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Developed India : अगर भारत को बनाना है विकसित देश, तो इन चुनौतियों का करना होगा सामना

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Developed India : हमारे भारत को अगर 2047 तक एक विकसित देश की श्रेणी में लाना है तो कई कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। विश्व बैंक का मानना है कि विकसित देश बनने की राह कठिन है क्योंकि भारत जैसे विकासशील देशों के लिए पिछले 2-3 दशकों में हुई प्रगति की रफ्तार को बनाए रखना मुश्किल होगा।

विकास की रफ्तार बनाए रखना चुनौतीपूर्ण

पिछले 50 वर्षों के दौरान दुनिया के हर देश की विकास यात्रा का आकलन करने के बाद, विश्व बैंक की नई वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2024 कहती है कि वैश्विक माहौल इस तरह का बना है कि विकासशील देशों के मध्य आय वर्ग वाले जाल में फंसने की संभावना है।

मध्य आय वर्ग में फंसे देशों की स्थिति

रिपोर्ट के अनुसार, कई देश लगातार विकास करते हुए एक बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां उनकी प्रति व्यक्ति GDP अमेरिका के 10% के करीब है, जो फिलहाल लगभग 8,000 डॉलर है। विश्व बैंक इसे मध्य आय वर्ग की श्रेणी में रखता है। सिर्फ 34 देश ही मध्यम आय वर्ग से ऊपर उठकर उच्च आय वर्ग में शामिल हुए हैं। इनमें से अधिकांश देशों को यह सफलता यूरोपीय संघ में शामिल होने या कच्चे तेल के भंडार से कमाई करने के कारण मिली है।

उच्च आय वर्ग में पहुंचने की कठिनाई

विश्व बैंक के मुताबिक, 1,136 डॉलर से 13,885 डॉलर प्रति व्यक्ति GDP को मध्यम आय वर्ग वाले देशों में रखा जाता है। वर्ष 1990 के बाद से अभी तक सिर्फ 34 देश ऐसे हैं जिन्होंने मध्यम आय वर्ग से ऊपर उठकर उच्च आय वर्ग में स्थान प्राप्त किया है। लेकिन इन 34 देशों में से अधिकांश ने यूरोपीय संघ में शामिल होकर या कच्चे तेल के भंडार से कमाई करके यह सफलता हासिल की है।

विकासशील देशों की समस्याएं

इन देशों में अब कई तरह की समस्याएं हैं जैसे जनसंख्या में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या, विकसित देशों की बदलती आर्थिक नीतियां और संरक्षणवाद का बढ़ावा। इसके अलावा, ऊर्जा के उपभोग के तरीकों में बदलाव भी इन देशों पर दबाव बना रहे हैं। पहले के मुकाबले आज विकासशील देशों के लिए विकसित देश बनना अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।

गरीबी दूर करने के प्रयास

– विश्व बैंक का मानना है कि दुनिया से गरीबी दूर करने का लक्ष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि इन मध्य आय वर्ग वाले देशों में कितनी प्रगति होती है। ये देश अभी भी विकास की पुरानी अवधारणा पर निर्भर हैं। इनमें से ज्यादातर देशों ने निवेश बढ़ाकर विकास करने की राह चुनी है जबकि कुछ देशों ने समय से पहले ही प्रौद्योगिकी पर बहुत ज्यादा ध्यान और निवेश किया है।

– अब इन देशों को नई सोच अपनाने की जरूरत है। पहले इन्हें निवेश करना और बढ़ाना होगा और इसके बाद प्रौद्योगिकी को अपनाना होगा। खास तौर पर बाहर से प्रौद्योगिकी और निवेश लाने पर ध्यान देना होगा। इसके बाद, तीसरे चरण में इन देशों को निवेश, प्रौद्योगिकी और अन्वेषण के बीच सामंजस्य बनाना होगा।

– इन देशों के पास गलती करने की गुंजाइश नहीं है। इन्हें अपने विकास के स्तर के आधार पर उपरोक्त सुझावों को अपनाना होगा। रिपोर्ट के अनुसार, निदेशक सोमिक वी लाल का कहना है कि जो देश सुधार करने और उदारवादी रवैया अपनाने में अपनी जनता को थोड़ी कठिनाई से बचाना चाहेंगे, वे भावी विकास यात्रा से अलग रह जाएंगे।

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