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Ajab Gajab Shadi
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Ajab Gajab Shadi: जयमाला पहनाई, सिंदूर लगाया फिर 7 फेरों से पहले अचानक दूल्हा मंडप पर गिरा… दुल्हनिया बोली- शादी कैंसिल

Ajab Gajab Shadi: झारखंड (Jharkhand) राज्य के देवघर जिले के मोहनपुर क्षेत्र के घोरमारा में एक अनोखी शादी का मामला सामने आया है, जहां कड़ाके की ठंड और शीतलहर ने एक जोड़े के सपनों को चकनाचूर कर दिया हैं. इस दिलचस्प घटना में दुल्हे की कंपकंपाती हालत ने ना केवल शादी रुकवा दी बल्कि दुल्हन ने भी शादी से इनकार कर दिया. यह घटना उस समय घटी जब दूल्हा जिसका नाम अर्णव तथा दुल्हन अंकिता की विवाह की रस्में चल रही थी।वर पक्ष तथा वधु पक्ष ने आपसी सहमति से एक निजी गार्डन में शादी का इंतजाम किया था. दूल्हे को लगाए इंजेक्शन   दूल्हे के बेहोश हो जाने पर एक स्थानीय डॉक्टर को भी बुलाया गया. डाक्टर ने आकर दूल्हे को स्लाइन देकर ठंड से बचाव वाला इंजेक्शन लगाया तब जाकर करीब एक से डेढ़ घंटे बाद दूल्हे को होश आ पाया. मंडप में दूल्हा फिर से बैठने को तैयार हुआ, लेकिन दुल्हन ने फेरे लेने से इनकार कर शादी को तोड़ दी. दुल्हन ने कहा कि पक्का दूल्हे को कोई बीमारी है. तभी मंडप में गिरा है। और अब मैं इससे शादी नहीं करूंगी। पहले तो दूल्हा तथा अन्य नाते रिश्तेदार वाले दुल्हन को समझने लगे और कहने लगे कि शादी मत तोड़ो. लेकिन दुल्हन अपनी बात पर अड़ी रही तो दोनों पक्षों में विवाद बढ़ गया. हंगामे में सुबह के 5 बज गए. वापस लौटी बारात(Ajab Gajab Shadi)   जब मामला नहीं बना तो कुछ लोगों ने मोहनपुर थाना पुलिस को पूरी जानकारी दी।थाना प्रभारी प्रियरंजन कुमार अपने सहयोगियों के साथ में मैरिज गार्डन में पहुंचे. पुलिस ने भी पहुंचकर वर तथा वधु पक्षों को समझाया बुझाया,लेकिन वधु नहीं मानी,तो वर पक्ष बारात लेकर वापस बैरंग लौट गया. दुल्हन पक्ष भी अपने घर वापस लौट गया। अब ये शादी इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.

Static Current in Body
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Static Current in Body: सर्दियों में चीजों को छूते ही क्यों लगता है करंट? जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

Static Current in Body: सर्दियों के मौसम में अक्सर लोगों को किसी इंसान या चीज को छूते ही हल्का करंट जैसा महसूस होता है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी(Static Electricity) कहते हैं. ठंड के मौसम में हवा में नमी कम हो जाती है, जिससे हमारे शरीर पर स्थिर चार्ज स्टैटिक चार्ज(static electricity) जमा हो जाता है. जब हम किसी धातु, इंसान या अन्य सतह को छूते हैं, तो यह चार्ज डिस्चार्ज होता है, और हमें झटका जैसा महसूस होता है. इसका मतलब यह नहीं कि हमारे शरीर में बिजली है, बल्कि यह एक भौतिक प्रक्रिया है जो सामान्य और अस्थायी होती है. इस वजह से लगता है करंट (Static Current in Body) हम सभी ने बचपन में पढ़ा है कि सभी चीजें परमाणु (Atom) से बनी होती हैं, जो इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन जैसे कणों से मिलकर बनते हैं. प्रोटॉन में पॉजिटिव (+) चार्ज, इलेक्ट्रॉन में नेगेटिव (-) चार्ज, और न्यूट्रॉन में कोई चार्ज नहीं होता. हमारे शरीर में भी ये कण मौजूद होते हैं, और सामान्य स्थिति में प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे को बैलेंस रखते हैं. जब तक यह संतुलन बना रहता है, एटम स्थिर रहता है. लेकिन जब किसी कारण से इलेक्ट्रॉन्स की संख्या बढ़ जाती है, तो शरीर पर निगेटिव चार्ज जमा हो जाता है, जिससे अस्थिरता पैदा होती है. करंट लगने की प्रक्रिया जब शरीर में अतिरिक्त निगेटिव चार्ज जमा हो जाता है और हम किसी व्यक्ति या वस्तु को छूते हैं, तो ये निगेटिव इलेक्ट्रॉन्स(Negative Electrons) सामने वाले के पॉजिटिव चार्ज की ओर आकर्षित होते हैं. इस चार्ज ट्रांसफर के दौरान एक छोटा सा डिस्चार्ज होता है, जिसे हम हल्के करंट के रूप में महसूस करते हैं. इसे स्टैटिक एनर्जी कहते हैं. सर्दियों में यह ज्यादा होता है क्योंकि हवा में नमी की कमी से चार्ज लंबे समय तक शरीर पर जमा रहता है. यह प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक और सुरक्षित है. झटके से बचने के उपाय सर्दियों में स्टैटिक एनर्जी से बचने के लिए शरीर का चार्ज डिस्चार्ज करना जरूरी है. समय-समय पर अपने पैरों को नंगे जमीन से टच कराएं, ताकि शरीर में जमा अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन्स जमीन में चले जाएं. अगर जूते पहन रखे हों, तो अपनी कोहनी या हाथों को दीवार या धातु की सतह से छूते रहें। यह प्रक्रिया शरीर के चार्ज को बैलेंस करती है और करंट लगने की संभावना को काफी हद तक कम कर देती है.

