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Modi 3.0
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Modi 3.0 : आतंकवाद का एक-एक देश करेगा निंदा.. भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर अमेरिका ने दी टिप्पणी

Modi 3.0 : 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से पाकिस्तान और भारत के बीच संबंधों में गिरावट देखी गई है. इस बीच अब भारत-पाकिस्तान के संबंधों को लेकर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल की ओर से एक टिप्पणी आई है. उन्होंने कहा है कि हमें उम्मीद है कि दुनिया भर के देश आतंकवाद की निंदा जरूर करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम किसी भी देश का अपने पड़ोसी के साथ अधिक सकारात्मक संबंध बनाने का स्वागत करते हैं. वहीं भारत का उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान से लगातार संबंध तो खराब हो रहे हैं. भारतीय प्रधानमंत्री मोदी अपने बयान में पहले ही कह चुके हैं कि वह पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते. पीएम मोदी के इसी पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध वाले बयान का जवाब देते हुए अमेरिका के प्रधान उप प्रवक्ता पटेल ने कहा की दुनिया का कोई भी देश आतंकवाद का विरोध जरूर करेगा. पटेल से प्रेस ब्रीफिंग के दौरान यह भी पूछा गया कि भारत और पाकिस्तान के संबंधों के बीच अमेरिका अपने आप को कहा देखता है. जिसको लेकर पटेल ने स्पष्ट किया कि वार्ता दायरा और चरित्र दोनों पड़ोसियों को मिलकर तय करना है. भारत और अमेरिका के बीच गहरे हो रहे हैं संबंध वेदांत पटेल ने भारत अमेरिका के संबंधों के बारे में भी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि भारत के साथ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है. पटेल का मानना है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों और सुरक्षा सहयोग में संबंध काफी गहरे हुए हैं. भारत अमेरिका के बीच संबंधों को मिलेगी गति – अमेरिकी रक्षा मंत्री अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भारत और अमेरिका के बीच गहरे होते संबंध की सराहना किया है. उनका कहना है कि यह रिश्ता समान दृष्टिकोण और समान मूल्यों पर आधारित है और संबंधों को मजबूत करने में न केवल गति मिलेगी बल्कि इसमें और तेजी भी आएगी.

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Ripples of War : यूक्रेन युद्ध कैसे दुनिया में नई विश्व व्यवस्था को आकार दे रहा है, 3 साल बाद क्या है रूस की स्थिति

