Mangala Gauri Vrat : मंगला गौरी व्रत सावन के महीने के हर मंगलवार को रखा जाता है और इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह दिन भगवान शिव और माँ पार्वती के समर्पित होता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से इस व्रत को रखती हैं ताकि उन्हें मनोवांछित फल प्राप्त हो सकें। मंगला गौरी व्रत का उद्देश्य जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति करना होता है।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मंगला गौरी व्रत का महत्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए है, लेकिन अविवाहित लड़कियां भी इसे रख सकती हैं। यह माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन में आए सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। महिलाएं इस दिन भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा करती हैं, और उनका ध्यान रखना जरूरी होता है। इस व्रत को रखने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इसके साथ ही, महिलाएं अपनी इच्छाओं और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी इस दिन विशेष प्रार्थना करती हैं।
॥ श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् ॥
शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।
अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते।
शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्।
भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम्॥
जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे।
जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते।
जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते।
निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते।
तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्।
मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो।
मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
नर हरेति परम् जन सुन्दरं,पठति यः शिवरामकृतस्तवम्।
विशति राम-रमा चरणाम्बुजे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
प्रातरूथाय यो भक्त्या पठदेकाग्रमानसः।
विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्यमाप्नुयात्॥
पूजा विधि
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि को समझना आवश्यक है। इस दिन पूजा करने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- फल
- दीया
- देसी घी
- मिठाई
- कपास
- सौलह शृंगार
- पान और सुपारी
- लौंग और इलायची
- फूल
- पंचमेवा
- माचिस
- धूप
- लाल वस्त्र
- आसन
- देवी माँ की प्रतिमा
- गंगाजल और शुद्ध जल
घर पर बना भोग, जैसे गुड़ की खीर और हलवा
पूजा के समय, शिवरामाष्टक स्तोत्र का पाठ करना बहुत लाभकारी माना जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
व्रत का समय और शुभ मुहूर्त
इस साल (2024) मंगला गौरी व्रत सावन के तीसरे मंगलवार को मनाया जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन वरीयान योग का निर्माण होगा, जो सुबह 11 बजे तक रहेगा। भगवान शिव शाम 7 बजकर 52 मिनट तक मां गौरी के साथ कैलाश पर विराजमान रहेंगे।
मंगला गौरी व्रत एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो न केवल महिलाएं बल्कि सभी लोग रख सकते हैं। यह व्रत जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। अगर आप भी शिव-शक्ति की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मंगला गौरी व्रत को विधि-विधान से करें और इसके साथ ही पूजा के समय शिवरामाष्टक स्तोत्र का पाठ करें। इस व्रत के माध्यम से आप अपनी सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं और अपने जीवन में खुशियों का स्वागत कर सकते हैं।