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Supreme Court : सफेद पोस अपराध रोकने के लिए उन्नत तकनीक का प्रयोग होना चाहिए : न्यायमूर्ति हिमा कोहली

Supreme Court

Supreme Court : न्यायधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने बुधवार को कहा कि सफेदपोश अपराध न्यायिक और आर्थिक व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करते हैं, जिसके लिए बहुआयामी और सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत की न्यायाधीश ने ऐसे अपराधों को रोकने के लिए उन्नत तकनीकों के इस्तेमाल की वकालत की।

उन्होंने कहा कि डेटा एनालिटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने से सफेदपोश अपराधों का पता लगाने, जांच करने और मुकदमा चलाने की क्षमता बढ़ेगी।

न्यायमूर्ति कोहली आपराधिक एवं संवैधानिक न्यायशास्त्र विषय पर केन्द्र द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ‘आर्थिक अपराध और कॉर्पोरेट दुराचार पर न्यायिक परिप्रेक्ष्य पर दूसरा प्रवचन’ विषय पर बोल रहे थे।

सफेदपोश अपराध भारत की न्यायिक और आर्थिक व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए सूक्ष्म और व्यापक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। इस अपराध के खिलाफ़ लड़ने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

मजबूत विधायी ढांचे और समर्पित संस्थागत तंत्र द्वारा समर्थित न्यायपालिका इन अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि वित्तीय और आर्थिक अपराधों के विशेषज्ञों की सहायता से विशेष अदालतों की स्थापना समय पर और प्रभावी न्यायनिर्णयन के लिए आवश्यक है।

इसके विपरीत, सफेदपोश अपराध लालच से प्रेरित होते हैं और पेशेवर सहायता से व्यक्तियों द्वारा सावधानीपूर्वक योजना बनाकर और उसे अंजाम देकर किए जाते हैं। न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि सफेदपोश अपराध प्रतिष्ठा या वित्तीय क्षति पहुंचाते हैं और पकड़े जाने पर भारी वित्तीय दंड देते हैं, जबकि पारंपरिक अपराधों से शारीरिक और भावनात्मक क्षति होती है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि दोनों तरह के अपराधों का पीड़ितों और समाज पर गहरा असर पड़ता है। डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा नियंत्रण सुनिश्चित करना, तीसरे पक्ष के जोखिमों का प्रभावी प्रबंधन और वित्तीय संस्थानों में अनुपालन संस्कृति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि डिजिटल केस मैनेजमेंट सिस्टम न्यायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर सकते हैं, देरी को कम कर सकते हैं और दक्षता में सुधार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों, अभियोजकों और न्यायाधीशों के लिए निरंतर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण इन अपराधों के उभरते वक्र से आगे रहने के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों को मजबूत करने से एक अधिक लचीली और पारदर्शी कानूनी प्रणाली बनाने में मदद मिल सकती है जो न्याय और अखंडता को बनाए रखेगी, सफेदपोश अपराध के प्रभाव को कम करेगी और एक ऐसे समाज को बढ़ावा देगी जहां विश्वास और जवाबदेही सर्वोपरि है।

 

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