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Author name: SunilKumaryadav

मेरा नाम सुनील कुमार यादव है। मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मीडिया स्टडीज में ग्रेजुएशन किया है। डिजिटल पत्रकारिता में लगभग 3 साल का अनुभव है। स्टाइलक्रेज डॉट कॉम से होते हुए स्पोर्ट्सकीड़ा के लिए बतौर कंटेंट राइटर के रूप में कार्य कर चुका हूं। देश विदेश और स्पोर्ट्स से जुड़ी खबरों में खास रुचि है।

Kamala Harris vs Donald Trump
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Kamala Harris vs Donald Trump : क्या कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव में हरा सकती हैं, सर्वेक्षण में हुआ खुलासा

Kamala Harris vs Donald Trump : इस साल नवम्बर महीने में अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होना है. इस चुनाव में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच जबरजस्त मुकाबला होने के अनुमान लगायें जा रहे हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति के प्रमुख्य उम्मीदवार जो बाइडेन हैं और रिपब्लिकन पार्टी की ओर से डोनाल्ड ट्रंप हैं. डोनाल्ड ट्रंप को लेकर कहा जा रहा है, वह इस चुनाव को जीतने में बाइडेन से मजबूत स्थति में हैं. लेकिन इस बीच कमला हैरिस के नाम ने रिपब्लिकन पार्टी की चिंताओं में इजाफा करना शुरू कर दिया है. डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेता बाइडेन के कमजोर होने के चलते, हैरिस को समर्थन देने की बात कह रहे हैं. बाइडेन राष्ट्रपति बनने की दौड़ में बने हुए शीर्ष डेमोक्रेट्स नेता का कहना है कि यदि बाइडेन को बढ़ते दबाव के चलते पीछे हटना पड़ता है तो 2024 के चुनाव में मौजूदा उपप्रधानमंत्री कमला हैरिस मुख्य उम्मीदवार के रूप में ट्रंप के सामने चुनावी मैदान में उतरेंगी. लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि बाइडेन राष्ट्रपति बनने की दौड़ में बने हुए हैं. इस बीच बाइडेन भी स्वीकार कर चुके हैं कि पिछले हफ्ते हुई ट्रंप के सामने डिबेट में कमजोर हो गये थे. इस बार होने वाले चुनाव में अगर कमला हैरिस प्रमुख उम्मीदवार के रूप आती हैं और चुनाव जीतती हैं तो वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होंगीं. हैरिस को लेकर क्या कहतें हैं सर्वेक्षण हाल ही में हुए सर्वेक्षणों के मुताबिक हैरिस ट्रम्प के सामने बिडेन से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं.इसी महीने 2 जुलाई को CNN की पोल में बताया गया कि ट्रम्प बाइडेन से 6 प्रतिशत ज्यादा वोट अर्जित कर सकते हैं. ट्रंप को 49 % और बिडेन को 43 % वोट मिलने के अनुमान है. वहीं हैरिस और ट्रंप के बीच यह वोटों का मार्जिन केवल 2% का बताया जा रहा है. हैरिस को 45% और ट्रंप को 47% वोट मिलने का अनुमान है. बाइडेन की पार्टी के नेता बाइडेन के पीछे हटने की परिस्थिति में उनकी जगह पार्टी के अन्दर कमला हैरिस को सबसे अच्छा विकल्प मानते हैं.

