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Author name: Sonee Srivastav

सोनी श्रीवास्तव 100टॉप न्यूज में वरिष्ठ उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं. सोनी मीडिया में लगभग पिछले 3 सालों से कार्य कर रही हैं और लेखन से लेकर एंकरिंग के क्षेत्र में भी अनुभव है. मनोरंजन की खबरों में सबसे अधिक रुचि रखती हैं, जबकि खेल और राजनीति में भी अच्छी पकड़ है.

China aircraft carrier
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China aircraft carrier : दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपींस के बीच बढ़ी तनातनी, विमान वाहक पोत हुए तैनात

China aircraft carrier : दक्षिण चीन सागर युद्ध की नई रणभूमि बन रहा है. चीन और फिलीपींस एक दूसरे के अमाने-सामने आ गये हैं. अमेरिका में स्थित फिलीपींस के राजदूत ने 25 जून को ही एक साक्षात्कार में बताया था कि उनका चीन के साथ संघर्ष बढ़ता जा रहा है. अब इस बीच खबर आई है कि चीन ने अपने दूसरे विमान वाहक युद्धपोत को उतार दिया है. चीन के इस विमान वाहक युद्धपोत का नाम शांडोंग है. जिस पर कई फाइटर जेट के साथ विध्वंसक हथियार तैनात किए गए हैं. यह चीनी विमान वाहक युद्धपोत फिलिपींस के तट पर गश्त लगाते हुए देखा गया है. कई बार फिलीपींस चीन के इस तरीके के घुसपैठ का विरोध दर्ज करा चूका है. तनाव का कारण द्वितीय थॉमस शोल चीन दक्षिण चीन सागर के 80% हिस्से पर अपनी दावेदारी पेश करता है. जिसको लेकर फिलिपींस मलेशिया वियतनाम ब्रूनेई और ताइवान के बीच कई वर्षों से बहस का विषय बना हुआ है. चीन और फिलिपींस की नौसेनाओं और तटरक्षकों के बीच तनाव की मुख्य वजह द्वितीय थॉमस शोल को माना जा रहा है. वहीं दक्षिण चीन सागर एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर भारी मात्रा में प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं, साथ ही अन्तराष्ट्रीय व्यापारिक आवागमन के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. चीन के नए कानून से सेना को मिली गोली चलाने की खुली छूट चीन की ओर से पिछले महीने समुद्रीय क्षेत्र से जुड़ा हुआ एक नया कानून लागू किया गया. इस कानून से चीन अपने तटरक्षक बलों को इस बात की खुली छूट देता है कि अगर कोई भी विदेशी जहाज चीन के जल क्षेत्र में अवैध रूप से घुसने की कोशिश करता है तो उस जहाज को जब्त कर लिया जाए. इतना ही नहीं इस कानून के तहत विदेशी चालक दल को 60 दिनों तक हिरासत में रखने का भी प्रावधान किया गया है. इसके अलावा इस कानून के तहत चीन की सरकार अपने नौ सैनिक बलों को जरुरत के अनुसार विदेशी जहाजों पर गोली चलाने की भी खुली छूट दी है.

National Doctors day 2024
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National Doctors day 2024 : 1 जुलाई को भारत में क्यों मनाया जाता है चिकित्सक दिवस, क्या है इसका इतिहास और थीम

National Doctors day 2024 : जिंदगी दबे पांव कब इतनी तेज़ी से दौड़ जाती है कि हमे पता ही नही चलता कि उम्र कब ढलान पर आ गई. ये नई नई पनपती बीमारियों की प्रभाव होता है. जब शरीर से सांस उखड़ने लगे तो डॉक्टर ही नया जीवन देने का काम करते हैं. इसलिए प्रतिवर्ष 1 जुलाई को पूरे भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (Doctors day 2024) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को हमारे जीवन में डॉक्टर्स की क्या अहमियत है इसे बताने के लिए समर्पित किया जाता है. जब भी बीमारी हमारे शरीर से दोस्ती करने के लिए हाथ आगे बढ़ाती है तो वह डॉक्टर ही होते हैं जो इस दोस्ती का सबसे बड़ा विलेन बनकर सामने आते हैं. प्रतिदिन न जाने कितने लोगों को डॉक्टर की वजह से नया जीवन मिलता है. इसीलिए हमारे समाज में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है. हर साल नई नई बीमारियां हमारे शरीर में घुसने की कोशिश करती हैं लेकिन डॉक्टर इन बीमारियों को बाहर निकालने का काम करते हैं. चिकित्सक दिवस को मनाकर डॉक्टर के प्रति सम्मान वक्त करने का एक तरीका है. क्या है राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का इतिहास भारत में हर साल 1 जुलाई को मशहूर चिकित्सक और बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर बीधान चंद्र रॉय की याद में चिकित्सक दिवस को मनाया जाता है. इस दिवस को भारत के नागरिक डॉक्टर के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं. इस दिवस की नीव 1991 में रखी गई थी. राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस की इस वर्ष की यह है थीम भारत में इस बार राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 2024 की थीम हीलिंग हैंड्स, केयरिंग हार्ट्स तय की गई है. यह थीम डॉक्टर के समर्पण और करुणा पर जोर देती है, जिसे वे हर दिन अपने दैनिक जीवन में अपनाते हैं. डॉक्टर बिधान चन्द्र रॉय और महात्मा गांधी जी के बीच कैसा था सम्बन्ध डॉक्टर बिधान बापू महात्मा गांधी के बहुत ही करीबी चिकित्सक रहे हैं. इन दोनों महानायकों के बीच एक बहुत मशहूर किस्सा रहा है. एक बार गांधी जी 1933 में अनशन कर रहे थे, जिससे लगातार उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा था. जैसे ही डॉक्टर बीधान को खबर मिलती है तो वह बापू के इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन गांधी जी दवा लेने से इनकार कर देते हैं, क्योंकि उस दवा का निर्माण स्वदेशी रूप से भारत में नहीं किया गया था.

