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2025 Potential Pandemic Diseases
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2025 Potential Pandemic Diseases: महामारी का कारण बन सकती हैं ये 11 बीमारियां, जानें विशेषज्ञों की चेतावनी

2025 Potential Pandemic Diseases: कोरोना महामारी के बाद, जहां दुनिया भर के लोग महामारी के खतरे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं विशेषज्ञों ने 2025 में संभावित 11 बीमारियों को लेकर एक चेतावनी दी है. ये बीमारियां एक बार फिर से महामारी का कारण बन सकती हैं और इनके फैलने से पहले हमें सतर्क रहने की जरूरत है. इन बीमारियों में Disease X से लेकर डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां शामिल हैं, जो अब तक कई देशों में फैल चुकी हैं. Disease X: एक अनजान खतरा Disease X कोई वास्तविक बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी बीमारी को संदर्भित करता है जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. विशेषज्ञों का कहना है कि एक अज्ञात वायरस या बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी (2025 Potential Pandemic Diseases) का खतरा हमेशा रहता है. इसीलिए वैज्ञानिकों ने सरकारों से आग्रह किया है कि वे किसी भी अप्रत्याशित संक्रमण के लिए तैयार रहें, क्योंकि प्राकृतिक आपदाओं के कारण यह बीमारी बड़ी महामारी का रूप ले सकती है. डेंगू और चिकनगुनिया: मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां Dengue fever (डेंगू बुखार) मच्छरों के द्वारा फैलने वाली एक गंभीर वायरल बीमारी है. हर साल लाखों लोग इससे प्रभावित होते हैं और इसके मामले दुनिया भर में बढ़ते जा रहे हैं, खासकर South America और Southeast Asia में. डेंगू के अलावा Chikungunya (चिकनगुनिया) भी एक मच्छरों द्वारा फैलने वाली बीमारी है, जो 2024 में ब्राजील सहित अन्य देशों में तेजी से फैल चुकी है. विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में इसके मामलों में और वृद्धि हो सकती है. अन्य बीमारियां जिनसे रहना है सतर्क (2025 Potential Pandemic Diseases) विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ और बीमारियां भी हैं जिनसे हमें 2025 में सतर्क रहना चाहिए, जैसे कि West Nile Fever (वेस्ट नाइल फीवर), Measles (खसरा), Covid-19 (कोविड), Cholera (कालरा), Bird Flu (बर्ड फ्लू) और Antimicrobial-resistant bacteria (रोगाणुरोधी बैक्टीरिया). इनमें से कुछ बीमारियां (2025 Potential Pandemic Diseases) पहले भी महामारी का रूप ले चुकी हैं और इनका फिर से फैलना एक बड़े खतरे की वजह बन सकता है. इसके साथ ही Scabies (खुजली) और Whooping Cough (काली खांसी) जैसी समस्याएं भी चिंता का कारण हो सकती हैं, जो जल्दी फैल सकती हैं। क्या करें? इन बीमारियों से बचने के लिए हमें सही उपायों को अपनाने की जरूरत है. Hygiene (स्वच्छता) को बनाए रखना, समय-समय पर vaccinations (टीकाकरण) करवाना और मच्छरों से बचाव के लिए उपायों को फॉलो करना बहुत जरूरी है. इसके अलावा, विशेषज्ञों का कहना है कि हमें किसी भी अज्ञात बीमारी (2025 Potential Pandemic Diseases) के मामलों के प्रति तुरंत सावधान रहना चाहिए और जल्दी से जल्दी इसका इलाज करना चाहिए. 2025 में महामारी का खतरा पूरी दुनिया को सतर्क कर रहा है और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए.

