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Author name: SunilKumaryadav

मेरा नाम सुनील कुमार यादव है। मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मीडिया स्टडीज में ग्रेजुएशन किया है। डिजिटल पत्रकारिता में लगभग 3 साल का अनुभव है। स्टाइलक्रेज डॉट कॉम से होते हुए स्पोर्ट्सकीड़ा के लिए बतौर कंटेंट राइटर के रूप में कार्य कर चुका हूं। देश विदेश और स्पोर्ट्स से जुड़ी खबरों में खास रुचि है।

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United Nations : दोहा में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में शामिल होकर तालिबान को क्या हासिल हुआ

United Nations : तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर पूरी तरह से काबिज हो गया है. लेकिन उसके बावजूद भी दुनिया के किसी भी देश ने तालिबान सरकार को मान्यता नही दी है. अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर कई बार संयुक्त राष्ट्र बैठकें कर चुका है. लेकिन अभी तक तालिबान की ओर से इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया गया था. इस बीच UN ने कतर की राजधानी दोहा में 25 देशों के साथ एक बैठक की. जिसमें इस बार तालिबान की सरकार के नेताओं ने भी हिस्सा लिया. संयुक्त राष्ट्र की इस मीटिंग में शामिल होने से पहले ही तालिबान ने शर्त रखी थी कि अफगान महिलाओं के प्रतिनिधियों को इस बैठक से बाहर रखा जाएगा. नतीजन संयुक्त राष्ट्र को तालिबान की बातों को मानना पड़ा. इसके बाद ही तालिबान ने अपने प्रतिनिधि को दोहा में हुई इस बैठक में जाने की अनुमति दी. किस विषय पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने बुलाई बैठक इस बैठक के आयोजन से पहले ही संयुक्त राष्ट्र ने स्पष्ट कर दिया था कि यह बैठक तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए नहीं की जा रही है. अफगानिस्तान की धरती पर तालिबान के वापसी के बाद पश्चिमी देशों के साथ महिलाओं के अधिकारों पर नजर रखने वाले विश्व के कई संगठनों ने तालिबान सरकार का विरोध किया है. उधर तालिबान ने पहले ही अपनी शर्त रखी थी कि इस बैठक में महिला अधिकारों पर बात नहीं होगी. दोहा में हुई इस बैठक के दौरान अफगानिस्तान में मानवीय संकट, ड्रग तस्करी समेत और कई अन्य मुद्दों पर बातचीत हुई है. अफ़गानिस्तान में महिलाओं की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान के सामने क्या मांग की संयुक्त राष्ट्र की बैठक में तालिबान से महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में शामिल करने का अनुरोध किया गया है. दोहा में हुई इस बैठक की अध्यक्ष रोजमेरी डिकार्लो ने मंगलवार को बताया कि तालिबान अधिकारियों को सूचित किया गया कि महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए.

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India-Pak News : पाकिस्तान से आई जंग के दौरान लापता हुए सैनिकों की लिस्ट, रिहाई की कर रहा है मांग

India-Pak news : पाकिस्तान ने सोमवार को 1965 और 1971 जंग के दौरान लापता हुए अपने सैनिकों की लिस्ट सौंपी है. इस लिस्ट में 38 सैनिकों के बारे में जानकारी दी गई है. पाकिस्तान का मानना है कि युद्ध के दौरान ये सभी पाकिस्तानी सैनिक भारत के हिरासत में पहुच गए हैं. इसके आलावा दोनों देशों की जेलों में बंद नागरिकों की लिस्ट भी एक दूसरे से साझा की गई है. इस लिस्ट में अधिकतर मछूआरे शामिल हैं. भारत की ओर से पाकिस्तान को लिस्ट के माध्यम से बताया गया है कि यहां 452 पाकिस्तानी कैदी मौजूद हैं. वहीं पाकिस्तान की ओर दी गई जानकारी के मुताबिक वहां भारत के 254 भारतीय कैदी जेल में बंद हैं. भारत और पाकिस्तान (India Pak news) के बीच कैदियों की जानकारी साझा करने का प्रचालन 2008 से जारी है. प्रत्येक साल जनवरी और जुलाई की 1 तारीख को दोनों देशों के द्वारा कैदियों की लिस्ट जारी की जाती है. पाकिस्तान कैदियों की रिहाई की कर रहा है मांग भारत में सजा काट रहे पाकिस्तानी कैदियों की पाकिस्तान का विदेश कार्यालय रिहाई की मांग रहा है. पाकिस्तान का कहना है कि जो पाकिस्तानी शारीरिक रूप और मानसिक रूप से कमजोर हो गये हैं, उनकों अब रिहा कर देना चाहिए. पिछले साल 2023 में भारत ने 62 और इस साल अब तक 4 पाकिस्तानी कैदियों को रिहा कर चुका है. भारत की सीमा को पार करना चाहता था पाक नागरिक फायरिंग में हुई मौत बीती रात एक पाकिस्तानी नागरिक भारतीय सरहद को पार करने की कोशिश कर रहा है था. भारत के बीएसएफ जवानों ने उसे अलर्ट किया और रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन वह पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ. जिससे मजबूरन भारतीय जवानों को फायरिंग करनी पड़ी. जिसमें उसकी मौत हो गई. तलाशी के दौरान उसके पास से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ लेकिन कुछ सिगरेट मिलें हैं. इसके पहले 26 जून को भारतीय जवानों ने 3 आतंकियों को ढेर कर दिया था.