Ripples of War :  रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है. फरवरी 2022 में जब रूस ने पहली बार यूक्रेन पर हमला किया तो माना जा रहा था कि रूस जैसा शक्तिशाली देश 2 लाख से भी कम सैनिक वाले देश यूक्रेन पर शीघ्र विजय हासिल कर लेगा. रूसी राष्ट्रपति पुतिन को उम्मीद थी कि जैसे उन्होंने 2008 में जॉर्जिया और 2014 में क्रीमिया में किया था वैसी ही जीत यूक्रेन पर भी हासिल कर लेंगे. यूक्रेन की मदद के लिए पश्चिमी देशों की ओर से सैन्य सहायता, प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय भाड़े के सैनिक भेजे गए, जिसका परिणाम रहा की रूस को भी अपने मित्रवत देशों की ओर मदद के लिए झुकना पड़ा. अमेरिका के दुश्मन देशों से रूस बढ़ा रहा है दोस्ती युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने पहले चीन से अपने रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया तो वहीं 24 साल में पहली बार पुतिन उत्तर कोरिया के दौरे पर गए. जहां उन्होंने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात की. यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के पश्चात रूस उन देशों के आगे अपने दोस्ती के हाथ फैला रहा है जिन देशों का अमेरिका के साथ तनाव चल रहा है. रूस यूक्रेन के बीच शुरू हुआ युद्ध अब केवल दो देशों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इस युद्ध की वजह से दुनिया तीन धड़ों में बटनी शुरू हो गई है. कई देश यूक्रेन के पक्ष में है तो कई देश रूस के सहयोग में. भारत जैसे कई देश अभी भी निष्पक्ष बने हुए हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध में पश्चिम की रणनीति क्या है रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन को टिके रहने के लिए आर्थिक सहायता के साथ-साथ सैन्य सहायता भी पश्चिमी देशों की ओर से पहुंचाई जा रही है. इसी वर्ष 2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होना है. जिसमें एक बार पुनः बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबला होने वाला है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव का असर यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता पर भी देखने को मिल सकता है. प्रतिबंधों का रूस पर प्रभाव रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए यूक्रेन युद्ध के बाद कई तरीके के प्रतिबंध लगाए गए. यूरोप के देशों ने रूस से आने वाली ऊर्जा की खरीदारी में कटौती की. लेकिन रूस ने इन देशों को छोड़कर भारत चीन और ब्राजील जैसी बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को भारी छूट पर कच्चे तेल की सप्लाई शुरू कर दिया. इतना ही नहीं इन कच्चे तेलों की सप्लाई के लिए रूस ने खुद की शिपिंग जहाज का एक बेड़ा भी इकट्ठा कर लिया. रूस डॉलर की जगह अन्य मुद्राओं की ओर रुख करने लगा. मुख्य रूप से रूस ने चीनी मुद्रा युआन को अपनाया. रूस यूक्रेन युद्ध का विश्व पर प्रभाव युद्ध शुरू होने के बाद रूस के दो पड़ोसी देश स्वीडन और फिनलैंड अपनी सुरक्षाओं को मजबूती देने के लिए नाटो में शामिल हो गए. रूस कई वर्षों से यूरोप के देशों के साथ अपने आर्थिक संबंध मजबूत बनाने की कोशिश में लगा था जो इस युद्ध की वजह से अब टूट चुका है. रूस का उसके पड़ोसी देशों पर पकड़ कमजोर हो रही है. इस युद्ध की वजह से रूस के कई पड़ोसी देश नाटो में शामिल होने की कतार में खड़े हैं.

Lok Sabha speech
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Lok Sabha speech :18 वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन 264 नवनिर्वाचित सांसद लेगे शपथ

Lok Sabha speech : 18 वीं लोकसभा का पहल सत्र 24 जून से शुरू हुआ था जिसमे 280 नवनिर्वाचित सांसदों ने शपथ लिया था।वही 25 जून को शेष 264 नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेंगे फिर 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा।देखा जाए तो इस सत्र में सभी सांसदों का शपथ,लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव तथा बजट पेश होना है।वही इस सत्र के शुरू होने से पहले ही विपक्ष की तैयारियों को देखकर ऐसा लग रहा है कि सत्र काफी हंगामेदार रहने वाला है।इस समय मजबूत विपक्ष नीट पेपर लीक,रेल हादसों समेत कई मुद्दों पर सरकार को रोकने का प्रयास करेगी। जेपी नड्डा को मिली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा उर्फ जेपी नड्डा नरेंद्र मोदी की तीसरी बार सरकार बनने पर उनके मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। जहां पर उनको केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तथा रसायन और उर्वरक मंत्रालय का भार सौपा गया है।जेपी नड्डा गुजरात राज्य से राज्यसभा के सदस्य हैं।जेपी नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी नेता माने जाते हैं।भारतीय जनता पार्टी के सन 2019 से 2020 तक कार्यकारी अध्यक्ष तथा 2020 में पूर्ण रूप से पार्टी अध्यक्ष बने थे।मोदी सरकार के फेज टू में जेपी नड्डा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं।मोदी सरकार के फेज 3 में उनको केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ ही साथ रसायन एवम उर्वरक मंत्रालय भी मिला हुआ है।पार्टी के द्वारा जेपी नड्डा को राज्यसभा में सदन का नेता जैसा महत्वपूर्ण पद दिया गया है।वे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का स्थान लेंगे।क्योंकि इस बार केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल लोकसभा के सदस्य हैं। कौन होता है सदन का नेता राज्यसभा में सदन नेता का पद सभापति तथा उपसभापति के बाद में आता है अर्थात यह राज्यसभा में तीसरे नंबर का महत्वपूर्ण पद होता है। वैसे राज्यसभा में नेता सदन का पद प्रधानमंत्री का होता है यदि वे राज्यसभा के सदस्य हुए तो यदि वे राज्यसभा के सदस्य नही होते तो हैं तो वे अपने मंत्री मंडल से किसी मंत्री को या किसी राज्यसभा सदस्य को भी नेता सदन नियुक्त कर सकते हैं। सदन के नेता की जिम्मेदारी क्या नेता सदन का काम राज्यसभा को सही ढंग से चलाने के लिए पक्ष तथा विपक्ष के बीच सेतु का कार्य करता है।जो सदन में सत्ताधारी दल तथा विपक्षी दलों की मांगों को सदन में रखता है। नेता सदन को हमेशा राज्यसभा में बैठने के लिए पहली कुर्सी दी जाती हैं।ताकि वह पक्ष,विपक्ष,मंत्रिमंडल तथा पीठासीन अधिकारियों के टच में बना रहे। राज्यसभा के सभापति या उपसभापति नेता सदन से लगभग सभी राज्यसभा की कार्यवाही चलने के लिए सलाह लेता है।जैसे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के लिए दिन व समय,सदन की कार्यवाही में सदस्यों के बोलने का समय आदि सदन के नेता की सलाह पर ही होता है।