Hanging Dead Bodies
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Hanging Dead Bodies: इस देश में लटकाए जाते हैं शव, वजह उड़ा देगी आपकी होश

Hanging Dead Bodies: दुनिया में कई ऐसे देश है जहां पर शव(Dead Bodies) को लेकर अपने-अपने नियम बनाए गए हैं. एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनके धर्म के अनुसार रीति रिवाज के साथ शव को दफनाया या जलाया जाता है. लेकिन कई ऐसे देश है जहां पर मृत्यु के बाद(Hanging Dead Bodies) दाह संस्कार नहीं किया जाता बल्कि उन्हें लटकाया जाता है. इस्लाम धर्म में शव को दफनाया जाता है. पारसी धर्म में शव को टावर ऑफ़ साइलेंस में रखा जाता है. वहीं, दुनिया में एक ऐसा देश भी है जो शवों को लटकाता है. फिलीपींस में रीति रिवाज(Hanging Dead Bodies)   दुनिया भर में ऐसे कई देश है जहां पर एक इंसान की मृत्यु के बाद शव को रीति रिवाज के तरीके से दाह संस्कार होता है. मृत्यु के बाद अलग-अलग तरीके से अंतिम संस्कार किया जाता है. हिंदू धर्म में शव को जलाया जाता है ईसाई और मुस्लिम में दफनाया जाता है. वही, फिलिपींस में जनजाति लोग व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनके शव को लटका देते हैं। फिलिपींस के एक इगोरोट लोग ऐसा करते हैं. इतनी पुरानी है यह परंपरा   फिलीपींस जैसे देश में बसा हुआ गांव सगाडा है जहां पर यह परंपरा लागू की गई है. यह परंपरा दो हजार साल पुरानी है. व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद शवों इगोरोट लोग एक ताबूत की नक्काशी में बंद करके लटका देते हैं. इस तरह के ताबूत को चट्टान के किनारे बांध दिया जाता है और बड़ी कील का इस्तेमाल करके लटकाया जाता है. क्यों निभाते हैं परंपरा   इस परंपरा को निभाने के पीछे दो अलग-अलग राय हैं. इगोरोट लोग अपने रिश्तेदारों के शवों को हवा में लटकते हैं क्योंकि वह आत्मा के करीब रह सके. वहीं, दूसरी वजह यह है की जाति के बुजुर्गों को जमीन में दफन होने का डर था. वह यहां दफन नहीं होना चाहते थे वह ऐसा चाहते थे की उन्हें ऐसी जगह पर रखा जाए जहां पर उनकी लाश ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे. इस वजह से इस नियम का पालन किया जाता है.

Quality Education in India
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Quality Education in India: अब यूट्यूब से पढ़ेंगे एनसीईआरटी के बच्चे, गूगल और एनसीईआरटी के बीच हुआ समझौता