Israel-Hamas war
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Israel-Hamas war : अंतिम लक्ष्य की प्राप्ति तक जारी रहेगी हमास से लड़ाई, गाजा युद्ध विराम समझौते को लेकर नेतन्याहू ने दिया बड़ा बयान

Israel-Hamas war : हमास और इजराइल के बीच जारी युद्ध (Israel-Hamas war) को नौ महीने बीत चुकें हैं, लेकिन अभी भी गाजा में बम धमाकों के शोर थमें नहीं हैं. इजराइल पर युद्ध विराम का दबाव बनाया जा रहा है. इस बीच इजराइल के प्रधानमंत्री का युद्ध रोकने को लेकर एक बड़ा बयान आया है. प्रधामंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने रविवार को कहा है कि गाजा में युद्ध विराम समझौते होने के बावजूद भी इजराइल को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति तक लड़ाई जारी रखने की अनुमति होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा है कि अमेरिकी योजनाओं पर फिर से बातचीत शुरू होने के उम्मीद है. मई के महीने में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने तीन चरणीय योजना को प्रस्तुत किया था, जिसमें इजराइल और फिलिस्तीन के बीच क़तर और मिस्त्र के मध्यस्थता करने की बात कही गई थी. इस योजना का उद्देश्य युद्ध को समाप्त करना और गाजा में बंधक बनाये गए 120 इजराइली सेना को मुक्त कराना है. उधर हमास इजराइल के सामने झुक गया है. हमास की पहले शर्त थी कि इजराइल स्थाई रूप युद्ध विराम पर सहमत हो. उसके बाद ही वह किसी बैठक में हिस्सा लेगा और किसी समझौते पर सहमत होगा. लेकिन अब हमास के एक सूत्र ने रॉयटर्स को उसकी पहचान ना उजागर करने की शर्त पर बताया है कि अब हमास बातचीत करके हल निकालने के लिए तैयार है. अंतिम लक्ष्य की प्राप्ति तक जारी रहेगी लड़ाई (Israel-Hamas war)- इजराइली प्रधानमंत्री इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने खुलकर कहा है कि किसी भी समझौते में वह तभी सहमत होंगे, जब इजराइल को उसके लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लड़ाई जारी रखने की छूट दी जाएगी. युद्ध की शुरुआत में इजराइल ने अपने लक्ष्यों को परिभाषित किया था. जिसके मुताबिक हमास की सैन्य और शासन क्षमताओं को खत्म करना है. साथ ही बंधको को रिहा कराना शामिल है. नेतन्याहू ने यह भी कहा है कि जिस योजना पर इजराइल सहमत हुआ है, उसके मुताबिक इजराइल को (Israel-Hamas war) युद्ध के अन्य उद्देश्यों की प्राप्ति में बिना किसी परिवर्तन के बंधकों की रिहाई होगी.

Robot suicide
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Robot suicide : दक्षिण कोरिया में रोबोट ने की आत्महत्या, दुनिया की यह है पहली घटना, शुरू हो गई इस पर बहस

Robot suicide : विज्ञान दुनिया में बहुत तेजी से पैर पसार रहा है. जिस काम को करने के लिए पहले जहां कई लोगों की जरुरत होती थी, आज उस काम को रोबोट अकेले कर रहे हैं. रोबोट विज्ञान की एक अहम खोज है. रोबोट के अन्दर वैसी तकनीक विकिसित किये जाने पर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं, जैसी मानव का माइंड सोच सकता है. क्या रोबोट को भी थकावट लग सकती है, क्या रोबोट भी अपनी जिन्दगी से परेशान होकर आत्महत्या (Robot suicide) कर सकता है तो इसी जुडी दक्षिण कोरिया के गुमी सिटी से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है. खबर के मुताबिक एक रोबोट ने आत्महत्या की है. यह रोबोट एक सिविल सेवक के रूप में कार्य करता था. यह घटना पिछले गुरूवार की है. काउन्सिल बिल्डिंग की पहली और दूसरी मंजिल के सीढ़ी के नीचे रोबोट का टूटा हुआ शरीर एक कूड़े के ढेर में मिला है. वहां पर मौजूद लोगों का कहना है कि रोबोट सीढ़ी के नीचे अजीब तरीके का व्यवहार कर रहा था. एक जगह पर काफी देर तक चक्कर लगा रहा था. और अचानक से वह सीढ़ी से नीचे गिर गया. रोबोट को लेकर दुनिया छिड़ गई है बहस यह रोबोट गुमी सिटी काउन्सिल में अगस्त 2023 से अपनी सेवाएं दे रहा था. यह मैकेनिकल हेल्पर का कार्य करता था. यह रोबोट बिना थके सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक कार्य करता था. दक्षिण कोरिया में रोबोट का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स के मुताबिक हर दस दक्षिण कोरियाई कर्मचारियों के लिए एक रोबोट की व्यस्था की गई है. रोबोट की अचानक हुई मौत पर दुनिया में बहस शुरू हो गई है. प्रश्न उठने लगे हैं, क्या रोबोट थक गया था, क्या उसके ऊपर काम का ज्यादा बोझ हो गया था, जिससे उसने आत्म हत्या को चुन लिया. फिलहाल रोबोट के टूटे पार्ट्स को एकत्र करके उसका विश्लेषण किया जा रहा है. आखिर किस वजह से रोबोट की मौत (Robot suicide) हुई है, जानने की कोशिश की जा रही है.