National Doctors day 2024
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National Doctors day 2024 : 1 जुलाई को भारत में क्यों मनाया जाता है चिकित्सक दिवस, क्या है इसका इतिहास और थीम

National Doctors day 2024 : जिंदगी दबे पांव कब इतनी तेज़ी से दौड़ जाती है कि हमे पता ही नही चलता कि उम्र कब ढलान पर आ गई. ये नई नई पनपती बीमारियों की प्रभाव होता है. जब शरीर से सांस उखड़ने लगे तो डॉक्टर ही नया जीवन देने का काम करते हैं. इसलिए प्रतिवर्ष 1 जुलाई को पूरे भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (Doctors day 2024) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को हमारे जीवन में डॉक्टर्स की क्या अहमियत है इसे बताने के लिए समर्पित किया जाता है. जब भी बीमारी हमारे शरीर से दोस्ती करने के लिए हाथ आगे बढ़ाती है तो वह डॉक्टर ही होते हैं जो इस दोस्ती का सबसे बड़ा विलेन बनकर सामने आते हैं. प्रतिदिन न जाने कितने लोगों को डॉक्टर की वजह से नया जीवन मिलता है. इसीलिए हमारे समाज में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है. हर साल नई नई बीमारियां हमारे शरीर में घुसने की कोशिश करती हैं लेकिन डॉक्टर इन बीमारियों को बाहर निकालने का काम करते हैं. चिकित्सक दिवस को मनाकर डॉक्टर के प्रति सम्मान वक्त करने का एक तरीका है. क्या है राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का इतिहास भारत में हर साल 1 जुलाई को मशहूर चिकित्सक और बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर बीधान चंद्र रॉय की याद में चिकित्सक दिवस को मनाया जाता है. इस दिवस को भारत के नागरिक डॉक्टर के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं. इस दिवस की नीव 1991 में रखी गई थी. राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस की इस वर्ष की यह है थीम भारत में इस बार राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 2024 की थीम हीलिंग हैंड्स, केयरिंग हार्ट्स तय की गई है. यह थीम डॉक्टर के समर्पण और करुणा पर जोर देती है, जिसे वे हर दिन अपने दैनिक जीवन में अपनाते हैं. डॉक्टर बिधान चन्द्र रॉय और महात्मा गांधी जी के बीच कैसा था सम्बन्ध डॉक्टर बिधान बापू महात्मा गांधी के बहुत ही करीबी चिकित्सक रहे हैं. इन दोनों महानायकों के बीच एक बहुत मशहूर किस्सा रहा है. एक बार गांधी जी 1933 में अनशन कर रहे थे, जिससे लगातार उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा था. जैसे ही डॉक्टर बीधान को खबर मिलती है तो वह बापू के इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन गांधी जी दवा लेने से इनकार कर देते हैं, क्योंकि उस दवा का निर्माण स्वदेशी रूप से भारत में नहीं किया गया था.