Social Media Impact Youth Health
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Social Media Impact Youth Health: सोशल मीडिया बढ़ा रहा यंग जेनरेशन का ब्लड प्रेशर, दिल की बातें पहुंची सुसाइड तक

Social Media Impact Youth Health: सोशल मीडिया(Social Media) आज हर इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. जैसे खाना, पीना और सोना हमारी दिनचर्या का हिस्सा हैं, ठीक वैसे ही सोशल मीडिया भी. लेकिन इसका बढ़ता उपयोग आज की युवा पीढ़ी के लिए वरदान कम और अभिशाप ज्यादा बनता जा रहा है. Social Media Impact on Youth अब एक गंभीर चर्चा का विषय बन चुका है. बदलते समय के साथ बढ़ता सोशल मीडिया का क्रेज   कुछ साल पहले, सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित था. बारहवीं पास करने के बाद युवा अपना फेसबुक या इंस्टाग्राम अकाउंट बनाते थे और कभी-कभार अपनी बातें शेयर करते थे. लेकिन आज, चौथी क्लास के बच्चे भी Social Media Platforms पर सक्रिय हैं. न सिर्फ उनका वहां अकाउंट है, बल्कि वे अपने पोस्ट्स और फॉलोअर्स की गिनती पर भी ध्यान देते हैं. यह बदलाव भले ही तकनीकी जागरूकता को दर्शाता हो, लेकिन इसका दूसरा पहलू चिंता का विषय है. छोटी उम्र में ही बच्चे सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों का शिकार हो रहे हैं. सोशल मीडिया और बदलता व्यवहार   पहले जहां शिक्षक की डांट या टोक से बच्चे सीखते थे, अब वही टोकाटाकी सोशल मीडिया पर पोस्ट बनकर वायरल हो जाती है. बच्चे खुद को Gangster-like Personality के रूप में दिखाने लगते हैं. यह प्रवृत्ति न सिर्फ सामाजिक मूल्यों को प्रभावित कर रही है, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल रही है. मोहब्बत और सोशल मीडिया का नकारात्मक ट्रेंड   आजकल प्यार का इजहार भी सोशल मीडिया पर होता है और इसका अंजाम भी. कई युवा, रिश्तों में आई परेशानियों को सहन नहीं कर पाते और सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर Suicide Trends को बढ़ावा दे रहे हैं. यह खतरनाक चलन युवाओं की मानसिकता और उनकी Decision-Making Ability पर सवाल खड़ा करता है. युवाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर(Social Media Impact Youth Health)   सोशल मीडिया ने युवाओं को High Blood Pressure और तनाव का मरीज बना दिया है. लगातार लाइक्स और फॉलोअर्स की होड़, ट्रोलिंग और नकारात्मकता से युवाओं का आत्मविश्वास और मानसिक स्थिरता प्रभावित हो रही है. इसके साथ ही, उनकी प्रेशर सहने की ताकत और फैसले लेने की क्षमता भी कम हो गई है. समाधान की जरूरत   जरूरी है कि युवा सोशल मीडिया का सही और सीमित उपयोग करें। अभिभावकों और शिक्षकों को भी बच्चों को इसका सही उपयोग सिखाना होगा। सोशल मीडिया को जीवन का हिस्सा बनाएं, लेकिन इसे अपनी जिंदगी पर हावी न होने दें। सोशल मीडिया के इस बदलते दौर में, जिम्मेदारी से इसका उपयोग ही इसे वरदान बना सकता है।

