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Mahashivratri 2025
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Mahashivratri 2025: इस साल किस डेट को मनाई जाएगी महाशिवरात्रि ? जानिए तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि(Mahashivratri) का व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. हिंदू धर्म में त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. अगर आप भी महाशिवरात्रि का व्रत रख रही है तो आपको इसकी तिथि और मुहूर्त के बारे में जान लेना चाहिए. हर साल महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन बनी रहती है. ऐसे में स्टोरी में आपको सही तिथि के बारे में पता चलेगा. कब है महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025)   हिंदू पंचांग के अनुसार देखा जाए तो महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ रही है. बुधवार के दिन 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 पर शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा. महाशिवरात्रि की पूजा 27 फरवरी सुबह 8:54 मिनट पर भी है. महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी को ही रखा जाएगा. पूजा का शुभ मुहूर्त   महाशिवरात्रि के दिन पूजा पाठ करने वाले हैं तो शुभ मुहूर्त के बारे में पता होना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन निशिता कल में पूजा करने का विशेष महत्व होता है. 26 फरवरी के दिन रात में 12:09 पर पूजा की शुरुआत हो जाती है. महाशिवरात्रि के दिन क्या होता है ?   महाशिवरात्रि के दिन जातकों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए भोलेनाथ मनोकामना पूर्ति करते हैं. महाशिवरात्रि के दिन शिवालय से शिव की बारात निकाली जाती है. इसके बाद भोलेनाथ की पूजा की जाती है और उनकी मूर्ति को स्थापित किया जाता है. इन चीजों का करें अर्पण   महाशिवरात्रि की पूजा के दौरान महापुररोहितों के अनुसार बेलपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए. इस दिन आपको शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से भोग लगाना चाहिए. इन सभी चीजों का अर्पण करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा आपको गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा भी शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. यह भी पढ़ें – Naga Sadhu Lifestyle: अचानक से महाकुंभ में कैसे नजर आते हैं नागा साधु, मेले के बाद हो जाते हैं गायब

Ram Ji Ki Puja Vidhi
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Ram Ji Ki Puja Vidhi: आज है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ, घर पर इस तरह करें राम जी की पूजा

Ram Ji Ki Puja Vidhi: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा काफी धूमधाम से की गई थी जो 22 जनवरी को हुई थी. इस दिन खास तैयारी की गई थी बॉलीवुड सितारे और राजनेता तक माहौल बनाने पहुंचे थे. प्राण प्रतिष्ठा का यह दिन किसी त्योहार से कम नहीं था आज राम मंदिर में रामलला  की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ( Ram Mandir Pran Pratishtha Anniversary) है. भले ही प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ आज के दिन है लेकिन इसे 11 जनवरी को मनाया जा चुका है. ऐसा करने के पीछे धार्मिक कारण रहा है. भारतीय काल गणना की वजह से राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ 11 जनवरी को मनाई गई थी. आप भी घर पर आज के दिन भगवान राम की पूजा (Ram Ji Ki Puja Vidhi) कर सकते हैं. भगवान राम की पूजा करने से मानसिक शांति ही नहीं बल्कि व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल करता है. श्री राम जी की पूजा कैसे करें? (Ram Ji Ki Puja Vidhi) राम रक्षा स्त्रोत का पाठ रोजाना आपको सुबह-सुबह उठकर स्नान करने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. इसके बाद आपको पंचामृत से स्नान करना चाहिए और पवित्र वस्त्र पहनना चाहिए. रामचरितमानस का पाठ इतना करने के बाद आपको भगवान राम की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद सुख समृद्धि के लिए रामचरितमानस का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा अगर आप सुंदरकांड पाठ करना चाहे तो यह भी सही रहता है. भजन कीर्तन घर पर ही राम पूजा करते समय आपको हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए. इस दौरान आपके परिवार के सदस्य, पड़ोसी और करीबियों के साथ मिलकर भजन कीर्तन करना चाहिए. मंत्रों का जाप राम की पूजा करते समय आपको अपनी सभी इच्छाओं को अपने ध्यान में रखकर भगवान राम के मंत्रों का जाप करें. रामजी का गायत्री मंत्र ओम दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धी महि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥ इन मंत्रों का जाप आपको 108 बार करना है. भोग लगाएं श्री राम जी की पूजा के बाद आपको भोग लगाना चाहिए. भगवान को चढ़ाया गया भोग आपको परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों में बांट देना चाहिए. शाम के समय आपको घी का दीपक जलाना चाहिए और मंदिर जाना चाहिए.