United Nations Security Council
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United Nations Security Council : रूस ने संभाली UNSC की अध्यक्षता जुलाई में होगी तीन बड़ी बैठकें, क्या पुतिन जायंगे अमेरिका

United Nations Security Council : यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और पश्चिम देशों के मध्य बढ़ते तनाव के बीच मास्को ने जुलाई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की अध्यक्षता संभाल ली है. रूस की ही अध्यक्षता में इसी महीने यूएनएससी (UNSC) के अंदर मध्य पूर्व में उत्पन्न हुए संकट, नए वैश्विक सुरक्षा समीकरण और साथ ही एससीओ (SCO) के मुद्दों पर चर्चा होनी है. सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी है. हर महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता एक देश से दूसरे देश को हस्तांतरित की जाती है. जून 2024 में दक्षिण कोरिया सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष रहा था और इस महीने रूस दक्षिण कोरिया से अध्यक्षता ले रहा है. रूस इन तीन मुद्दों पर करेगा बैठक युनाइटेड नेशन में रूस के स्थाई प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया रूसी न्यूज़ एजेंसी आरआईए से बताया है कि मास्को अपनी अध्यक्षता में तीन प्रमुख कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा है, जिसमें वैश्विक सुरक्षा समीकरण पर चर्चा, संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय संगठन पर चर्चा और रूस- यूक्रेन युद्ध पर चर्चा शामिल है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस का नेतृत्व रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव द्वारा किए जाने की उम्मीद है. हालांकि रूसी अधिकारियों ने बैठकों में भाग लेने के लिए अमेरिकी वीजा जारी करने पर भी संदेह जताया है. सभी देश कर रहे समर्थन सुरक्षा परिषद यूनाइटेड नेशन का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साल 1945 में हुआ था.मौजूदा समय में यूनाइटेड नेशन में पांच स्थाई सदस्य हैं, जिनमें अमेरिका ब्रिटेन रूस फ्रांस और चीन शामिल हैं. भारत भी लगातार यूनाइटेड नेशन की स्थाई सदस्यता ग्रहण करने की आवाज़ उठा रहा है. चीन के अलावा यूनाइटेड नेशन के सभी स्थाई देश भारत को समर्थन दे रहे हैं लेकिन चीन कभी नहीं चाहता है कि भारत यूनाइटेड नेशन का स्थाई सदस्य बने. चीन हर बार अपने वीटो का उपयोग करके भारत के प्रस्ताव को निरस्त कर देता है.

India Russia Relations
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India Russia Relations : पीएम मोदी का काफिला रूस की यात्रा के लिए तैयार, पुतिन से होगी खास बातचीत