Smoking Health Risk
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Smoking Health Risk: धूम्रपान छिन सकती हैं आपकी जिंदगी के 10 साल, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Smoking Health Risk: स्मोकिंग(Smoking) न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह जीवन को भी छोटा कर सकती है. हाल ही में की गई स्टडी से पता चला है कि smoking health Risk सिर्फ शारीरिक समस्याओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह औसत जीवन प्रत्याशा को 10-11 साल तक कम कर सकती है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) की इस स्टडी के अनुसार, एक सिगरेट पुरुषों की उम्र में औसतन 17 मिनट और महिलाओं की उम्र में 22 मिनट तक की कटौती कर सकती है. इस स्टडी ने सिगरेट पीने की आदतों और उनके स्वास्थ्य पर लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभावों पर गहराई से अध्ययन किया है. 10 साल की जिंदगी का नुकसान(Smoking Health Risk)   स्टडी के अनुसार, जो लोग smoking addiction को नहीं छोड़ते हैं, वे अपने जीवन के लगभग एक दशक को खो सकते हैं. 20 सिगरेट का एक सामान्य पैक पीने से व्यक्ति के जीवन से सात घंटे कम हो सकते हैं. ऐसे में यह स्पष्ट है कि स्मोकिंग न केवल आपकी उम्र को कम करती है, बल्कि आपके स्वस्थ जीवन के सालों को भी छीन लेती है. यह स्टडी बताती है कि स्मोकिंग छोड़ने की कोशिश बेहद जरूरी है. स्मोकिंग छोड़ने का प्रभाव   स्मोकिंग छोड़ना आपकी सेहत को सुधार सकता है और खोए हुए जीवन को वापस लाने में मदद कर सकता है. एक व्यक्ति जो रोजाना 10 सिगरेट पीता है, यदि वह एक हफ्ते तक सिगरेट छोड़ दे, तो वह अपनी जिंदगी के एक दिन को खोने से बचा सकता है. Quit smoking benefits के अनुसार, आठ महीने तक सिगरेट न पीने से एक महीने का जीवन बचाया जा सकता है. जल्दी बुढ़ापा और बीमारियां   धूम्रपान न केवल बीमारियों का कारण बनता है, बल्कि यह आपको जल्दी बूढ़ा भी बना देता है. स्टडी में बताया गया कि 60 साल का धूम्रपान करने वाला व्यक्ति 70 साल के गैर-धूम्रपान करने वाले व्यक्ति जैसा स्वास्थ्य रखता है. Life expectancy smoking के लिए स्मोकिंग छोड़ना ही सबसे अच्छा विकल्प है.

Public Toilet Creat UTI Infection
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Public Toilet Creat UTI Infection: ऑफिस का कॉमन टॉयलेट बन सकता है खतरनाक, खासकर महिलाएं सोच समझ कर करें इस्तेमाल

Public Toilet Creat UTI Infection: जब हम कहीं सफर करते हैं या फिर ऑफिस जाते हैं तो हमें पब्लिक टॉयलेट में जाना पड़ता है. ऑफिस के या फिर पब्लिक टॉयलेट की साफ सफाई का कितना ध्यान रखा जाता है इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. अब मन में यह सवाल आता है कि क्या पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन(UTI) पैदा कर सकता है ? अगर ऐसा होता है तो आप इसका बचाव कैसे करेंगे ऐसे कई सवाल मन में पैदा हो जाते हैं. क्या होता है UTI ?   यूटीआई एक बड़ा इंफेक्शन होता है जो एक तरह का यूरिन बैक्टीरिया होता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह ज्यादातर देखने को मिलता है. अगर इसके लक्षण की बात की जाए तो बार-बार पेशाब आना, पेशाब में जलन होना, पेट में दर्द होना और बुखार की समस्या भी होती है. कॉमन टॉयलेट में हो सकता है UTI (Public Toilet Creat UTI Infection)   इंडियन स्टाइल टॉयलेट ऐसे होते हैं जिनसे इस बीमारी का खतरा कम होता है. वही वेस्टर्न स्टाइल सेट की बात करें तो इसमें खतरा ज्यादा होता है. वेस्टर्न स्टाइल शीट खतरनाक इसलिए होते हैं क्योंकि हम इसके संपर्क में आते हैं इस तरह से बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट (Public Toilet Creat UTI Infection) में प्रवेश कर जाते हैं जिसकी वजह से यूटीआई होने का खतरा है. सिर्फ टॉयलेट सीट की वजह से ही ऐसा नहीं होता बल्कि कई दूसरे कारण भी होते हैं. कैसे करें बचाव   यूटीआई जैसी बीमारी से बचाव के लिए आपको उपाय के बारे में जान लेना चाहिए.   1. साफ करें टॉयलेट – टॉयलेट सीट का इस्तेमाल करने से पहले आपको टिशू पेपर से सेट को अच्छी तरह से कर कर देना चाहिए.2. हाथ धोएं – टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद आपको साबुन या हैंड वॉश की मदद से हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए.3. पेशाब करने के बाद आपको अच्छी तरह से एरिया साफ करना चाहिए.4. पानी पिएं – आपको अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि किसी तरह का इन्फेक्शन असर न कर पाए.5. ढीले कपड़े – ढीले कपड़े पहनने से पसीना आता है और बैक्टीरिया बिल्कुल भी नहीं पनपते हैं. डॉक्टर की सलाह कर लें ?   जब आपको UTI की प्रॉब्लम या फिर इसके कोई लक्षण नजर आते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टर आपको इस इन्फेक्शन को रोकने के लिए दवाइयां देते हैं ताकि आप पूरी तरह से ठीक हो सके.