Naga Sadhu Lifestyle
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Naga Sadhu Lifestyle: अचानक से महाकुंभ में कैसे नजर आते हैं नागा साधु, मेले के बाद हो जाते हैं गायब

Naga Sadhu Lifestyle: 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ (mahakumbh 2025) प्रयागराज संगम में शुरू हो चुका है. प्रयागराज में भक्तों से भरा हुआ एक अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है। प्रयागराज में बड़े-बड़े तंबू, नागा साधु(Naga Sadhu), चिलम सुन गाते हुए बाबा, जाता लहराते हुए संत नजर आ रहे हैं. शायद ही यह नजर कभी देखने को मिलता है. सोचने वाली बात है की महाकुंभ के दौरान ही नागा साधु कैसे नजर आते हैं और अन्य दिनों में कहां गायब हो जाते हैं. कुंभ मेले (Kumbh Mela) में स्नान करने के लिए लाखों की संख्या में देश-विदेश से भक्त इकट्ठा होते हैं. इस दौरान नागा साधुओं का अलग का अलग ही मेला होता है. कब से कब तक चलेगा मेला प्रयागराज में महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 जनवरी तक जारी रहेगा. 45 दिनों तक यह महाकुंभ रहने वाला है. इस दौरान देश के कोने-कोने से भक्त महाकुंभ में स्नान करने आएंगे. यहां से आते हैं लोग सन्यासी नागा साधुओं के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं क्योंकि इनका जीवन काफी रहस्य से भरा होता है. नागा साधु कहां रहते हैं और कहां गायब हो जाते हैं इसके बारे में कोई नहीं जानता. नागा साधु उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश गुजरात के जूनागढ़ की गुफाओं से और हिमालय, हरिद्वार से आते हैं. इन साधुओं में कई वस्त्र धारण करते हैं तो कई निर्वस्त्र गुप्त स्थान पर तपस्या करते हैं. अक्सर नागा साधुओं को अर्ध कुंभ या कुंभ के मौके पर देखा जाता है. मेले के बाद कहां गायब हो जाते हैं नागा साधु नागा संन्यासियों के बारे में जानना बहुत मुश्किल होता है यह महाकुंभ मेले के बाद गुफा के अंदर सालों तक रहते हैं. इस वजह से यह अन्य दिनों में कहीं नजर नहीं आते हैं. नागा साधु गुफा बदलते रहते हैं और भोले बाबा की भक्ति में डूबे रहते हैं. यह अपना सारा जीवन जड़ी बूटी और कंदमूल के सहारे बिताते हैं. यह जंगलों में घूमते हैं और कुंभ या अर्ध कुंभ के मौके पर नजर आते हैं. कैसी होती है नागा साधुओं की लाइफस्टाइल (Naga Sadhu Lifestyle) नागा साधुओं के बारे में ऐसा भी कहा जाता है की वह भिक्षा मांग कर जीवन(Naga Sadhu Lifestyle) यापन करते हैं. एक नागा साधु को केवल सात घरों में ही भिक्षा दी जाती हैं. लोगों से जिस तरह कभी भिक्षा मिलता है उन्हें अपनी पसंद ना पसंद को नजर अंदाज करके प्रेम से भोजन को ग्रहण करना होता है. नागा साधु सोने के लिए पलंग खटिया या फिर किसी दूसरी चीजों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. यह भी पढ़ें – Mahakumbh Google Search: गूगल सर्च में हुआ बदलाव, महाकुंभ सर्च करने पर हो रही है फूलो की वर्षा

Mahakumbh Google Search
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Mahakumbh Google Search: गूगल सर्च में हुआ बदलाव, महाकुंभ सर्च करने पर हो रही है फूलो की वर्षा