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NATO Meeting : नाटो के 75 वर्ष पूरे होने पर बुलाई गई बैठक, अमेरिकी चुनाव और यूक्रेन होंगे चर्चा के मुख्य फोकस में

NATO Meeting :  सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक रूप से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से गठित नाटो (Nato meeting) ने अपने 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं. नाटो संगठन का गठन 1949 में किया गया था. नाटो के 75वी वर्षगांठ पर इसके सदस्य देशों के साथ एक शिखर सम्मलेन का आयोजन किया गया है. इस शिखर सम्मलेन के जरिये नाटो की मजबूती को दुनिया के सामने प्रदर्शित किये जाने की कोशिश की जा रही है. इस संगठन के केंद्र में अमेरिका बैठा है और अमेरिका में इसी साल 5 नवम्बर को राष्ट्रपति का चुनाव भी होना है. नाटो को पूर्ण समर्थन देने वाले बाइडेन इस बार के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के आगे कमजोर दिख रहे हैं. वहीं ट्रंप ने अपने पिछले राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान नाटो को अमेरिका के लिए एक आर्थिक बोझ बताया था. अमेरिका ही नाटो को सबसे अधिक आर्थिक मदद देता है. इस मंगलवार से तीन दिनों के लिए राष्ट्रपति बाइडेन अपने चुनावी अभियान से इतर नाटो के शिखर सम्मलेन का नेतृत्व करेंगे. इस सम्मलेन में नाटो के 32 देश भाग लेंगे साथ ही कई अन्य देशों को इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रण भेजा गया है. जिसमें खासतौर वह देश होंगे जो चीन की बढ़ती ताकतों के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. राष्ट्रपति बाइडेन ने नाटो की बैठक में ऑस्ट्रेलिया जापान न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया को शामिल होने आग्रह किया है. NATO रूस के आगे हो गया है बेबस एक यूरोपीय अधिकारी के मुताबिक नाटो की बैठक में माहौल पहले की तुलना फीका हो गया है. क्योकिं रूस ने नाटो समर्थित यूक्रेन को युद्ध के मैदान में पीछे धकेल दिया है. रूस कई प्रतिबंधों के बावजूद भी आज बिलकुल राहत की स्थिति में है. इतना ही नहीं अधिकारी का यह भी कहना है कि यह बैठक बहुत सटीक समय में हो रही है. यह अच्छा समय और ख़राब समय दोनो है. अच्छा इसलिए क्योकिं यह बैठक रूस के बढ़ते दबदबे को कम करने पर मंथन करेगी. वहीं इस बैठक के लिए उपयुक्त समय ना होने के पीछे अमेरिका का चुनाव है. अतीत में पुतिन की प्रशंशा कर चुके डोनाल्ड ट्रंप इस बार के चुनाव में बढ़त पर नजर आ रहे हैं.