Digital Detox
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Digital Detox : Unplug, Recharge, and Reconnect with Yourself in a Hyperconnected World

Digital Detox : Hey there, digital natives! Feeling overwhelmed by regular notifications, endless scrolling, and the always buzz of technology? Enter the digital detox: an opportunity to unplug, recharge, and reconnect with yourself and the whole world around you You are not the one. In this hyperconnected world, taking a break from digital electronic devices is becoming more important than ever. Let us get into why and how you can begin on a digital detox journey that refreshes your mind, body, and soul. Digital Detox Every day, we are bombarded by an abundance stream of information. From social media updates to work emails, our gadgets keep us perpetually connected. While technology has completely changed how we live and work, it has also created a sense of regular urgency. We feel too pressured to reply immediately, to stay updated, to be present 24/7. This digital overload can lead too much stress, anxiety, and sometimes burnout. The challenge is not just the number of information, but its addictive nature. Digital media platforms are designed to capture and hold our attention. Notifications trigger dopamine releases, making us desire more. Before we learn, hours have slipped away in mindless scrolling. This regular engagement with digital screens takes a toll on our mental and physical health in future. Identifying the Need for a Digital Detox So, how do you get to know if you need a digital detox? Look for these signs: You feel anxious when you are away from your mobile phones. You struggle to concentrate on your work or studies without checking your gadgets. Your sleep cycle is disrupted by late-night screen time. You find it hard to include in face-to-face conversations without checking your notifications. If any of these things sound familiar, it’s time to consider a detox. A digital detox is not about leaving technology completely. It is about finding balance. It is about taking control of your tech uses instead of letting it control you. By stepping back, you allow yourself the space to recharge and refocus. Benefits of Unplugging Unplugging from technology gives a wealth of advantages . Firstly, it helps a lot in reducing stress. Without the regular ping of notifications, you can feel comfortable and enjoy the moment. You will find yourself more available and mindful, able to be fully involved with your nearby people and experiences. Secondly, a digital detox can help in improving your sleep. The blue light rays emitted by screens interfere with your body’s natural sleep cycle. By lessening screen time, especially before bed, you can elevate the quality of your sleep cycle. Better sleep means good mood, energy, and whole health. Additionally, unplugging increases productivity and innovation. Without the distractions of your electronic devices, you can concentrate more deeply on important tasks. This concentrated effort leads to good-quality work and critical thinking. You might find that your amazing ideas come when you are away from your digital screens. Moreover, a digital detox helps you reconnect with yourself and other people. In the absence of digital distractions, you have more time for introspection and personal development. You can include them in meaningful conversations and establish stronger relationships. Real-world interactions become richer and more satisfying. Planning Your Digital Detox Ready to take the plunge? Here’s how to create a successful digital detox. Begin by setting clear goals. What do you desire to achieve? Whether it’s lessening stress, satisfying sleep, or reconnecting with loved ones, having a specific goal helps you stay motivated. However, decide on the duration of your detox. It could be a day, a weekend, or even a full week. Select a timeframe that feels manageable. If your idea of a full detox feels overwhelming, begin with small steps. Designate tech-free periods or zones in your day. Update your friends and family members about your plans. This not only sets expectations but also gives accountability. Let them know how they can reach you in urgent emergencies. Consider setting an auto-reply for your important emails and messages to update others that you are on a digital detox. Recognize activities to fill your time. Plan outings, read favotie books, try a new hobby, or simply spend time outside. The important thing is to include activities that do not include screens. Rediscover the happiness of analogue experiences. Overcoming Challenges Begining on a digital detox is not without difficult challenges. The starting urge to check your phone can be strong. You might feel disconnected or out of the loop. It is essential to be patient with yourself and know that these feelings are temporary. To overcome these obstacles, establish a supportive environment. Avoid temptations by turning off notifications and placing your gadgets out of sight. Involve in activities that fully absorb your attention. Physical activities, such as hiking or yoga, are great options as they keep you focused and present. Mindfulness practices also help a lot. Meditation and deep breathing exercises can decrease anxiety and help you stay centered. Whenever you feel the urge to check your phones, make sure to take a few deep breaths and bring your attention back to the current moment. Remember, the goal is to build a healthier relationship with technology, not to remove it. It’s okay to ease back into your digital life gradually. The insights and habits you form during your detox can help you in maintaining balance moving forward. Reconnecting with Yourself One of the most profound advantages of a digital detox is the opportunity to reconnect with yourself. Without the regular distraction of screens, you have the time and personal space for introspection. You can focus on your goals, values, and aspirations. You might rediscover passions and interests that have been ignored because of digital distractions. Journaling can be a powerful hobby during this time. Writing down your thoughts and shared experiences can give clearance and insight. It is the best way to process your emotions and track your progression level. You might be astonished at the depth of insight that comes from simply putting pen

