Dashrath Krit Shani Stotra : शनिवार के दिन भगवान शनि देव की पूजा की जाती है इस पूजा को करने को लेकर कई तरह की विधि विधान होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन छाया पुत्र की पूजा मनोभाव से की जाती है इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं शनिदेव की कृपा आपके परिवार पर बनी रहती हैं। जिन लोगों की कुंडली में शनि देव की दशा सही नहीं चल रही है उन्हें शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। सनातन धर्म की बात करें तो शनि देव की पूजा का विशेष महत्व शनिवार को माना जाता है। इसे लेकर कहा जाता है कि रवि पुत्र की पूजा करने से भाग या खुल जाता है।
शनि देव की पूजा करने के लिए आपको रोजाना सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इतना ही नहीं शनि देव की पूजा करते समय वैदिक मित्रों का जब भी जरूरी है। अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है तो आपको शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। आप आजीवन जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से दूर रहते हैं। शनि देव की पूजा करने से परिवार में सुख शांति बनी रहती है और शनि की वक्र दृष्टि आप पर नहीं पड़ती। इसके अलावा किसी भी क्षेत्र में आपको सफलता हासिल होती है।
शनि स्त्रोत का पाठ
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:॥
दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् ।
अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥
।।शनि देव आरती।।
जय-जय श्रीशनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ।। जय-जय ।।
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ।। जय-जय ।।
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहार ।। जय-जय ।।
मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ।। जय-जय ।।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ।। जय-जय ।।
नियम से होती है शनि देव की पूजा
शनि देव की पूजा करते समय आपको नियमों का पालन करना होता है। आपको रोजाना सुबह उठकर स्नान करने के बाद शनि देव की पूजा करनी है। पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना है इसके बाद आपको शाम को सरसों तेल का दीपक दिखाना चाहिए। शनिवार के दिन आपको काले कुत्ते को रोटी खिलानी चाहिए इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। ध्यान रहे की शनिदेव की पूजा विधि करते समय आपको पवित्रता का खूब ध्यान रखना है। शनिवार के दिन दानकुनी का भी विशेष महत्व होता है।