US Presidential Election 2024
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US Presidential Election 2024 : बाइडेन के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर व्हाइट हाउस ने किया बड़ा खुलासा

US Presidential Election 2024 : अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential Election 2024) को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी में लगातार उथल पुथल देखने को मिल रही है. ऐसी खबरों का सिलसिला रुक नहीं रहा है जिनमें 81 वर्षीय राष्ट्रपति जो बाइडेन को लेकर बताया जा रहा है कि वह अब अपने आगामी कार्यकाल की सेवा देने में सक्षम नहीं होंगे. जिस पर अब व्हाइट हाउस के प्रवक्ता की ओर से इन अफवाहों को लेकर टिप्पणी की गई है. ट्रंप की बढ़त से पार्टी के अन्दर घबराहट पिछले सप्ताह डोनाल्ड ट्रंप और बाइडेन के बीच एक डिबेट हुई थी. जिस डिबेट में ट्रंप ने बाइडेन को हरा दिया था. जिससे डेमोक्रेटिक पार्टी के अन्दर भी चिंता बढ़ गई थी. खबरे थी कि ट्रंप की बढ़त से पार्टी के अन्दर घबराहट के चलते चर्चाएं शुरू हो गई हैं और उम्मीदवार की भी खोज की जा रही है. न्यूयार्क टाइम्स और सीएनएन के मुताबिक राष्ट्रपति बाइडेन ने अपने एक प्रमुख सहयोगी से कहा है कि यदि वह अमेरिकी जनता को सीघ्र यह विश्वास नहीं दिला पाते कि इस पद के कार्यों के निर्वहन के लिए वह बिलकुल सक्षम है तो इससे उनका आगामी चुनाव में जीतना मुश्किल हो जायेगा. क्या बाइडेन बने रहेंगे राष्ट्रपति पद के प्रमुख उम्मीदवार राष्ट्रपति बाइडेन की उम्मीदवारी को लेकर व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जीन पियरे जो अमेरिकी राजनीति सलाहकार हैं, उनकी ओर स्पष्टीकरण आया है. उन्होंने इन सभी रिपोर्ट्स को ख़ारिज कर दिया है. और जोर देकर बताया है कि पार्टी के अन्दर बाइडेन का नामांकन वापस लेने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने आगे बाताया कि वह राष्ट्रपति के चुनाव में जीत दर्ज करने की रेस बने हुए हैं. इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि डेमोक्रेटिक पार्टी के उच्च नेताओं के साथ भी एक आपातकालीन बैठक हुई है. जिसमें सभी गवर्नरों ने बाइडेन को समर्थन देने की बात कही है. राष्ट्रपति बाइडेन भी इस बात का स्वीकार कर चुके हैं कि ट्रंप के सामने बहस में कमजोर पड़ गये थे. इसी साल 5 नवंबर को अमेरिका में चुनाव होना है.

Kanishka Narayan
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UK Election 2024 : लेबर पार्टी से सांसद चुने गये कनिष्क नारायण की जीत से क्यों खुश हो रहा है भारत