United Nations Security Council
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United Nations Security Council : रूस ने संभाली UNSC की अध्यक्षता जुलाई में होगी तीन बड़ी बैठकें, क्या पुतिन जायंगे अमेरिका

United Nations Security Council : यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और पश्चिम देशों के मध्य बढ़ते तनाव के बीच मास्को ने जुलाई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की अध्यक्षता संभाल ली है. रूस की ही अध्यक्षता में इसी महीने यूएनएससी (UNSC) के अंदर मध्य पूर्व में उत्पन्न हुए संकट, नए वैश्विक सुरक्षा समीकरण और साथ ही एससीओ (SCO) के मुद्दों पर चर्चा होनी है. सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी है. हर महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता एक देश से दूसरे देश को हस्तांतरित की जाती है. जून 2024 में दक्षिण कोरिया सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष रहा था और इस महीने रूस दक्षिण कोरिया से अध्यक्षता ले रहा है. रूस इन तीन मुद्दों पर करेगा बैठक युनाइटेड नेशन में रूस के स्थाई प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया रूसी न्यूज़ एजेंसी आरआईए से बताया है कि मास्को अपनी अध्यक्षता में तीन प्रमुख कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा है, जिसमें वैश्विक सुरक्षा समीकरण पर चर्चा, संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय संगठन पर चर्चा और रूस- यूक्रेन युद्ध पर चर्चा शामिल है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस का नेतृत्व रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव द्वारा किए जाने की उम्मीद है. हालांकि रूसी अधिकारियों ने बैठकों में भाग लेने के लिए अमेरिकी वीजा जारी करने पर भी संदेह जताया है. सभी देश कर रहे समर्थन सुरक्षा परिषद यूनाइटेड नेशन का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साल 1945 में हुआ था.मौजूदा समय में यूनाइटेड नेशन में पांच स्थाई सदस्य हैं, जिनमें अमेरिका ब्रिटेन रूस फ्रांस और चीन शामिल हैं. भारत भी लगातार यूनाइटेड नेशन की स्थाई सदस्यता ग्रहण करने की आवाज़ उठा रहा है. चीन के अलावा यूनाइटेड नेशन के सभी स्थाई देश भारत को समर्थन दे रहे हैं लेकिन चीन कभी नहीं चाहता है कि भारत यूनाइटेड नेशन का स्थाई सदस्य बने. चीन हर बार अपने वीटो का उपयोग करके भारत के प्रस्ताव को निरस्त कर देता है.