Mahakumbh Google Search: महाकुंभ(Mahakumbh)की शुरुआत 13 जनवरी से हो चुकी है यह दुनिया भर में 26 फरवरी तक जारी रहेगा. प्रयागराज में महाकुंभ के लिए लाखों करोड़ों श्रद्धालु हिस्सा ले रहे हैं. लोग ही नहीं बल्कि गूगल भी महाकुंभ का जबरदस्त जश्न मना रहा है. अगर आप भी गूगल पर महाकुंभ सर्च (Mahakumbh Google Search) करते हैं तो आपके मोबाइल स्क्रीन पर गुलाब के फूलों की बारिश हो जाएगी. इस तरह के एनिमेशन लोगों को खुश कर रहे हैं गूगल ने इसका खास इंतजाम किया है. गूगल ने की पुष्प वर्षा(Mahakumbh Google Search)   हर खास मौके पर गूगल अपना डूडल रेडी करता है इस बार भी महाकुंभ के मौके पर खास एनीमेशन किया गया है. गूगल पर महाकुंभ सर्च करने पर गुलाब की पंखुड़ियां की वर्षा होने लगती है. गूगल पर सर्च ओपन करके आप यहां हिंदी या इंग्लिश में महाकुंभ लिख सकते हैं. जब आप टाइप करेंगे तो रिजल्ट के साथ ही गुलाब की पंखुड़ियों गाड़ियों की बारिश होने लगेगी. शेयर का ऑप्शन   अगर आप इस खूबसूरत एनीमेशन को लोगों के साथ शेयर करते हैं तो आपको नीचे तीन ऑप्शन मिलते हैं. पहले ऑप्शन से आप एनीमेशन को बंद कर सकते हैं दूसरा ऑप्शन क्लिक करते ही गुलाब की पंखुड़ियां नजर आएगी. इसके बाद तीसरा ऑप्शन क्लिक करने के बाद आपको एनीमेशन को शेयर करने का मौका मिलता है. स्क्वाड गेम का प्रमोशन   स्क्विड गेम सीजन 2 के प्रमोशन के लिए भी गूगल ने एक एनिमेशन रेडी किया था. यह एक ऐसा मौका था जब यूजर्स गूगल सर्च पर ही इस गेम को खेल सकते थे. गेम के अंदर आपको ग्रीन कलर के स्वेटशर्ट में छह वर्चुअल अनोखे किरदार देखने को मिले होंगे. स्क्रीन पर आपको गेम कंट्रोलर्स भी मिल रहे थे. यह भी पढ़ें- Makar Sankranti Special: मकर संक्रांति में इन राशियों का गोल्डन टाइम शुरू, किस्मत पलटने में नहीं लगेगा समय

Makar Sankranti Special
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Makar Sankranti Special: मकर संक्रांति में इन राशियों का गोल्डन टाइम शुरू, किस्मत पलटने में नहीं लगेगा समय

Makar Sankranti Special: चंद्र ग्रह की बात करें तो यह हर सवा दिन पर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्र ग्रह राशि और नक्षत्र दोनों का परिवर्तन कर देता है. जब व्यक्ति के जीवन में यह स्थिति मजबूत होती है तो वह बड़ी से बड़ी ऊंचाइयों तक जा सकता है. 14 जनवरी को मकर संक्रांति के मौके(Makar Sankranti Special) पर कुछ राशियों की किस्मत पलटने वाली है उनके लिए चंद्र ग्रह काफी खास रहने वाला है. इस दिन शुरू होगा चंद्र गोचर(Makar Sankranti Special)   14 जनवरी को मंगलवार के दिन सुबह 4:19 से ही चंद्र गोचर(Chandra Gochar 2025) कर्क राशि में प्रवेश कर जाएगा. इस तरह से 12 राशियों में शुभ और अशुभ चीजों का पता चलेगा. मेष राशि(Aries)   मेष राशि के जातकों की बात करें तो चंद्र ग्रह की कृपा से उनके सभी कार्य पूरे होंगे. घर परिवार में खुशहाली बनी रहेगी और जीवनसाथी का भरपूर साथ मिलेगा. इसके अलावा किस्मत भी आपके साथ रहेगी और सोचे हुए सारे काम पूरे होंगे. कर्क राशि(Cancer)   कर्क राशि की बात करें तो चंद्र गोचर आपके लिए लाभकारी रहने वाला है. अगर आप कहीं इन्वेस्टमेंट के बारे में सोच रहे हैं तो अच्छा खासा मुनाफा मिलेगा. आज के दिन आपके घर रिश्तेदार आ सकते हैं कामकाज बढ़ सकते हैं. आपकी आय में वृद्धि होगी तनाव से मुक्ति मिलेगी। आज के दिन आपकी सोच हुए सभी काम पूरे होंगे. आसपास के लोगों से आपकी बेहतर बनेगी. आपको अपनी दुश्मनों से थोड़ा सा सतर्क रहना चाहिए. कन्या राशि(Virgo)   कन्या राशि वालों के लिए चंद्र गोचर उत्तम रहेगा। आज के दिन आपको कोई खुशखबरी मिल सकती है जमीन खरीद बिक्री का मामला सही चलेगा. अगर आप पढ़ाई के क्षेत्र में है तो सफलता हासिल होगी. ऑफिस में सेक्स वीडियो का साथ मिलेगा और धन में वृद्धि होगी. आपको मनचाहा जीवन साथी मिलेगा नौकरी में तरक्की होगी. इसके अलावा आज के दिन आप गाड़ी खरीद सकते हैं निवेश कर सकते हैं यह काम आपके लिए शुभ होगा.

