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August 10, 2024

Sawan 2024
ASTRO, INDIA

Sawan 2024 : सावन में नहीं खा रहे हैं प्याज लहसुन, तो ट्राई करें ये टेस्टी डिशेज

Sawan 2024 : सावन का महीना पवित्र माना जाता है और इस दौरान सात्विक खाया जाता है। इस दौरान आप भी बिना प्याज लहसुन वाला खाना खा रहे हैं तो आपको कुछ खास डिशेज के बारे में जान लेना चाहिए। आप इन सभी डिशेज को बिना प्याज और लहसुन के बना सकते हैं। सावन के पूरे महीने में शिव भक्त भगवान की भक्ति में लीन हो जाते हैं। अगर आप भी सोमवार का व्रत रखते हैं और भोलेनाथ की आराधना में लगे हुए हैं तो आपको भी इस दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि लोगों को बिना लहसुन प्याज का खाना पसंद नहीं आता। ऐसे लोगों के लिए कुछ खास डिशेज बताए गए हैं जो बिना लहसुन प्याज के स्वादिष्ट लगते हैं। बेसन की सब्जी बेसन की सब्जी एक राजस्थानी डिश है जिसमें स्पाइसी ग्रेवी को अच्छी तरह से पकाया जाता है। यह बिना प्याज लहसुन के बनाई जाती है और काफी स्वादिष्ट होती है। आप चाहे तो इस सब्जी को सिर्फ गरम मसाले के साथ बना सकते हैं और चावल के साथ खा सकते हैं। सावन के महीने में आप अपने सात्विक भोजन में इस रेसिपी को भी शामिल कर लीजिए। दही भिंडी अगर आप सावन के महीने में व्रत रख रहे हैं तो आपको दही भिंडी जैसी स्वादिष्ट डिश एक बार चख लेनी चाहिए। इस दिशा को बनाने के लिए लहसुन प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसे बनाने के लिए भिंडी को फ्राई कर लिया जाता है और मसाला बनकर तैयार किया जाता है। आप इस सब्जी को चावल या फिर रोटी के साथ खा सकते हैं। इस रेसिपी को आप सिर्फ सावन के महीने में ही नहीं बाकी दिनों में भी ट्राई कर सकते हैं। आलू गोभी अगर आपने भी सावन के महीने का व्रत रखा हुआ है, तो आपको लहसुन प्याज से हटकर आलू गोभी की सब्जी तरी करनी चाहिए। यह सब्जी आलू और गोभी की मदद से बनाई जाती है जो काफी स्पाइसी और मसालेदार होता है। इसे बनाने के लिए लहसुन प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। आप इस सब्जी को बनाने के लिए धनिया पाउडर जरा लाल मिर्च पाउडर गरम मसाले का इस्तेमाल कर सकते हैं। दाल तड़का दाल तड़का हर किसी को बहुत पसंद होता है लेकिन आप सोच रहे होंगे कि बिना लहसुन प्याज के याद तड़का कैसा लगेगा। हम आपको बता दे की दाल तड़का को बनाने के लिए आपको लहसुन प्याज की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप दाल में तड़का लगाने के लिए हींग जीरा मिर्च गरम मसाले का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको दाल तड़का चावल या रोटी के साथ खाना चाहिए यह काफी स्वादिष्ट लगेगा। शाही पनीर शाही पनीर की बात आती है तो लोग तरह-तरह के मसले का इस्तेमाल करने के बारे में सोचते हैं ताकि सब्जी स्वादिष्ट बने। अगर आप सावन के महीने में सात्विक भोजन कर रहे हैं तो आपको इसमें प्याज लहसुन से परहेज करना होगा। शाही पनीर को बनाने के लिए आपको इसकी क्रीमी ग्रेवी बना लेनी चाहिए इसके बाद आपको लहसुन प्याज की बिलकुल जरुरत नहीं पड़ेगी। शाही पनीर की ग्रेवी में आपको टमाटर दही क्रीम और नारियल का दूध मिला लेना चाहिए। इस तरह से आप इस स्वादिष्ट डिश को पूरे मजे के साथ खा सकते हैं।

Kalki Jayanti 2024
ASTRO, INDIA

Kalki Jayanti 2024 : आज मनाई जा रही है कल्कि जयंती, जानिए क्या है पूजा मुहूर्त और विधि