Paracetamol Side Effects
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Paracetamol Side Effects: लीवर और किडनी पर असर करती है पेरासिटामोल की गोली, शरीर के अंग हो जाएंगे बीमार

Paracetamol Side Effects: पेरासिटामोल(Paracetamol) एक ऐसी दवाई है जिसे लोग थोड़ा सा बुखार होने पर भी खा लेते हैं जिसका असर शरीर पर होता है. बुखार के दौरान सिर दर्द, बदन दर्द जैसी समस्या होती है जिसके लिए लोग इस दवाई का इस्तेमाल करते हैं. एक रिसर्च से यह खुलासा हुआ है की पेरासिटामोल (Paracetamol Side Effects) का अधिक सेवन सेहत को खराब कर सकता है. इस दवाई को 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग सेवन करते हैं तो यह गुर्दे की समस्या को बढ़ा देता है. इस तरह से यह दवाई लीवर और किडनी पर इफेक्ट करती है. हो सकता है लीवर खराब(Paracetamol Side Effects)   अगर आप 4 ग्राम पेरासिटामोल ले रहे हैं तो यह आपकी लीवर को पूरी तरह से इफेक्ट करता है. पेरासिटामोल की गोली खाने से लीवर ही नहीं बल्कि पीलिया जैसी बीमारी भी हो सकती है. इसके अलावा त्वचा पर लाल दाने, सांस लेने में समस्या, एलर्जी, गैस, एसिडिटी जैसी प्रॉब्लम भी हो सकती है. किडनी कर देगा खराब   पेरासिटामोल की गोली का सेवन करने की वजह से आपकी किडनी भी खराब हो सकती है. अगर आप लॉन्ग टर्म तक लीवर की परेशानी झेल रहे हैं तो पेरासिटामोल की गोली बिल्कुल नहीं खानी चाहिए यह किडनी को भी डैमेज कर देती है. ऐसी स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट की समस्या भी हो जाती है और कितनी धीरे-धीरे काम करती है. हार्ट स्ट्रोक   पेरासिटामोल की गोली इतनी खतरनाक है की यह आपकी किडनी और लीवर के अलावा हार्ट अटैक और स्ट्रोक का भी खतरा बनती है. अगर आप इस होली का ज्यादा सेवन करते हैं तो इसका ज्यादा असर नहीं होता है. लेकिन जब सही में हमारे शरीर को इसकी जरूरत होती है तब यह काम नहीं करता है. पेरासिटामोल की गोली आपकी मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालती है जिससे डिप्रेशन और एंजायटी जैसी समस्या होने लगती है.

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Noida Food Sample Failure: नोएडा में हर दूसरा खाद्य सैंपल फेल, पनीर बना सबसे बड़ा खतरा