Paush Amavasya 2024
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Paush Amavasya 2024: जानिए कब है पौष अमावस्या, जानिए कैसे करे इस दिन पूर्वजों को खुश

Paush Amavasya 2024: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। इस दिन स्नान-दान आदि करने से शुभ लाभ मिलता है. अमावस्या के दिन पिंडदान करने और पितरों को तर्पण करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है. 30 दिसंबर को इस वर्ष की आखिरी अमावस्या है. यह सोमवार है, इसलिए सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं कि 2024 की आखिरी अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए ताकि आप अच्छे फलों को पा सकें. क्या करने से मिलेगा पुन्य(Paush Amavasya 2024)   2024 की आखिरी अमावस्या के दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करना जरूर करें. अमावस्या के दिन गरीबों और असहाय लोगों को भोजन दें. अमावस्या के दिन कपड़े, काला तिल, दही, दूध और चीनी दें. अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों की पूजा करें। ऐसा करने से घर में धन आता है. सोमवती अमावस्या पर घी का दीया ईशान कोण में जलाएं. देवी-देवता इससे खुश होते हैं. सूर्य देव को अमावस्या के दिन तांबे के लोटे में जल और काला तिल डालकर जल अर्पित करें. अमावस्या के दिन पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए पितरों के नाम का दीया भी जलाएं. कब है शुभ मुहूर्त (Amavasya 2024 tith)   पौष महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 30 दिसंबर 2024 को सुबह 4 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी और 31 दिसंबर को तड़के 3 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी. पंचांग के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन स्नान करने का ब्रह्म मुहूर्त सुबह पांच बजे से छह बजे तक रहेगा. अमावस्या के दिन स्नान करने के लिए यह सबसे अच्छा मुहूर्त होगा. इसके बाद इन दोनों समय में स्नान भी कर सकते हैं. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे 3 बजे से 12 बजे 45 बजे तक रहेगा. जानें वृद्धि योग   इस योग के नाम से ही आप जान सकते हैं कि यह वृद्धि करने वाला योग है. वृद्धि योग में आप जो भी काम करेंगे, वह बिना किसी विघ्न और बाधा के सफल होगा. वृद्धि योग में कोई भी नया कार्य या बिजनेस शुरू करना उत्तम होता है क्योंकि उसमें सफलता मिलती है और उसमें हमेशा बढ़ोत्तरी होती है.

Vastu Tips For New Year
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Vastu Tips For New Year: नए साल में करें नई शुरुआत, ये वास्तु टिप्स लाएंगे आर्थिक लाभ

Vastu Tips For New Year: वास्तु का सीधा संबंध धन दौलत और सुख समृद्धि से होता है। वास्तु के नियम में यदि आप थोड़ी भी गड़बड़ी करते हैं तो आपका पूरा जीवन दुख से भर जाता है. नया साल आने ही वाला है नए साल की बेहतरीन शुरुआत करने के लिए आपको वास्तु के कुछ खास टिप्स (Vastu Tips For New Year) फॉलो कर लेने चाहिए. नए साल के लिए वास्तु टिप्स आर्थिक तंगी और सुख समृद्धि के लिए काम आते हैं. वास्तु के लिए टिप्स पारिवारिक शांति और आपकी सेहत के लिए बेहद कारगर साबित होते हैं. उत्तर दिशा(North Direction)   साल 2025 को अगर आप खुशियों के साथ शुरू करना चाहते हैं तो वास्तु के नियम फॉलो करना बहुत जरूरी है. अगर आपको अपने जीवन में सुख समृद्धि और धन संपत्ति की कमी नहीं होने देनी है तो यह उपाय आपके लिए बेहतर है. आपको अपने घर की उत्तर दिशा को साफ सुथरा और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाना चाहिए. दक्षिण दिशा(South Direction)   नए साल की शुरुआत में आपको दक्षिण दिशा पर खास ध्यान देना चाहिए यह आपको आर्थिक तंगी से बाहर निकालता है. आपको अपने घर की तिजोरी को दक्षिण दिशा में स्थापित करना चाहिए. दक्षिण दिशा में घर की तिजोरी को रखने से सालों भर पैसों की कमी नहीं होती है. किचन के लिए वास्तु नियम (Vastu Tips For New Year)   किचन के लिए भी वास्तु नियम होते हैं जो कभी भी अन्न धन की कमी नहीं होने देते. आर्थिक उन्नति सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है जो कभी भी घर में खाने-पीने संबंधी परेशानियों को नहीं आने देती है. मुख्य द्वार   वास्तु के नियम के अनुसार घर के मुख्य द्वार से माता लक्ष्मी का प्रवेश होता है. मुख्य द्वार से जुड़े हुए भी वास्तु के नियम होते हैं इसके लिए आपको इस तरफ साफ सफाई रखना बहुत जरूरी है. घर के मुख्य द्वार पर आम या फिर पीपल का पत्ता बांधना शुभ माना जाता है. इस तरह से घर के मुख्य द्वार से सुख समृद्धि आती है.

