपनियों में से एक है,भले ही सभी संसाधन उपलब्ध हों, क्योंकि मुनाफे के बारे में सोचने से पहले आपको यूजर्स को एक महत्वपूर्ण पैमाने पर बढ़ाने की जरूरत होती है। इस सपने को साकार करने के लिए हमें पांच से छह साल की आक्रामक, दीर्घकालिक और धैर्यवान पूंजी ऐप पर पढ़ें आवश्यकता थी। उन्होंने कहा,दुर्भाग्य से बाजार का मूड और फंडिंग में नरमी ने हम पर भारी असर डाला।KOO आसानी के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल सकता था और भारत को एक वैश्विक ब्रांड दे सकता था जो वास्तव में भारत में बना था।