UK Election 2024 : ब्रिटेन में हुए आम चुनाव (UK Election 2024) में एक तरफ जहां भारतीय मूल के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की हार से भारतीयों के दिल में थोड़ी मायूसी तो जरुर हो रही है लेकिन दूसरी तरफ इस बार भारतीयों का दबदबा जरुर बढ़ा है. पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार के चुनाव में ब्रिटेन में जीते ऐसे सांसदों की संख्या में इजाफा हुआ है, जिनकी मूल जड़े भारत से जुडी हुई हैं. लेबर पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले कनिष्क नारायण उनमें से एक हैं जो भारत में पैदा हुए, जिनके माता-पिता दोनों भारतीय हैं. कनिष्क नारायण का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा भी यहीं से ही प्राप्त की थी. बिहार के लाल की जीत पर है मुजफ्फरपुर में ख़ुशी का माहौल लगभग डेढ़ दशक के बाद ब्रिटेन की हुकूमत में लेबर पार्टी का आगमन हुआ है. कीर स्टार्मर नए प्रधानमंत्री बन गये हैं. लेबर पार्टी के नेतृत्व में मुजफ्फरपुर के 33 वर्षीय कनिष्क नारायण ने भी शानदार जीत दर्ज की है. जिसको लेकर उनके पैतृक निवास में माहौल खुशनुमा हो गया है. इस ख़ुशी के अवसर पर मुजफ्फरपुर में स्थित श्री कृष्ण विधि महाविद्यालय के निदेशक जयंत कुमार जो कनिष्क के चाचा हैं, उन्होंने कहा है कि हमारे परिसर, हमारे गाँव में ख़ुशी का माहौल है. लोगों ने यहाँ कनिष्क के बचपन को देखा है. कनिष्क के पिता का नाम संतोष और माता का नाम चेतना है. दोनों ही पेशे से वकील हैं. कनिष्क की 12 साल की उम्र में दोनों कार्डिफ चले गये थे. कनिष्क नारायण ने ब्रिटेन की सिविल सेवा से अपने करियर की शुरुआत करी थी. राजनीति में दिलचस्पी होने के चलते उन्होंने सिविल सेवा को छोड़कर लेबर पार्टी में शामिल हो गये. भतीजे की इस शानदार जीत पर उनके चाचा ने कहा है कि हम हमारे लिए भारत के बाहर ब्रिटेन दूसरा घर जैसा है और मैंने भी अपनी शिक्षा के समय 4 साल वहीं बिताए हैं.

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Ram Mandir : अमेरिका में इंडिया डे परेड के मौके पर दिखेगी राम मंदिर की 18 फीट लंबी झलक, 150000 लोग होंगे शामिल

Ram Mandir : भारत के स्वतंत्रता दिवस के बाद 18 अगस्त को न्यूयॉर्क में इंडिया डे परेड का आयोजन किया जायेगा. जिसमें राम मंदिर की प्रतिकृति प्रदर्शित की जाएगी. जो हूबहू राम मंदिर जैसी होगी. अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए यह बहुत ही खास अवसर होगा. इस अवसर में न्यूयॉर्क के इर्द गिर्द रह रहे लगभग 150000 लोग इंडिया डे परेड के दौरान एकत्रित होते हैं. मंदिर की विशाल प्रतिकृति की देखेगी झलक खबर है कि मंदिर की प्रतिकृति बहुत विशाल होगी जो 18 फीट लम्बी, 9 फीट चौड़ी, और 8 फीट की उचाई वाली होगी. अमेरिका में यह पहला ऐसा अवसर होगा जब राम मंदिर की झलकी को दिखाया जाएगा. अमेरिका में भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 42वे न्यूयॉर्क इंडिया डे परेड का आयोजन किया जाएगा. खास तौर पर इंडिया डे परेड भारत की आजादी को ही समर्पित है और भारत के बाहर स्वतंत्रता का किसी देश में यह सबसे बड़ा आयोजन है. इस आयोजन में भारत की ओर से भी कई बड़े चेहरे शामिल होते हैं. पिछली बार इसके आयोजन में रविशंकर समेत कई अभिनेता और अभिनेत्री शामिल हुए. इंडिया डे परेड के अवसर पर कई कार्यक्रम इंडिया के नाम पर दूसरे मुल्क में आयोजित किया जाने वाले इंडिया डे परेड का संचालन फेडरेशन ऑफ इंडिया एसोसिएशन के द्वारा किया जायेगा. इस मौके पर अमेरिकी और भारतीय समुदायों की संस्कृति और विविधता को लोगो के सामने पेश किया जायेगा. राम मंदिर से जुड़ा एक आयोजन अभी हाल ही में अमेरिका में किया गया था. विश्व हिन्दू परिषद अमेरिका ने हाल ही में राम मंदिर रथ की यात्रा निकाली थी. यह रथ यात्रा 60 दिनों के सफर में अमेरिका के 48 राज्यों से होते हुए 851 मंदिरों में गई. बता दें, इसी साल के शुरुआत में भारत के अयोध्या में 22 जनवरी को पीएम मोदी के नेतृत्व में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई थी.  