Kharmas December 2024
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Kharmas December 2024: कल से है खरमास की शुरुआत,आज ही करें सारे शुभ काम, जानिए क्या करें और क्या नहीं

Kharmas December 2024: यदि आप शादी-विवाह या कोई भी मांगलिक कार्य करने की योजना बना रहे हैं, तो इसे जल्द निपटा लें। मार्च में खरमास (Kharmas) की शुरुआत होगी, जिसके बाद होलाष्टक का प्रभाव रहेगा. इस दौरान शुभ तिथियां नहीं मिल पाएंगी, और मांगलिक कार्यों पर रोक लगेगी. इसलिए, शुभ कार्यों को पूरा करने के लिए यह समय सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इसके बाद कई दिनों तक कोई शुभ तिथि नहीं मिलेगी. खरमास का समय और असर   खरमास  साल में दो बार लगता है, जब भगवान सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं. इस साल 14 मार्च को खरमास शुरू होगा, जो 13 अप्रैल 2024 तक रहेगा. इस दौरान विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश, नए मकान का निर्माण या नई दुकान का शुभारंभ जैसी मांगलिक कार्यों की मनाही रहती है. साथ ही, इस समय में वाहन की खरीदारी भी नहीं की जाती है.। 17 मार्च से होलाष्टक की शुरुआत होगी, जो 24 मार्च तक चलेगा. खरमास और होलाष्टक के दौरान जप और तप करना शुभ माना जाता है. सूर्य से होते हैं बदलाव   सूर्य के राशि परिवर्तन से ऋतुओं में बदलाव होता है, और खरमास के दौरान हेमंत ऋतु का प्रभाव रहता है. सूर्य के धनु राशि में आते ही दिन छोटे और रातें लंबी होने लगती हैं, साथ ही मौसम में भी परिवर्तन होने लगता है. सूर्य का गुरु की राशि में प्रवेश मौसम में अचानक बदलाव ला सकता है, जिसके कारण खरमास के दौरान कई बार बादल, धुंध, बारिश या बर्फबारी जैसी परिस्थितियाँ बन सकती हैं. यह समय मौसम के अनचाहे बदलाव के लिए जाना जाता है. खरमास में क्यों नहीं होते शुभ काम   खरमास के दौरान शुभ मुहूर्त नहीं रहते क्योंकि सूर्य एक प्रमुख देवता हैं, और किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में उनका पूजन किया जाता है. जब सूर्य गुरु की सेवा में होते हैं, तो सूर्य की शक्ति कम हो जाती है, और साथ ही गुरु ग्रह का बल भी कमजोर पड़ता है. इन दोनों ग्रहों की कमजोर स्थिति के कारण मांगलिक कर्मों को करने की सलाह नहीं दी जाती है. खासतौर पर विवाह के समय सूर्य और गुरु ग्रह की अच्छी स्थिति होने से विवाह सफल होने की संभावना बढ़ जाती है, जो खरमास के दौरान नहीं होती. मकर संक्रांति पर खत्म होगा खरमास (Kharmas December 2024)   खरमास 15 दिसंबर 2024 से शुरू होकर 14 जनवरी 2025 तक चलेगा। पंचांग के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के साथ ही खरमास (Kharmas) का समापन हो जाता है. इस दिन सूर्य का मकर राशि में गोचर होना शुभ कार्यों की शुरुआत का संकेत देता है. 14 जनवरी को सूर्य मकर में प्रवेश करेंगे, और खरमास समाप्त हो जाएगा, जिससे मांगलिक कार्यों के लिए उपयुक्त समय शुरू होगा. खरमास में दान का महत्व (Kharmas December 2024)   खरमास के दौरान दान का विशेष महत्व है। इस समय दान करने से तीर्थ स्नान के समान पुण्य फल प्राप्त होता है. निष्काम भाव से किए गए व्रतों का अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं. खरमास में जरूरतमंदों, साधुजनों और दुखियों की सेवा करना भी अत्यधिक शुभ माना जाता है. इसके साथ ही, घर के आसपास किसी मंदिर में पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, घी, तेल, अबीर, गुलाल, हार-फूल, दीपक, धूपबत्ती आदि दान करना भी पुण्यकारी होता है. खरमास के दौरान अपने शुभ कार्यों को शीघ्र निपटाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बाद कई दिनों तक शुभ तिथियां नहीं मिलेंगी. दान और व्रत से पुण्य मिलना और ग्रहों की कमजोर स्थिति के कारण मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए. इस समय का सही उपयोग करके आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.