Noida Food Sample Failure: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में हुई जांच में (Noida Food Sample Failure) का चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। पिछले 8 महीनों में खाद्य पदार्थों के 395 नमूने जांच के लिए भेजे गए, जिनमें से 53% सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे। खासकर पनीर और मिठाइयों में सबसे ज्यादा मिलावट पाई गई, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। चौंकाने वाले आंकड़ेविभाग द्वारा 1 अप्रैल से 30 नवंबर के बीच 1608 निरीक्षण किए गए। इस दौरान कुल 395 सैंपल एकत्रित किए गए, जिनमें से अब तक 289 नमूनों की जांच रिपोर्ट सामने आ चुकी है। 94 सैंपल को मानकों से कमतर (substandard) पाया गया।44 सैंपल को अनसेफ घोषित किया गया।16 सैंपल पनीर के फेल पाए गए, जबकि मसालों के 15 नमूने भी मानकों पर खरे नहीं उतरे।18 सैंपल पनीर के और 5 सैंपल दूध से बनी मिठाइयों के अनसेफ करार दिए गए।पनीर में सबसे ज्यादा मिलावटजांच में सामने आया कि बाजार में बिक रहे पनीर में मिलावट का स्तर सबसे ज्यादा है। इसके अलावा दूध से बनी मिठाइयां और घी में भी मिलावट बड़े पैमाने पर हो रही है। मिलावट के कारण स्वास्थ्य को खतराहर दूसरा सैंपल मानकों पर फेल हो रहा है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। मिलावटी पनीर और मिठाइयों के सेवन से पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ सकता है। वहीं, घी और मसालों में मिलावट से लिवर और किडनी संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं। विभाग की सख्ती और लोगों की जिम्मेदारीनोएडा के अधिकारियों के अनुसार, संदिग्ध खाद्य पदार्थों की लगातार जांच हो रही है। हालांकि, लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। पनीर, मिठाई और घी जैसे उत्पाद खरीदते समय गुणवत्ता की जांच करें और प्रतिष्ठित दुकानों से ही सामान खरीदें। (Noida Food Sample Failure) का यह बढ़ता आंकड़ा सभी के लिए चेतावनी है। पनीर और मिठाइयों की मिलावट को देखते हुए लोगों को सावधान रहना चाहिए और मिलावटी उत्पादों से दूरी बनानी चाहिए। स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जागरूक रहना और गुणवत्ता की जांच करना बेहद जरूरी है।

Contaminated Water Side Effects
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Contaminated Water Side Effects: पीने का गंदा पानी ले रहा है लोगों की जान, बढ़ते जा रहे है आंकड़े

Contaminated Water Side Effects: आजकल साफ सुथरा पानी पीने के लिए लोग अपने घरों में RO की व्यवस्था रखते हैं. लेकिन गांव जैसे क्षेत्रों में देखा जाए तो यहां पर पानी के साफ न होने की वजह से कई तरह की समस्याएं होती है. बांदा पानी पीने की वजह से व्यक्ति के शरीर में कई तरह की बीमारियां लग जाती है. गंदा पानी पीने की वजह से हैजा, पेचिस, गले की बीमारी, टाइफाइड जैसी बीमारियां पैदा हो जाती है. भारत जैसे देश की बात करें तो यहां पर बड़ी संख्या में लोग गंदा पानी पीकर बीमार पड़ रहे हैं जिसका आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है. गंदे पानी से प्रभावित हो रहे हैं लोग(Contaminated Water Side Effects)   भारत देश में गंदा पानी पीने की वजह से लोगों के बीमार पड़ने की संख्या बढ़ती जा रही है. जुलाई 2022 की बात करें तो इस दौरान आंकड़े बताते हैं की भारत में करीब 1.95 लाख बस्तियों में गंदा पानी पीने की वजह से बीमारी बढ़ी थी. साल 2019 की बात करें तो इस दौरान 23 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. भारत में हो रही है मौतें   भारत जैसे देश में कंपोजिट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर देखा जाए तो गंदा पानी पीने की वजह से हर साल 2 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. साल 2030 तक की बात करें, तो 600 मिलियन लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ सकता है. गंदे पानी की समस्या सबसे ज्यादा दिल्ली एनसीआर को प्रभावित कर रही है. क्या है गंदे पानी के साइड इफैक्ट्स   1. गंदे पानी में जो बैक्टीरिया मौजूद होते हैं वह हमारे पाचन तंत्र को इफेक्ट करते हैं। इस तरह से पेट में दर्द और उल्टी जैसी समस्या होती है.2. गंदे पानी से डायरिया और दस्त की बीमारी होती है.3. गंदे पानी से हेपिटाइटिस वायरस का खतरा बढ़ जाता है.4. गंदा पानी पीने की वजह से शिगेला बैक्टीरिया और डिसेंट्री जैसे संक्रमण की बीमारी होती है.5. गंदे पानी में हेवी मेटल मौजूद होते हैं जो हमारी किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं.6. गंदे पानी की वजह से कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है.

