NCPCR : 8 अगस्त को एनसीपीसीआर (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि स्कूलों में त्योहार मनाने के दौरान बच्चों को शारीरिक दंड देने और भेदभाव रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करे।
यह आदेश उन अनेक रिपोर्ट के बाद में आया है जिनमें स्कुली बच्चों खासकर छात्राओं को रक्षाबंधन जैसे त्यौहारों के दौरान राखी,तिलक या मेहंदी लगाने जैसी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं की वजह से उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है।
देश के सभी स्कूल शिक्षा विभागों के प्रमुख सचिवों को लिखे गए पत्र में राष्ट्रीय एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मुख्य रूप से आने वाले त्योहारों को देखते हुए बाल संरक्षण कानूनों के सख्त पालन की आवश्यकता पर बल दिया।
लेटर में विद्यालयों के द्वारा छात्रों की सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों में भागीदारी पर प्रतिबंध लगाने की चिंताजनक प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला गया।जिसकी वजह से अक्सर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न होते है।
एनसीपीसीआर (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) ने कहा कि यह निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियम की धारा 17 के विपरीत है।
कानूनगो ने पत्र में कहा, “चूंकि त्यौहार नजदीक आ रहे हैं, इसलिए संबंधित प्राधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करने तथा यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जाता है कि स्कूलों में ऐसी कोई प्रथा न अपनाई जाए, जिससे बच्चों को शारीरिक दंड या भेदभाव का सामना करना पड़े।”
जाने आयोग के बारे में
एनसीपीसीआर (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) बाल अधिकारों और अन्य संबंधित मामलों की रक्षा एवम सुरक्षा के लिए सन 2005 की धारा 3 के तहत देश में गठित किया गया एक वैधानिक निकाय है। आयोग को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (पॉक्सो ) अधिनियम, 2012; किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के उचित और प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करने का भी अधिकार है ।
सीपीसीआर (बाल अधिकार संरक्षण आयोग )अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत निर्धारित कार्यों में से आयोग को बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए मौजूदा समय में लागू किसी भी कानून के द्वारा या उसके तहत प्रदान की गई सुरक्षा की जांच और समीक्षा करना और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के उपायों की सिफारिश करने का कार्य सौंपा गया है।आयोग के पास सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 14 और नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत मुकदमे की सुनवाई करने वाली दीवानी अदालत की शक्तियां भी हैं।