Kalki Jayanti 2024 : हिंदू धर्म में कल्कि जयंती का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु के दसवें स्वरूप कल्कि की पूजा करने का विधान होता है। हर साल यह पर्व सावन माह के शुक्ल पक्ष तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह तारीख 10 अगस्त यानी कि आज के दिन पड़ रही है। कल्कि जयंती के मान्यता के अनुसार इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान की पूजा की जाती है जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। सावन का महीना बहुत पवित्र होता है इस महीने में पूजा पाठ के लिए यह त्यौहार विशेष महत्व रखता है। सावन के महीने में कई त्यौहार आते हैं जो हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है यह पूजा भगवान विष्णु को समर्पित है और पूरी पवित्रता के साथ इसे करना चाहिए। कल्कि जयंती की मान्यता आज सभी लोग कल की जयंती मना रहे हैं। सावन के महीने में पढ़ने वाला यह दिन बहुत ही पवित्रता के साथ मनाया जाता है। इस दिन को लेकर कई सारी मान्यता होती है जिसके बारे में नीचे बताया गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार देखा जाए तो कल्कि जयंती सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पड़ती है। आज 10 अगस्त को देर रात 3:14 पर या शुभ मुहूर्त पड़ रहा है इसका समापन 11 अगस्त की सुबह 5:44 पर होने वाला है। कल्कि जयंती की पूजा विधि कल्कि जयंती की पूजा करने के लिए आपको सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद आपको पूरी श्रद्धा के साथ इस दिन व्रत करके संकल्प लेना है। इसके बाद आपको एक विधि बनानी है और उसे पर भगवान विष्णु की तस्वीर की स्थापना करनी है। अब आपको भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाना है और फूलों की माला पहनी है। इसके बाद आपको वैदिक मित्रों का जाप करना है। इतना करने के बाद आपको तुलसी पत्र के साथ पंचामृत समर्पित करना है। इस दिन पूजा पाठ करने के बाद दान दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। कल्कि जयंती के दिन ब्राह्मणों को भोजन करने के साथ-साथ वस्त्र और उपयोगी वस्तुओं को दान किया जाता है जो लोग जरूरतमंद होते हैं उन्हें भोजन करना चाहिए और अगले दिन प्रसाद से व्रत को खोलना चाहिए। इस पूजा को करते समय आपको गलती करने से बचना चाहिए। भगवान विष्णु के नाम से इस दिन दान दक्षिणा करना शुभ माना जाता है। आप अपनी इच्छा अनुसार जो दान कर सकते हैं वह लोगों में वितरित कर दीजिए।

Dashrath Krit Shani Stotra
ASTRO, INDIA

Dashrath Krit Shani Stotra : इस तरह करें शनि देव की पूजा, मिनटों में चमकेगी फूटी किस्मत

Dashrath Krit Shani Stotra : शनिवार के दिन भगवान शनि देव की पूजा की जाती है इस पूजा को करने को लेकर कई तरह की विधि विधान होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन छाया पुत्र की पूजा मनोभाव से की जाती है इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं शनिदेव की कृपा आपके परिवार पर बनी रहती हैं। जिन लोगों की कुंडली में शनि देव की दशा सही नहीं चल रही है उन्हें शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। सनातन धर्म की बात करें तो शनि देव की पूजा का विशेष महत्व शनिवार को माना जाता है। इसे लेकर कहा जाता है कि रवि पुत्र की पूजा करने से भाग या खुल जाता है। शनि देव की पूजा करने के लिए आपको रोजाना सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इतना ही नहीं शनि देव की पूजा करते समय वैदिक मित्रों का जब भी जरूरी है। अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है तो आपको शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। आप आजीवन जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से दूर रहते हैं। शनि देव की पूजा करने से परिवार में सुख शांति बनी रहती है और शनि की वक्र दृष्टि आप पर नहीं पड़ती। इसके अलावा किसी भी क्षेत्र में आपको सफलता हासिल होती है। शनि स्त्रोत का पाठ नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च । नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥ नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च । नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥ नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:। नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥ नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥ नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते । सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥ अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते । नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥ तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च । नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥ ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे । तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥ देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:। त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:॥ प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे । एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:॥ दशरथ उवाच: प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् । अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥ ।।शनि देव आरती।। जय-जय श्रीशनिदेव भक्तन हितकारी। सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ।। जय-जय ।। श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी । नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ।। जय-जय ।। क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी । मुक्तन की माला गले शोभित बलिहार ।। जय-जय ।। मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी । लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ।। जय-जय ।। देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी । विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ।। जय-जय ।। नियम से होती है शनि देव की पूजा शनि देव की पूजा करते समय आपको नियमों का पालन करना होता है। आपको रोजाना सुबह उठकर स्नान करने के बाद शनि देव की पूजा करनी है। पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना है इसके बाद आपको शाम को सरसों तेल का दीपक दिखाना चाहिए। शनिवार के दिन आपको काले कुत्ते को रोटी खिलानी चाहिए इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। ध्यान रहे की शनिदेव की पूजा विधि करते समय आपको पवित्रता का खूब ध्यान रखना है। शनिवार के दिन दानकुनी का भी विशेष महत्व होता है।  

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