Bangladesh News : बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के खिलाफ शुक्रवार को फिर से प्रदर्शन शुरू हो गया। नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के दौरान 2 की मौत भी हो गई। राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में दो हजार से अधिक प्रदर्शनकारी एकत्र हुए, जिनमें से कुछ लोग ‘‘तानाशाह मुर्दाबाद” और पीड़ितों के लिए इंसाफ के नारे लगा रहे थे,जबकि पुलिस अधिकारी उनके चारों ओर घेरा बनाकर खड़े थे।छात्रों ने राष्ट्रव्यापी सविनय अवज्ञा का आह्वान किया है। ढाका के उत्तरा इलाके में पुलिस और दर्जनों छात्रों के बीच झड़प हुई,जबकि सुरक्षा अधिकारियों ने पत्थरबाजी कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और स्टन ग्रेनेड दागे। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पिछले महीने से छात्रों के प्रदर्शनों का सामना कर रही है और फिलहाल इन प्रदर्शनों के मंद पड़ने का कोई संकेत नहीं है।
विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी
इस बार इसे रोकने के लिए शेख हसीना की सरकार ने विरोधियों पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया है।मात्र तीन दिन के ही अंदर 10 हजार से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी हैं।जिनमें मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी के 9200 नेता और कार्यकर्ता हैं,बाकी छात्र हैं। जमात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। विपक्ष का आरोप है सरकार सियासी मकसद पूरे करने के लिए विपक्षी नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसा रही है। दरअसल,आरक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग पर 1 जुलाई से शुरू छात्र आंदोलन 18 जुलाई को हिंसक हो गया था। राजधानी ढाका समेत देशभर के शिक्षण संस्थानों में जमकर हिंसा हुई थी। हालात इतने बेकाबू हुए कि 18 जुलाई से देश के सभी शैक्षणिक संस्थान अब तक बंद हैं। शिक्षा मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने कहा,छात्रों की सुरक्षा के कारण हम अभी शिक्षण संस्थान खोलने के बारे में नहीं सोच रहे हैं।
हालात संभालने के लिए सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी प्रतिबंध लगाया। बांग्लादेश सरकार ने प्रदर्शन दोबारा भड़कने से रोकने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम,फेसबुक, टिक टॉक और यूट्यूब को बैन कर दिया है।सरकार यह मान रही है कि पिछली बार आंदोलन को भड़काने में इन सोशल साइट्स का भी योगदान था।आतंकी गतिविधियों में शामिल होने तथा पाकिस्तानी समर्थक होने के आरोप में जमात- और उसकी छात्र इकाई शिबिर पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बाद जमात के नेता और भी विरोध में उतर आए हैं। बीएनपी ने भी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है। राजधानी ढाका में शुक्रवार को प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने मांग की कि प्रदर्शन के दौरान हुई क्रूरता और हिंसा के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश से माफी मांगनी चाहिए।
बीएनपी जमात आंदोलन भड़काने से इनकार करती रही है। हालांकि, आगजनी की सीसीटीवी फुटेज में बीएनपी-जमात के नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम सामने आए हैं। इसके अलावा बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति मेजर जियाउर रहमान और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान का भी नाम सामने आया है। दूसरी ओर, बांग्लादेश में शुक्रवार को हुए विरोध प्रदर्शनों में फिर हिंसा भड़की। इसमें 2 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की आशंका है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को किया था रद्द
बता दें, बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला किया था। यहां की शीर्ष अदालत ने सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम बरकरार रखने के हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था। बांग्लादेश की शीर्ष अदालत ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण को घटाते हुए 93 फीसदी पद मेरिट के आधार पर भरने का आदेश दिया था। जिसके बाद ये प्रदर्शन काफी हद तक कम हो गए थे।