Bharatiya Nyaya Sanhita
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Bharatiya Nyaya Sanhita : नए कानून के तहत पहला मुकदमा दिल्ली में दर्ज,जानें किसने दर्ज करवाया

Bharatiya Nyaya Sanhita : भारतीय न्याय संहिता 2023 आज से यानी की एक जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू हो चुकी हैं।जो कि कई सालों पहले बने कानून की जगह लेगा। नए कानून के लागू होते ही आज सोमवार की सुबह पहला मुकदमा दिल्ली राज्य के कमला मार्केट थाने के उपनिरीक्षक कार्तिक मीणा ने एक रेहड़ी दुकानदार के ऊपर लिखवाया है। एसआई कार्तिक मीणा के अनुसार वह अपने क्षेत्र नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे डीलक्स शौचालय के पास पहुंचे तो एक व्यक्ति आम रास्ते में अपनी दुकान खुले हुए था जिसमे वह पानी,बीड़ी,सिगरेट आदि रखे हुए था जिस वजह से लोगों को वहां से निकले में दिक्कत हो रही थी।जिसको देखकर उपनिरीक्षक ने रेहड़ी वाले को आम रास्ते से दुकान हटाने के कहा तो दुकानदार ने अपनी मजबूरी बताकर वहां से चला गया।इसके बाद SI ने थाने में आकर आरोपी रेहड़ी के ऊपर केस फाइन किया।आरोपी रेहड़ी वाले का नाम पंकज कुमार है जो कि बिहार राज्य के बाढ़ निवासी हैं। एक जुलाई से देशभर में तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होगे जो आईपीसी,सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेगे। अब क्या होगा नया कानून  FIR,जांच और सुनवाई के लिए अनिवार्य समय-सीमा तय की गई है।अब सुनवाई के 45 दिनों के भीतर फ़ैसला देना होगा, शिकायत के तीन दिन के भीतर FIR दर्ज करनी होगी। FIR अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के माध्यम से दर्ज की जाएगी।ये प्रोग्राम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के तहत काम करता है।सीसीटीएनएस में एक-एक बेहतर अपग्रेड किया गया है,अब भारत के लोगों को किसी भी पुलिस थाने में जाने की जरूरत नहीं है वे E -FIR करवा सकते हैं और नए कानून के अनुसार देश के किसी भी कोने से बैठकर E -FIR कर सकता है।वही प्रथम दृष्टया मामला किसी भी थाने से दर्ज किया जा सकता है चाहे वह मामला उस थाना क्षेत्र में आता हो या न आता हो। पहले केवल 15 दिन की पुलिस रिमांड दी जा सकती थी। लेकिन अब 60 या 90 दिन तक दी जा सकती है।अब नए कानून के अनुसार भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को ख़तरे में डालने वाले कृत्य को एक नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है।इस तरह के अपराध को जो पहले राजद्रोह था उसको हटा दिया गया है ।इसमें किस तरह की सज़ा दी जा सकती है, इसकी विस्तृत परिभाषा दी गई है। कौन से कानून में हुआ बदलाव छोटे संगठित अपराधों समेत सभी संगठित अपराध में तीन साल की सज़ा का प्रवाधान है।इससे पहले राज्यों के पास इसे लेकर अलग-अलग क़ानून थे। वही अब शादी का झूठा वादा करके सेक्स करने पर इस अपराध को जघन्य अपराध मानते हुए दस साल की सजा दी जाएगी। व्याभिचार और धारा 377, जिसका इस्तेमाल समलैंगिक यौन संबंधों पर मुक़दमा चलाने के लिए किया जाता था,इसे अब हटा दिया गया है।लेकिन कर्नाटक सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि 377 को पूरी तरह हटाना सही नहीं है,क्योंकि इस धारा का प्रयोग अप्राकृतिक सेक्स जैसे अपराधों में किया जाता रहा है। नए कानून के अनुसार अब किसी भी तरह की जांच पड़ताल में फॉरेंसिक साक्ष्य जरूरी हो गया है। सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग, जैसे खोज और बरामदगी की रिकॉर्डिंग, सभी पूछताछ और सुनवाई ऑनलाइन मोड में करना। नए कानून के अनुसार दया याचिका केवल आरोपी ही दाखिल कर सकता है।जबकि पहले गैर सरकारी संस्था भी कर सकती थी।  

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