Disease X Alert
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Disease X Alert: WHO ने डिजीज X को लेकर किया सावधान, बढ़ते जा रहे हैं मौत के खतरे

Disease X Alert: आज दुनिया भर में एक डिजीज (Disease) का खतरा मंडराता हुआ नजर आ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने इस खतरे को लेकर अलर्ट जारी किया है. यह मामले दुनिया भर में इतनी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं कि इससे बचाव करना और इससे जागरूक होना बहुत जरूरी है. बता दे कि मंकीvपॉक्स भी एक ऐसी बीमारी रही है जो अफ्रीका में जमकर फैली है. इस बीमारी को लेकर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 7 महीने पहले ही लोगों को सावधान कर दिया था. वहीं, अफ्रीका में 140 से भी ज्यादा मरीजों की मंकीपॉक्स की वजह से मौत हो चुकी है. ज्यादा नहीं है बीमारी से जुड़ी जानकारी डिजीज एक्स एक ऐसी बीमारी है जिसे लेकर अभी कोई पूरी जानकारी सामने नहीं आई है. इस बीमारी को अभी तक किसी तरह का नाम भी नहीं दिया गया है लेकिन इस वायरस के प्रकार का बताया जा रहा है. इस बीमारी के सबसे पहले जिक्र साल 2018 में किया गया था उस समय लोगों को यह नहीं पता था कि यह क्या होती है. इस बीमारी में आपको फ्लू जैसे लक्षण ही देखने को मिलते हैं और कुछ दिन बाद यह लोगों को मौत का शिकार बना लेती है. बच्चों को बना रही है शिकार डिजीज एक जैसी बीमारी बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है. अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक यह बताया गया है कि अभी तक इस बीमारी के 386 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 200 मामले ऐसे हैं जिसमें 5 साल के बच्चों को यह बीमारी हुई है. बीमारी को लेकर यह जानकारी सामने नहीं आई है कि यह कैसे फैल रही है. क्या है बीमारी के लक्षण 1. बुखार2. सिर दर्द3. बदन दर्द4. सांस लेने में परेशानी बीमारी से कैसे करें बचाव 1. प्रभावित इलाकों पर जाने से बचें2. लक्षण दिखते ही इलाज जरूरी है3. हाथ धोकर भोजन करें4. खाने पीने पर ध्यान दें

Nutrition Tips
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Nutrition Tips: अगर आपका न्यूबॉर्न बेबी है कमजोर, तो जानें ये जरूरी हेल्दी न्यूट्रिशन टिप्स

Nutrition Tips: बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और सही विकास के लिए हेल्दी डाइट बेहद जरूरी है. उनकी उम्र के अनुसार पोषण युक्त आहार देना चाहिए ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से हो सके. जब बच्चा 6 महीने का हो जाए, तो उसे मां के दूध के अलावा भी पौष्टिक आहार देना शुरू कर देना चाहिए. इस उम्र में बच्चे को ठोस आहार जैसे दाल का पानी, चावल का पानी, मसला हुआ फल, और उबली हुई सब्जियां खिलाना फायदेमंद होता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, 6 महीने के बाद शुरू किया गया पोषण बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है. इस दौरान माता-पिता को यह भी समझना चाहिए कि एक साल के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए और क्या नहीं. बच्चे के आहार में ताजे फल, हरी सब्जियां, दूध, और अनाज शामिल करें, लेकिन नमक और चीनी की मात्रा सीमित रखें. इससे बच्चे का समग्र विकास सुनिश्चित होता है. शुरुआती 1000 दिन बच्चे के लिए अनमोल गर्भधारण से लेकर बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक के लगभग 1000 दिन, मस्तिष्क और शरीर के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. इन दिनों में सही पोषण बच्चे के भविष्य को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है. पहले छह महीनों के लिए केवल स्तनपान आवश्यक है, क्योंकि यह ऊर्जा, पोषक तत्व, प्रतिरक्षा और बेहतर पाचन के साथ बच्चे को स्वस्थ जीवन का आधार प्रदान करता है. स्तनपान संभव न हो, तो बच्चों को देसी गाय का दूध, चावल की कांजी, या रागी की खीर देना फायदेमंद हो सकता है. इसके अलावा, माता-पिता को ताजे, मौसमी और स्थानीय फलों व सब्जियों से बने घर के बने भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए. पैकेज्ड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, जैसे प्रोटीन पाउडर, डिब्बाबंद बेबी फूड, और फलों के रस से बचना चाहिए. ऐसा आहार बच्चे के विकास को अधिक पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है. बच्चों को खाने पर दें पूरा ध्यान आजकल बच्चों को खाना खिलाने के दौरान टीवी या मोबाइल पर ध्यान लगाना आम हो गया है, लेकिन यह आदत गलत है. बच्चे को खाना खिलाते समय गैजेट्स से दूर रखें ताकि उनका पूरा ध्यान भोजन पर रहे. इससे वे समझ पाएंगे कि वे क्या खा रहे हैं और खाने की आदतें बेहतर बनेंगी. बच्चों को स्थानीय, मौसमी और पारंपरिक भोजन परोसें. उनके साथ बैठकर खाएं और उन्हें सही आदतें सिखाएं. शहरी माता-पिता ताजा उपज न मिलने पर अनाज, दाल, और श्रीअन्न का उपयोग करें. बच्चों की थाली में रागी खीर, राजगिरी, चावल की कांजी, या घी-गुड़ मिला भोजन शामिल करें.