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UK Election Results 2024 : यूके के नए पीएम स्टार्मर के मंत्रिमंडल में किसे मिली बड़ी ज़िम्मेदारी

UK Election Results 2024 : 14 साल के बाद ब्रिटेन की सत्ता से कंजर्वेटिव पार्टी बाहर हो चुकी है और ब्रिटेन में हुए आम चुनाव में लेबर पार्टी की जीत के साथ स्टार्मर नए प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्य शुरू कर दिया है. स्टार्मर अपने कैबिनेट की घोषणा भी कर दी है. जिनकी कैबिनेट में भारतीय मूल के नेताओं को भी शामिल किया गया है. ब्रिटेन की पहली महिला वित्त मंत्री रेचल रीव्स को ब्रिटेन का वित्त विभाग सौंपा गया है और वह ब्रिटेन की पहली महिला वित्त मंत्री बन गईं हैं. रेचल की उम्र 45 वर्ष है.डेविड लैमी को ब्रिटेन का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है. डेविड लैमी चुनावी नतीजे के पहले ही लंदन में इंडिया ग्लोबल फोरम में भारत के साथ अपने दोस्ताना संबंध रखने की बात कह चुके हैं. उन्होंने कहा था अगर इस बार चुनाव में लेबर पार्टी सत्ता में काबिज होती है तो वह अपने कार्यकाल के शुरुआती महीने में सबसे पहले भारत का रुख करेंगे. लेबर पार्टी ने एंजेला रेनर को उप प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. इसके अलावा उन्हें आवास और समुदायों के मंत्री की भी जिम्मेदारी दी गई है. भारतीय मूल की ब्रिटिश सांसद को मिली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उत्तर पश्चिमी इंग्लैंड के विगन संसदीय क्षेत्र से शानदार जीत दर्ज करने वाली भारतीय मूल की लीसा नंदा को तीन विभागों की जिम्मेदारी सौंप गई है और उन्हें संस्कृति, मीडिया और खेल मंत्री नियुक्त किया गया है. लीसा ने अपने विपक्षी को बड़े अंतराल से मात दी है. लीसा 2020 में लेबर पार्टी के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी उम्मीदवारी पेश कर चुकी हैं. ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली सरकार की तुलना में इस बार स्टार्मर की सरकार में भारतीय मूल के सांसदों की संख्या लगभग दो गुनी हो गई है. ब्रिटेन में हुए इस बार आम चुनाव में भले ही भारतीय मूल के नेता ऋषि सुनक प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश न कर पाए हो लेकिन भारतीय मूल के नेताओं की संख्या काफी बढ़ गई है. बहुमत से कहीं ज्यादा लेबर पार्टी 412 सीटों को जीतकर सरकार बनाने में सफल हो गई है.

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8 जुलाई को रूस और Austria के दौरे पर जाएंगे भारत के PM Modi, विदेश मंत्रालय ने की आधिकारिक पुष्टि