Shravana Putrada Ekadashi 2024
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Shravana Putrada Ekadashi 2024 : नहीं हो रही है संतान, तो पुत्रदा एकादशी पर जरूर करे ये खास पाठ

Shravana Putrada Ekadashi 2024 :  सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है, और इस पवित्र समय में लोग शिवजी की पूजा-अर्चना करके उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। इस माह में एक महत्वपूर्ण पर्व आता है जिसे सावन पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति और संतान की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। सावन पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करने से संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन नवविवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है जो संतान सुख की इच्छा रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रताप से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है और उनके परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन महिलाएं विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करती हैं और संतान की कामना के लिए संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ अवश्य करती हैं। संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करना इस व्रत का मुख्य हिस्सा माना जाता है, जिससे व्रत रखने वाली महिला के जीवन में संतान सुख की प्राप्ति होती है। व्रत के दिन भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, फल, फूल और पंचामृत से स्नान कराकर उनकी पूजा की जाती है। व्रतधारी को दिनभर उपवास रखकर भगवान का ध्यान करना चाहिए और संतान सुख की कामना करनी चाहिए। संध्या समय भगवान की आरती और भजन-कीर्तन करना विशेष लाभकारी माना गया है। सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत करना सरल नहीं होता, लेकिन इसे विधि-विधान से करने पर मनोवांछित फल अवश्य प्राप्त होते हैं। यदि आप इस व्रत से संतान सुख की प्राप्ति चाहते हैं या अपने परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं, तो इस व्रत के दौरान संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत आवश्यक है। यह पाठ भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने में सहायक होता है, जिससे जीवन में खुशहाली और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, यह व्रत जीवन में हर दृष्टि से कल्याणकारी साबित होता है। संतान गोपाल स्तोत्रम् श्रीशं कमलपत्राक्षं देवकीनन्दनं हरिम् । सुतसम्प्राप्तये कृष्णं नमामि मधुसूदनम् ॥1॥ नमाम्यहं वासुदेवं सुतसम्प्राप्तये हरिम् । यशोदांकगतं बालं गोपालं नन्दनन्दनम् ॥ अस्माकं पुत्रलाभाय गोविन्दं मुनिवन्दितम् । नमाम्यहं वासुदेवं देवकीनन्दनं सदा ॥ गोपालं डिम्भकं वन्दे कमलापतिमच्युतम् । पुत्रसम्प्राप्तये कृष्णं नमामि यदुपुंगवम् ॥ पुत्रकामेष्टिफलदं कंजाक्षं कमलापतिम् । देवकीनन्दनं वन्दे सुतसम्प्राप्तये मम ॥ पद्मापते पद्मनेत्र पद्मनाभ जनार्दन । देहि में तनयं श्रीश वासुदेव जगत्पते ॥ यशोदांकगतं बालं गोविन्दं मुनिवन्दितम् । अस्माकं पुत्रलाभाय नमामि श्रीशमच्युतम् ॥ श्रीपते देवदेवेश दीनार्तिहरणाच्युत । गोविन्द मे सुतं देहि नमामि त्वां जनार्दन ॥ भक्तकामद गोविन्द भक्तं रक्ष शुभप्रद । देहि मे तनयं कृष्ण रुक्मिणीवल्लभ प्रभो ॥ रुक्मिणीनाथ सर्वेश देहि मे तनयं सदा । भक्तमन्दार पद्माक्ष त्वामहं शरणं गत: ॥ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥ वासुदेव जगद्वन्द्य श्रीपते पुरुषोत्तम । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥ कंजाक्ष कमलानाथ परकारुरुणिकोत्तम । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥ लक्ष्मीपते पद्मनाभ मुकुन्द मुनिवन्दित । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥ कार्यकारणरूपाय वासुदेवाय ते सदा । नमामि पुत्रलाभार्थं सुखदाय बुधाय ते ॥ राजीवनेत्र श्रीराम रावणारे हरे कवे । तुभ्यं नमामि देवेश तनयं देहि मे हरे ॥ अस्माकं पुत्रलाभाय भजामि त्वां जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण वासुदेव रमापते ॥ श्रीमानिनीमानचोर गोपीवस्त्रापहारक । देहि मे तनयं कृष्ण वासुदेव जगत्पते ॥ अस्माकं पुत्रसम्प्राप्तिं कुरुष्व यदुनन्दन । रमापते वासुदेव मुकुन्द मुनिवन्दित ॥ वासुदेव सुतं देहि तनयं देहि माधव । पुत्रं मे देहि श्रीकृष्ण वत्सं देहि महाप्रभो ॥ डिम्भकं देहि श्रीकृष्ण आत्मजं देहि राघव । भक्तमन्दार मे देहि तनयं नन्दनन्दन ॥ नन्दनं देहि मे कृष्ण वासुदेव जगत्पते । कमलानाथ गोविन्द मुकुन्द मुनिवन्दित ॥ अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम । सुतं देहि श्रियं देहि श्रियं पुत्रं प्रदेहि मे ॥ यशोदास्तन्यपानज्ञं पिबन्तं यदुनन्दनम् । वन्देsहं पुत्रलाभार्थं कपिलाक्षं हरिं सदा ॥ नन्दनन्दन देवेश नन्दनं देहि मे प्रभो । रमापते वासुदेव श्रियं पुत्रं जगत्पते ॥ पुत्रं श्रियं श्रियं पुत्रं पुत्रं मे देहि माधव । अस्माकं दीनवाक्यस्य अवधारय श्रीपते ॥ गोपालडिम्भ गोविन्द वासुदेव रमापते । अस्माकं डिम्भकं देहि श्रियं देहि जगत्पते ॥ मद्वांछितफलं देहि देवकीनन्दनाच्युत । मम पुत्रार्थितं धन्यं कुरुष्व यदुनन्दन ॥ याचेsहं त्वां श्रियं पुत्रं देहि मे पुत्रसम्पदम् । भक्तचिन्तामणे राम कल्पवृक्ष महाप्रभो ॥ आत्मजं नन्दनं पुत्रं कुमारं डिम्भकं सुतम् । अर्भकं तनयं देहि सदा मे रघुनन्दन ॥ वन्दे सन्तानगोपालं माधवं भक्तकामदम् । अस्माकं पुत्रसम्प्राप्त्यै सदा गोविन्दच्युतम् ॥ ऊँकारयुक्तं गोपालं श्रीयुक्तं यदुनन्दनम् । कलींयुक्तं देवकीपुत्रं नमामि यदुनायकम् ॥ वासुदेव मुकुन्देश गोविन्द माधवाच्युत । देहि मे तनयं कृष्ण रमानाथ महाप्रभो ॥ राजीवनेत्र गोविन्द कपिलाक्ष हरे प्रभो । समस्तकाम्यवरद देहि मे तनयं सदा ॥ अब्जपद्मनिभं पद्मवृन्दरूप जगत्पते । देहि मे वरसत्पुत्रं रमानायक माधव ॥ नन्दपाल धरापाल गोविन्द यदुनन्दन । देहि मे तनयं कृष्ण रुक्मिणीवल्लभ प्रभो ॥ दासमन्दार गोविन्द मुकुन्द माधवाच्युत । गोपाल पुण्डरीकाक्ष देहि मे तनयं श्रियम् ॥ यदुनायक पद्मेश नन्दगोपवधूसुत । देहि मे तनयं कृष्ण श्रीधर प्राणनायक ॥ अस्माकं वांछितं देहि देहि पुत्रं रमापते । भगवन् कृष्ण सर्वेश वासुदेव जगत्पते ॥ रमाहृदयसम्भार सत्यभामामन:प्रिय । देहि मे तनयं कृष्ण रुक्मिणीवल्लभ प्रभो ॥ चन्द्रसूर्याक्ष गोविन्द पुण्डरीकाक्ष माधव । अस्माकं भाग्यसत्पुत्रं देहि देव जगत्पते ॥ कारुण्यरूप पद्माक्ष पद्मनाभसमर्चित । देहि मे तनयं कृष्ण देवकीनन्दनन्दन ॥ देवकीसुत श्रीनाथ वासुदेव जगत्पते । समस्तकामफलद देहि मे तनयं सदा ॥ भक्तमन्दार गम्भीर शंकराच्युत माधव । देहि मे तनयं गोपबालवत्सल श्रीपते ॥ श्रीपते वासुदेवेश देवकीप्रियनन्दन । भक्तमन्दार मे देहि तनयं जगतां प्रभो ॥ जगन्नाथ रमानाथ भूमिनाथ दयानिधे । वासुदेवेश सर्वेश देहि मे तनयं प्रभो ॥ श्रीनाथ कमलपत्राक्ष वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥ दासमन्दार गोविन्द भक्तचिन्तामणे प्रभो । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥ गोविन्द पुण्डरीकाक्ष रमानाथ महाप्रभो । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥ श्रीनाथ कमलपत्राक्ष गोविन्द मधुसूदन । मत्पुत्रफलसिद्धयर्थं भजामि त्वां जनार्दन ॥ स्तन्यं पिबन्तं जननीमुखाम्बुजं विलोक्य मन्दस्मितमुज्ज्वलांगम् । स्पृशन्तमन्यस्तनमंगुलीभि- र्वन्दे यशोदांकगतं मुकुन्दम् ॥ याचेsहं पुत्रसन्तानं भवन्तं पद्मलोचन । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥ अस्माकं पुत्रसम्पत्तेश्चिन्तयामि जगत्पते । शीघ्रं मे देहि दातव्यं भवता मुनिवन्दित ॥ वासुदेव जगन्नाथ श्रीपते पुरुषोत्तम । कुरु मां पुत्रदत्तं च कृष्ण देवेन्द्रपूजित ॥ कुरु मां पुत्रदत्तं च यशोदाप्रियनन्दन । मह्यं च पुत्रसंतानं दातव्यं भवता हरे ॥ वासुदेव जगन्नाथ गोविन्द देवकीसुत । देहि मे तनयं राम कौसल्याप्रियनन्दन ॥ पद्मपत्राक्ष गोविन्द विष्णो वामन माधव । देहि मे