Winter Health Tips
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Winter Health Tips: सर्दियों में Vitamin D की कमी दूर करने के लिए इस समय धूप में बैठकर लें सेक

Winter Health Tips: शरीर को सही ढंग से काम करने और स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा बेहद जरूरी है. यह न केवल कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है, बल्कि हड्डियों और मांसपेशियों को भी मजबूत बनाए रखता है. विटामिन-डी की कमी से हड्डियों और मसल्स में दर्द, मूड खराब होना, और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं. सर्दियों में, जब सूरज की रोशनी कम होती है, शरीर में विटामिन-डी की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है. इस स्थिति को सुधारने के लिए धूप लेना सबसे आसान और प्राकृतिक उपाय है.   सर्दियों में कब लें धूप?   सर्दियों में विटामिन-डी पाने का सबसे सही समय सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच माना जाता है. इस समय सूर्य की किरणों में मौजूद UVB किरणें सबसे अधिक सक्रिय होती हैं, जो शरीर को विटामिन-डी का उत्पादन करने में मदद करती हैं. यह समय न केवल प्रभावी होता है, बल्कि सुरक्षित भी माना जाता है. वहीं, दोपहर 3 बजे के बाद की धूप में अधिक समय बिताना त्वचा पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है और त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है. धूप में बैठने का सही समय   धूप में बैठने का समय व्यक्ति की त्वचा के रंग पर भी निर्भर करता है हल्की रंगत वाली त्वचा वाले लोगो को 15-20 मिनट धूप में रहना पर्याप्त है. और गहरी रंगत वाली त्वचावाले लोगो को 1 घंटे या इससे अधिक समय तक धूप में बैठने की जरूरत होती है.गहरे रंग की त्वचा में अधिक मेलेनिन पाया जाता है, जो सूर्य की किरणों को अवशोषित करता है. हालांकि, मेलेनिन के कारण विटामिन-डी का उत्पादन धीमी गति से होता है, जिससे अधिक समय धूप में बिताने की जरूरत होती है. क्यों जरूरी है विटामिन-डी?   विटामिन-डी न केवल कैल्शियम को शरीर में अवशोषित करता है, बल्कि यह हड्डियों को मजबूत, मांसपेशियों को स्वस्थ और प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय बनाए रखने में भी मदद करता है. विटामिन-डी की कमी को दूर करने के लिए सर्दियों में सही समय पर धूप लेना सबसे आसान और प्रभावी तरीका है. अपनी त्वचा के अनुसार धूप में समय बिताने का ध्यान रखें और इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें, ताकि विटामिन-डी की कमी को प्रभावी ढंग से दूर किया जा सके.

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