India Russia Relations : भारतीय प्रधानमंत्री तीसरी बार देश की सत्ता संभालने के बाद 8 जुलाई को रूस पहुच सकते हैं, जहां पर उनकी मुलाकात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होगी. इस मुलाकात को दुनिया की सबसे बड़ी मुलाकातों में से एक माना जा रहा है. दुनिया में भारत एकलौता ऐसा देश है जो बीते कुछ सालों में अमेरिका से अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है तो वहीं भारत ने रूस से भी अपने पुराने संबंधों को पहले जैसे ही मजबूत रखा है. पश्चिमी देशों का प्रभाव भारत की हितों पर कभी नही पड़ा है. भारत बिना किसी देश के दबाव में आए स्वतंत्र रूप से फैसले लेता आया है. जिसकी एक सबसे बड़ी वजह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति है, भारत कभी भी किसी भी देश के गुट में नही रहा है. पिछले वर्ष पीएम मोदी अमेरिका स्टेट विजिट के लिए गए तो अब रूस जाने की तैयारी में हैं. रूस में स्थित भारत के राजदूत वेंकटेश वर्मा ने द हिन्दू से बातचीत में कहा, ‘ कोरोना और तेजी से बदलते अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप की वजह से भारत और रूस के बीच हर साल होने वाला वार्षिक शिखर सम्मेलन पर विराम लग गया था. अब जरुरी हो गया है कि दोनों देशों के बीच सम्बन्धों को मजबूत बनाया जाए. फरवरी 2022 में यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से पीएम मोदी अभी तक रूस की यात्रा पर नही गए हैं. लेकिन जब से मोदी भारत के प्रधानमंत्री के पद को ग्रहण किया है, तब से अभी तक 5 बार रूस की यात्रा कर चुके हैं. अगर पीएम मोदी के विदेशी दौर के आंकड़ों पर नजर डालें तो उन्होंने सबसे अधिक दौरा अमेरिका का किया है. अमेरिका को सन्देश भारत बनाएगा रिश्तों में संतुलन प्रधानमंत्री मोदी आखरी बार साल 2019 में रूस का दौरा किया था. इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ बदलाव भी देखे गए हैं. माना जा रहा है कि यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद रूस भारत के विरोधी देश चीन की खेमे में चला गया है. विशेषज्ञों का मानना है मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकता है. यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद रूस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई बार यूनाइटेड नेशन में वोटिंग की गई लेकिन भारत हर बार वोटिंग से अपने आपको बाहर करता नजर आया है. भारत ना ही रूस का खुला समर्थन किया है ना ही रूस का विरोध किया है. इतना ही नहीं जब अमेरिकी प्रतिबंधों के डर की वजह से दुनिया के कई देश रूस से अपने व्यावसायिक संबंध को खत्म कर रहे थे, तो उसे वक्त भी भारत ने रूस पर लगे अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों की परवाह नहीं किया और आज रूस भारत को सबसे ज्यादा कच्चा तेल बेचने वाला देश बन गया है. हालांकि अमेरिकी और यूरोपीय देशों के अंदर लगातार भारत के खिलाफ आवाज उठती रही, लेकिन भारत पर इन देशों का जरा भी असर नहीं पड़ा. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर हमेशा कहते रहे कि देश हित सबसे ऊपर है.

Ravindra Jadeja Retirement
SPORTS

Ravindra Jadeja Retirement : टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद रविंद्र जडेजा ने फैंस को दिया झटका, संन्यास का कर दिया ऐलान

Ravindra Jadeja Retirement : भारतीय टीम के दिग्गज ऑलराउंडर खिलाड़ी रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) ने विराट कोहली और रोहित शर्मा के बाद सभी को चौंकाते हुए टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट (ICC T20 Cricket World Cup 2024) को अलविदा कह दिया है. जडेजा ने अपने ऑफिशल इंस्टाग्राम अकाउंट से टी20I फॉर्मेट से संन्यास का ऐलान किया. जडेजा कई वर्षों से लगातार भारतीय टीम के तीनों फॉर्मेट में खेलते नजर आए हैं. जडेजा ने खेली बहुत सी बेहतरीन पारी  जडेजा के लिए टी20 वर्ल्ड कप 2024 कुछ खास नहीं गुजरा. सर जडेजा ना तो बल्ले से कमाल दिखा पाए ना ही अपनी गेंदबाजी से प्रभावित किया. इस वर्ल्ड कप के दौरान आठ मैचों की पांच पारियों में जडेजा ने सिर्फ 36 रन बनाए. इतना ही नही इस पूरे टूर्नामेंट में जडेजा गेंदबाजी करते हुए सिर्फ एक विकेट ही हासिल कर पाए. इंस्टाग्राम पर किया पोस्ट  रविंद्र जडेजा ने रविवार को अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए टी20 इंटरनेशनल से संन्यास की घोषणा करते हुए लिखा, ‘ टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीतना मेरा सपना था और इसी खिताबी जीत के साथ मैं अपने टी20 अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कहता हूं. उन्होंने आगे लिखा है कि मैंने अपने देश के लिए अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया है. और मैं अभी भी अन्य फॉर्मेट में अपना बेस्ट देना जारी रखूंगा. जडेजा जितना अपनी गेंदबाजी और बल्लेबाजी के लिए मशहूर हैं, उतना ही बेहतरीन क्षेत्ररक्षक के रूप में भी जाने जाते हैं. लगभग डेढ़ दशक से भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे, जडेजा हाल ही में समाप्त हुए विश्वकप में अच्छे फॉर्म में नहीं दिखे. शनिवार को बारबाडोस में टी20 विश्वकप के खिताबी मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को सात रनों से मात देकर दूसरी बार टी20 विश्वकप जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया. रविंद्र जडेजा का अंतरराष्ट्रीय टी20 सफ़र 35 वर्षीय रविंद्र जडेजा ने 2009 में श्रीलंका के खिलाफ अपने टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत की थी. उन्होंने 74 मैच खेले, जिसमें 21.5 की औसत और 127.6 के स्ट्राइक रेट से 515 रन बनाएं और 54 विकेट हासिल किया. पीएम मोदी ने किया पोस्ट जडेजा की विदाई के लिए पीएम मोदी ने किया पोस्ट, जडेजा को आलराउंडर बताते हुए लिखा नोट.  

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