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Modi 3.0 : आतंकवाद का एक-एक देश करेगा निंदा.. भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर अमेरिका ने दी टिप्पणी

Modi 3.0 : 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से पाकिस्तान और भारत के बीच संबंधों में गिरावट देखी गई है. इस बीच अब भारत-पाकिस्तान के संबंधों को लेकर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल की ओर से एक टिप्पणी आई है. उन्होंने कहा है कि हमें उम्मीद है कि दुनिया भर के देश आतंकवाद की निंदा जरूर करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम किसी भी देश का अपने पड़ोसी के साथ अधिक सकारात्मक संबंध बनाने का स्वागत करते हैं. वहीं भारत का उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान से लगातार संबंध तो खराब हो रहे हैं. भारतीय प्रधानमंत्री मोदी अपने बयान में पहले ही कह चुके हैं कि वह पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते. पीएम मोदी के इसी पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध वाले बयान का जवाब देते हुए अमेरिका के प्रधान उप प्रवक्ता पटेल ने कहा की दुनिया का कोई भी देश आतंकवाद का विरोध जरूर करेगा. पटेल से प्रेस ब्रीफिंग के दौरान यह भी पूछा गया कि भारत और पाकिस्तान के संबंधों के बीच अमेरिका अपने आप को कहा देखता है. जिसको लेकर पटेल ने स्पष्ट किया कि वार्ता दायरा और चरित्र दोनों पड़ोसियों को मिलकर तय करना है. भारत और अमेरिका के बीच गहरे हो रहे हैं संबंध वेदांत पटेल ने भारत अमेरिका के संबंधों के बारे में भी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि भारत के साथ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है. पटेल का मानना है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों और सुरक्षा सहयोग में संबंध काफी गहरे हुए हैं. भारत अमेरिका के बीच संबंधों को मिलेगी गति – अमेरिकी रक्षा मंत्री अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भारत और अमेरिका के बीच गहरे होते संबंध की सराहना किया है. उनका कहना है कि यह रिश्ता समान दृष्टिकोण और समान मूल्यों पर आधारित है और संबंधों को मजबूत करने में न केवल गति मिलेगी बल्कि इसमें और तेजी भी आएगी.

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Ripples of War : यूक्रेन युद्ध कैसे दुनिया में नई विश्व व्यवस्था को आकार दे रहा है, 3 साल बाद क्या है रूस की स्थिति

Ripples of War :  रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है. फरवरी 2022 में जब रूस ने पहली बार यूक्रेन पर हमला किया तो माना जा रहा था कि रूस जैसा शक्तिशाली देश 2 लाख से भी कम सैनिक वाले देश यूक्रेन पर शीघ्र विजय हासिल कर लेगा. रूसी राष्ट्रपति पुतिन को उम्मीद थी कि जैसे उन्होंने 2008 में जॉर्जिया और 2014 में क्रीमिया में किया था वैसी ही जीत यूक्रेन पर भी हासिल कर लेंगे. यूक्रेन की मदद के लिए पश्चिमी देशों की ओर से सैन्य सहायता, प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय भाड़े के सैनिक भेजे गए, जिसका परिणाम रहा की रूस को भी अपने मित्रवत देशों की ओर मदद के लिए झुकना पड़ा. अमेरिका के दुश्मन देशों से रूस बढ़ा रहा है दोस्ती युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने पहले चीन से अपने रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया तो वहीं 24 साल में पहली बार पुतिन उत्तर कोरिया के दौरे पर गए. जहां उन्होंने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात की. यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के पश्चात रूस उन देशों के आगे अपने दोस्ती के हाथ फैला रहा है जिन देशों का अमेरिका के साथ तनाव चल रहा है. रूस यूक्रेन के बीच शुरू हुआ युद्ध अब केवल दो देशों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इस युद्ध की वजह से दुनिया तीन धड़ों में बटनी शुरू हो गई है. कई देश यूक्रेन के पक्ष में है तो कई देश रूस के सहयोग में. भारत जैसे कई देश अभी भी निष्पक्ष बने हुए हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध में पश्चिम की रणनीति क्या है रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन को टिके रहने के लिए आर्थिक सहायता के साथ-साथ सैन्य सहायता भी पश्चिमी देशों की ओर से पहुंचाई जा रही है. इसी वर्ष 2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होना है. जिसमें एक बार पुनः बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबला होने वाला है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव का असर यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता पर भी देखने को मिल सकता है. प्रतिबंधों का रूस पर प्रभाव रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए यूक्रेन युद्ध के बाद कई तरीके के प्रतिबंध लगाए गए. यूरोप के देशों ने रूस से आने वाली ऊर्जा की खरीदारी में कटौती की. लेकिन रूस ने इन देशों को छोड़कर भारत चीन और ब्राजील जैसी बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को भारी छूट पर कच्चे तेल की सप्लाई शुरू कर दिया. इतना ही नहीं इन कच्चे तेलों की सप्लाई के लिए रूस ने खुद की शिपिंग जहाज का एक बेड़ा भी इकट्ठा कर लिया. रूस डॉलर की जगह अन्य मुद्राओं की ओर रुख करने लगा. मुख्य रूप से रूस ने चीनी मुद्रा युआन को अपनाया. रूस यूक्रेन युद्ध का विश्व पर प्रभाव युद्ध शुरू होने के बाद रूस के दो पड़ोसी देश स्वीडन और फिनलैंड अपनी सुरक्षाओं को मजबूती देने के लिए नाटो में शामिल हो गए. रूस कई वर्षों से यूरोप के देशों के साथ अपने आर्थिक संबंध मजबूत बनाने की कोशिश में लगा था जो इस युद्ध की वजह से अब टूट चुका है. रूस का उसके पड़ोसी देशों पर पकड़ कमजोर हो रही है. इस युद्ध की वजह से रूस के कई पड़ोसी देश नाटो में शामिल होने की कतार में खड़े हैं.

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