Paris Olympics 2024 : पेरिस ओलंपिक-2024 में भारत के मेडल की संख्या अब छह हो गई है। अमन सेहरावत ने भारत की झोली में एक और ब्रॉन्ज मेडल डाला है। अमन ने 57 किलोग्राम भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। ये भारत का इन खेलों में कुश्ती में पहला मेडल है। अमन का ये पहला ओलंपिक था और डेब्यू में ही वह मेडल जीतने में सफल रहे हैं।
भारत के पुरुष पहलवान अमन सेहरावत ने भारत को पेरिस ओलंपिक-2024 में एक और मेडल दिलाया है। 57 किलोग्राम भारवर्ग में वह ब्रॉन्ज मेडल मैच में उतरे थे। उनके सामने थे पोर्टे रिका के डारियान टोई क्रूज। अमन को क्रूज को 13-5 से हरा दिया और इसी के साथ भारत की झोली में इन खेलों का कुल छठा मेडल डाला।
विनेश फोगाट के पदक से चूकने के बाद लग रहा था कि भारत पहली बार 2008 के बाद ओलंपिक खेलों में कुश्ती में खाली लौटेगा,लेकिन अमन ने कांस्य पदक दिलवाकर भारत को कुश्ती में खाली हाथ नहीं लौटने दिया।
शुरू से दिखाया दम
अमन ने शुरू से ही दम दिखाया और अपने विरोधी को ज्यादा हावी नहीं होने दिया। क्रूज ने पहला अंक लिया था जब वह अमन को मैट से बाहर ले गए थे, लेकिन अमन ने तुरंत दो अंक लेकर बढ़त ले ली। क्रूज ने फिर दो अंक ले 3-2 से आगे हो गए। अमन घबराए नहीं और शांति से खेले। उन्होंने दो अंक का दाव लगाया और 4-2 की बढ़त ले ली। इसके बाद अमन ने अपने विरोधी को कोई मौका नहीं दिया और लगातार अंक बटोरे।
देश को समर्पित किया मेडल
अमन सेहरावत ने इस मेडल को पूरे देश के नाम कर दिया है। अमन ने पदक जीतने के बाद कहा कि वह ये मेडल अपने देश, माता-पिता को समर्पित करते हैं। अमन का ये मेडल भारतीय कुश्ती का ओलंपिक में सातवां मेडल है। भारत के लिए केडी जाधव ने साल 1952 ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था। इसके बाद सुशील कुमार ने बीजिंग ओलंपिक-2008 में ब्रॉन्ज, लंदन ओलंपिक-2012 में सिल्वर मेडल दिलाया। लंदन ओलंपिक में ही योगेश्वर दत्त ने भारत को ब्रॉन्ज दिलाया था। साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक-2016 में भारत को ब्रॉन्ज दिलाया था। टोक्यो ओलंपिक-2020 में बजरंग पूनिया ने भारत को ब्रॉन्ज और रवि कुमार दहिया ने सिल्वर मेडल दिलाया था।
जाने कास्य पदक विजेता अमन सेहरावत के बारे में
अमन सेहरावत का ओलंपिक तक का सफर बहुत मुश्किलों भरा रहा है। अमन ने बचपन में ही माता-पिता को खो दिया था। अमन हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर से आते हैं। जाट परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने 11 साल की उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। पहले अमन की मां का हार्टअटैक से निधन हो गया था, तब उनकी उम्र 10 साल थी। फिर लगभग एक साल बाद उनके पिता की मौत हो गई थी।
अवसाद से गुजरे अमन
इसके बाद अमन और उनकी छोटी बहन पूजा सेहरावत को एक मौसी की देखभाल में छोड़ दिया गया। माता-पिता की मृत्यु के बाद अमन गंभीर अवसाद से जूझ रहे थे, ऐसे में उनके दादा मांगेराम सेहरावत ने उन्हें संभाला और इससे उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब धीरे-धीरे अमन ठीक होने लगे तो उन्होंने कुश्ती में अपना जौहर दिखाना शुरू कर दिया।