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Budh Stotram : कुंडली के ग्रहों को करना चाहते हैं मजबूत? बुधवार के दिन जरूर करें यह पाठ

Budh Stotram

Budh Stotram : किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा करना भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे सभी बाधाओं को दूर करते हैं। अगर किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाए, तो उस काम में कोई बाधा नहीं आती है। गणेश जी की पूजा इतनी आसान नहीं होती है, इसमें कई बातों का ध्यान रखना होता है। आज हम आपको बुधवार को गणेश जी की पूजा के बारे में बताएंगे।

इस तरह करे भगवान गणेश जी की पूजा

सबसे पहले, पूजा स्थल और अपने मन को स्वच्छ करें, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें। गणेश जी की मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ और पवित्र स्थान पर स्थापित करें और उन्हें एक सुंदर और स्वच्छ आसन पर विराजमान करें। गणेश जी की मूर्ति को गंगा जल या स्वच्छ जल से स्नान कराएं और सिंदूर व चंदन का तिलक लगाएं। गणेश जी को लाल या सफेद फूल अर्पित करें, साथ ही दूर्वा (घास) भी अर्पित करें क्योंकि यह उन्हें विशेष प्रिय है। धूप और दीप जलाएं जिससे वातावरण शुद्ध हो और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। गणेश जी को मोदक, लड्डू या उनका प्रिय भोग अर्पित करें। “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और गणेश जी की आरती करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद को सभी में बांटें।

बुधवार के दिन जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ

पीताम्बर: पीतवपु किरीटी, चतुर्भुजो देवदु:खापहर्ता ।

धर्मस्य धृक सोमसुत: सदा मे, सिंहाधिरुढ़ो वरदो बुधश्च ।।1।।

प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।

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सौम्यं सौम्यगुणोपेतं नमामि शशिनन्दनम ।।2।।

सोमसुनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित: ।

सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम ।।3।।

उत्पातरूपी जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति: ।

सूर्यप्रियकरोविद्वान पीडां हरतु मे बुधं ।।4।।

शिरीषपुष्पसंकाशं कपिलीशो युवा पुन: ।

सोमपुत्रो बुधश्चैव सदा शान्तिं प्रयच्छतु ।।5।।

श्याम: शिरालश्चकलाविधिज्ञ:, कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।

रजोधिको मध्यमरूपधृक स्या-दाताम्रनेत्रो द्विजराजपुत्र: ।।6।।

अहो चन्द्रासुत श्रीमन मागधर्मासमुदभव: ।

अत्रिगोत्रश्चतुर्बाहु: खड्गखेटकधारक: ।।7।।

गदाधरो नृसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित: ।

केतकीद्रुमपत्राभ: इन्द्रविष्णुप्रपूजित: ।।8।।

ज्ञेयो बुध: पण्डितश्च रोहिणेयश्च सोमज: ।

कुमारो राजपुत्रश्च शैशवे शशिनन्दन: ।।9।।

गुरुपुत्रश्च तारेयो विबुधो बोधनस्तथा ।

सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ।।10।।

एतानि बुधनामानि प्रात: काले पठेन्नर: ।

बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते ।।11।।

।। इति मंत्रमहार्णवे बुधस्तोत्रम ।।

मिलते है ये खास लाभ

कुंडली में बुध ग्रह को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह हमारे बुद्धि, संवाद और व्यापार के क्षेत्र को प्रभावित करता है। यदि आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो, तो इससे कई समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए हर बुधवार या नियमित रूप से बुध स्तोत्र का पाठ करके आप अपने कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत बना सकते हैं। बुध स्तोत्र का 108 बार जाप करने से बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। जाप करते समय हरे रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है क्योंकि यह बुध देव को प्रसन्न करता है। बुध ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति का मानसिक संतुलन बेहतर होता है और वह कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सही निर्णय ले पाता है। इसके अलावा, बुध ग्रह व्यापार और संचार से संबंधित कार्यों में भी सफलता दिलाता है। इसके साथ ही, बुध ग्रह का अच्छा प्रभाव जीवन में धन-संपत्ति की वृद्धि करता है और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाता है। इसलिए बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए नियमित रूप से बुध स्तोत्र का पाठ करना और बुध देव की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है।

 

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