पिछले कई दिनों से पीएम मोदी के रूस दौरे को लेकर लगातार खबरें तूल पकड़ रही थी जिस पर विदेश मंत्रालय ने मोहर लगा दी है. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को घोषणा करते हुए बताया कि PM Modi भारत रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए 8 से 9 जुलाई तक रूस की यात्रा करेंगे. जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने और साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर समीक्षा की जाएगी. रूस के दौरे के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी Austria पहुचेंगे. पिछले 4 दशकों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया का दौरा नहीं किया है. 41 वर्षों के बाद मोदी भारत ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जो उसे देश की यात्रा करेंगे. गहरे होते संबंध में संवाद स्थापित करने का एक मजबूत तंत्र कोविड और तेजी से बदलती वैश्विक भू राजनीति के चलते पिछले 5 वर्षों से पीएम मोदी ने रूस की यात्रा नहीं की. उनकी पिछली यात्रा 2019 में हुई थी, जब प्रधानमंत्री मोदी आर्थिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस पहुंचे थे. भारत और रूस के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच गहरे होते संबंध में संवाद स्थापित करने का एक मजबूत तंत्र माना जाता है. अब तक दोनों देशों के बीच 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन किया जा चुका है. भारत और रूस के बीच पिछला सम्मेलन 2021 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसका नेतृत्व पीएम मोदी कर रहे थे और इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति पुतिन भारत के दौरे पर आए थे.रूस के साथ अपने घनिष्ठ संबंध को लेकर भारत ने यूक्रेन पर हमले की एक बार भी निंदा नही की है. पहली बार ऑस्ट्रिया के दौरे पर जाएंगे प्रधानमंत्री विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक सूचना देते हुए कहा है कि 41 वर्षों में किसी प्रधानमंत्री का यह पहला ऑस्ट्रिया दौरा होगा. इस दौरे के दौरान पीएम मोदी ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर से मुलाकात करेंगे और साथ ही ऑस्ट्रिया चांसलर के साथ भी बैठक करेगें. इसके अलावा ऑस्ट्रिया के व्यापारिक नेताओं के साथ पीएम मोदी मीटिंग करेंगे.  

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PM Modi ने Starmer को दी बधाईं, Rishi Sunak को भी भेजा संदेश

PM Modi : ब्रिटेन की राजनीति में 14 साल के बाद बड़ा उलटफेर हुआ है. 5 जुलाई को चुनाव के परिणाम के कुछ घंटों बाद ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए हार की जिम्मेदारी ली है. 61 वर्षीय कीर स्टार्मर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं. स्टार्मर को एक तरफ जीत के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई संदेश दिया है तो साथ ही पीएम मोदी ने भारतवंशी ऋषि सुनक को भी अपना पैगाम भेजा. ब्रिटेन में आम चुनाव के नतीजे आने के बाद भारतीय पीएम मोदी ने ट्वीट करके स्टार्मर को उनकी जीत पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी और साथ ही उन्होंने कहा कि मैं सभी क्षेत्रों में भारत ब्रिटेन के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने, आपसी विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सहयोग की आशा करता हूं. ऋषि सुनक की पार्टी को 120 सीटें मिली पीएम मोदी ने ऋषि सुनक के कार्यकाल के बीच मजबूत हुए भारत और ब्रिटेन के संबंधों पर भी टिप्पणी करते हुए उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया. पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा कि ब्रिटेन के राजनीति में आपके लीडरशिप और कार्यकाल के दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच गहरे हुए संबंधों के लिए ऋषि सुनक आपको धन्यवाद. आपको और आपके परिवार को आगामी भविष्य के लिए मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं बीते कल चुनाव में लेबर पार्टी ने कंजर्वेटिव पार्टी को पराजित किया. लेबर पार्टी ने बहुमत के आंकड़े को पार करते हुए कुल 650 सीटों में से 412 सीट पर दर्ज की. वही ऋषि सुनक की पार्टी 120 सीटों पर ही विजय प्राप्त कर सकी. स्टार्मर ने भी की ऋषि सुनक की तारीफ बड़े अंतराल से जीत के बाद देश के नागरिकों को संबोधित करते हुए अपने स्पीच में पूर्व पीएम ऋषि सुनक को लेकर स्टार्मर ने टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि आपने बहुत मेहनत की, मैं आपकी मेहनत को सम्मान और सलाम करता हूं. उन्होंने आगे कहा कि अब काम करने का समय आ गया है. जिन्होंने हमें वोट दिया हो चाहे ना दिया हो हम सभी के लिए काम करेंगे. ब्रिटेन को मजबूत बनाने के लिए हम एक-एक ईंटों को फिर से जोड़कर तैयार करेंगे.    

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