Quality Education in India: Youtube ने भारतीय छात्रों को आसान तरीके से शिक्षा देने के लिए एनसीआरटी के साथ एक साझेदारी किया है. एनसीआरटी अल्फाबेट के स्वामित्व वाले वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म के साथ मिलकर नए चैनल लॉन्च करेगा जो कक्षा 1 से 12वीं तक के छात्रों के लिए तैयार की गई सामग्री तक रास्ता बना देगा. इस बीच, यूट्यूब आईआईटी सर्टिफाईड करने के विकल्प के साथ, कोर्सों को पढ़ाने के लिए नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी एन्हांस्ड लर्निंग (NPTEL) के साथ भी काम करेगा. 12वीं तक बच्चों को होगा फायदा मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म का कहना है कि वह भारत में कई YouTube चैनल लॉन्च करने के लिए NCERT के साथ काम कर रहा है, जिसे देश के दूरदराज के इलाकों में सीखने की पहुँच बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कंपनी के अनुसार, NCERT ऐसे चैनल पेश करेगा जो “ग्रेड 1 से 12 तक के पाठ्यक्रम से जुड़े होंगे. 29 भाषाओं में होगी उपलब्ध Googal ने बताया कि एनसीआरटी के द्वारा बनाए गए इस नए चैनल में 29 भारतीय भाषाए उपलब्ध होगे. हालांकि कंपनी के द्वारा अभी तक इन भारतीय भाषाओं की सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है. IIT में प्रवेश भारत में टॉप रैंकिंग हासिल करने वाले छात्र ही पा पाते है लेकिन ये संस्थान IIT सिस्टम से बाहर के लोगों को भी नॉलेज तक पहुँच प्रदान कर रहे हैं. यूट्यूब ने देश में 50 प्रमाणित पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए एनपीटीईएल के साथ साझेदारी की है. Google की स्ट्रीमिंग साइट YouTube ने क्रिएटर्स को बेहतर एजुकेशन एक्सपीरियंस देने में मदद करने के लिए 2022 में भारत में सबसे पहले कोर्स शुरू किए. कंपनी ने बताया कि AI का उपयोग करके, हम एक वीडियो में शामिल कॉन्सेप्ट की पहचान करते हैं और जीव विज्ञान, भौतिकी और रसायन विज्ञान जैसे विषयों में उन कॉन्सेप्ट के वेब से परिभाषाएं दे सकते हैं. हम वीडियो की ट्रांसक्रिप्ट और अन्य संबंधित वीडियो मेटाडेटा के आधार पर Google के नॉलेज ग्राफ से डेफिनेशन और इमेज पेश करते हैं.

Who Funds Indian Ambassadors Salaries
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Who Funds Indian Ambassadors Salaries: भारतीय राजदूतों की सैलरी कौन देता है? जानें वेतन तय होने का तरीका

Who Funds Indian Ambassadors Salaries: भारतीय राजदूत(Indian Ambassador), जो विभिन्न देशों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश की नीतियों और संबंधों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन राजदूतों की सैलरी कौन देता है और इसे तय करने का आधार क्या होता है? भारतीय राजदूतों को उनकी सैलरी भारत सरकार द्वारा दी जाती है, जो केंद्रीय बजट के तहत आवंटित की जाती है. आपको बता दे यह वेतन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के माध्यम से तय होता है और इसमें विभिन्न भत्ते शामिल होते हैं, जैसे कि रहने, यात्रा, और अन्य सुविधाएं. राजदूतों का वेतन उनकी पदस्थापना के स्थान, जिम्मेदारियों, और उस देश के जीवनयापन की लागत को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है. इन नीतियों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राजदूत भारत के हितों की प्रभावी रूप से रक्षा और प्रचार कर सकें. क्या-क्या मिलती हैं सुविधाएं? भारतीय राजदूतों को न केवल प्रतिष्ठित पद प्राप्त होता है, बल्कि उनके लिए कई सुविधाएं भी सुनिश्चित की जाती हैं. विदेश में तैनात राजदूतों को भारत के विदेश मंत्रालय से वेतन मिलता है, जिसमें मूल वेतन के साथ-साथ आकर्षक विदेशी भत्ता भी शामिल होता है. यह भत्ता महंगाई भत्ते की तुलना में कई गुना अधिक होता है, जो उनके जीवनयापन और कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है. इसके अतिरिक्त, उन्हें मुफ्त आवास(Free Accommodation) की सुविधा भी दी जाती है, जो अक्सर भव्य और उनके पद की गरिमा के अनुकूल होता है. राजदूतों का औसत वेतन 1,00,000 से 2,00,000 रुपये प्रति माह के बीच होता है. वहीं, भारत में काम करने वाले राजदूतों का औसत वेतन 25,143 रुपये प्रति माह तक हो सकता है. कुल मिलाकर, राजदूतों को उनकी जिम्मेदारियों और पद की महत्वता को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त सुविधाएं दी जाती हैं, जिससे वे देश का प्रभावी प्रतिनिधित्व कर सकें. राजदूत अपने देश का विदेशों में प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे उच्चस्तरीय राजनयिक होते हैं, जिनका मुख्य काम अपने देश के हितों की रक्षा और प्रचार करना होता है. वे मेजबान देश की सरकार के साथ संवाद स्थापित करके दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाते हैं. इसके तहत राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, और व्यापारिक मुद्दों पर बातचीत शामिल होती है. राजदूत न केवल अपने देश की नीतियों को मेजबान देश में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और समझ को बढ़ावा देने के लिए भी काम करते हैं. साथ ही, वे अपने नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अंतरराष्ट्रीय विवादों(international disputes)  को हल करने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने और द्विपक्षीय समझौतों पर बातचीत करने में राजदूतों का योगदान बेहद अहम होता है. उनकी भूमिका उनके देश की वैश्विक स्थिति को मजबूत बनाने में मदद करती है.

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