Sawan 2024
ASTRO, INDIA

Sawan 2024 : सावन में नहीं खा रहे हैं प्याज लहसुन, तो ट्राई करें ये टेस्टी डिशेज

Sawan 2024 : सावन का महीना पवित्र माना जाता है और इस दौरान सात्विक खाया जाता है। इस दौरान आप भी बिना प्याज लहसुन वाला खाना खा रहे हैं तो आपको कुछ खास डिशेज के बारे में जान लेना चाहिए। आप इन सभी डिशेज को बिना प्याज और लहसुन के बना सकते हैं। सावन के पूरे महीने में शिव भक्त भगवान की भक्ति में लीन हो जाते हैं। अगर आप भी सोमवार का व्रत रखते हैं और भोलेनाथ की आराधना में लगे हुए हैं तो आपको भी इस दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि लोगों को बिना लहसुन प्याज का खाना पसंद नहीं आता। ऐसे लोगों के लिए कुछ खास डिशेज बताए गए हैं जो बिना लहसुन प्याज के स्वादिष्ट लगते हैं। बेसन की सब्जी बेसन की सब्जी एक राजस्थानी डिश है जिसमें स्पाइसी ग्रेवी को अच्छी तरह से पकाया जाता है। यह बिना प्याज लहसुन के बनाई जाती है और काफी स्वादिष्ट होती है। आप चाहे तो इस सब्जी को सिर्फ गरम मसाले के साथ बना सकते हैं और चावल के साथ खा सकते हैं। सावन के महीने में आप अपने सात्विक भोजन में इस रेसिपी को भी शामिल कर लीजिए। दही भिंडी अगर आप सावन के महीने में व्रत रख रहे हैं तो आपको दही भिंडी जैसी स्वादिष्ट डिश एक बार चख लेनी चाहिए। इस दिशा को बनाने के लिए लहसुन प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसे बनाने के लिए भिंडी को फ्राई कर लिया जाता है और मसाला बनकर तैयार किया जाता है। आप इस सब्जी को चावल या फिर रोटी के साथ खा सकते हैं। इस रेसिपी को आप सिर्फ सावन के महीने में ही नहीं बाकी दिनों में भी ट्राई कर सकते हैं। आलू गोभी अगर आपने भी सावन के महीने का व्रत रखा हुआ है, तो आपको लहसुन प्याज से हटकर आलू गोभी की सब्जी तरी करनी चाहिए। यह सब्जी आलू और गोभी की मदद से बनाई जाती है जो काफी स्पाइसी और मसालेदार होता है। इसे बनाने के लिए लहसुन प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। आप इस सब्जी को बनाने के लिए धनिया पाउडर जरा लाल मिर्च पाउडर गरम मसाले का इस्तेमाल कर सकते हैं। दाल तड़का दाल तड़का हर किसी को बहुत पसंद होता है लेकिन आप सोच रहे होंगे कि बिना लहसुन प्याज के याद तड़का कैसा लगेगा। हम आपको बता दे की दाल तड़का को बनाने के लिए आपको लहसुन प्याज की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप दाल में तड़का लगाने के लिए हींग जीरा मिर्च गरम मसाले का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको दाल तड़का चावल या रोटी के साथ खाना चाहिए यह काफी स्वादिष्ट लगेगा। शाही पनीर शाही पनीर की बात आती है तो लोग तरह-तरह के मसले का इस्तेमाल करने के बारे में सोचते हैं ताकि सब्जी स्वादिष्ट बने। अगर आप सावन के महीने में सात्विक भोजन कर रहे हैं तो आपको इसमें प्याज लहसुन से परहेज करना होगा। शाही पनीर को बनाने के लिए आपको इसकी क्रीमी ग्रेवी बना लेनी चाहिए इसके बाद आपको लहसुन प्याज की बिलकुल जरुरत नहीं पड़ेगी। शाही पनीर की ग्रेवी में आपको टमाटर दही क्रीम और नारियल का दूध मिला लेना चाहिए। इस तरह से आप इस स्वादिष्ट डिश को पूरे मजे के साथ खा सकते हैं।

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