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Nutrition Tips: अगर आपका न्यूबॉर्न बेबी है कमजोर, तो जानें ये जरूरी हेल्दी न्यूट्रिशन टिप्स

Nutrition Tips
Nutrition Tips: बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और सही विकास के लिए हेल्दी डाइट बेहद जरूरी है. उनकी उम्र के अनुसार पोषण युक्त आहार देना चाहिए ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से हो सके. जब बच्चा 6 महीने का हो जाए, तो उसे मां के दूध के अलावा भी पौष्टिक आहार देना शुरू कर देना चाहिए. इस उम्र में बच्चे को ठोस आहार जैसे दाल का पानी, चावल का पानी, मसला हुआ फल, और उबली हुई सब्जियां खिलाना फायदेमंद होता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, 6 महीने के बाद शुरू किया गया पोषण बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है.

 

इस दौरान माता-पिता को यह भी समझना चाहिए कि एक साल के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए और क्या नहीं. बच्चे के आहार में ताजे फल, हरी सब्जियां, दूध, और अनाज शामिल करें, लेकिन नमक और चीनी की मात्रा सीमित रखें. इससे बच्चे का समग्र विकास सुनिश्चित होता है.

शुरुआती 1000 दिन बच्चे के लिए अनमोल

 

गर्भधारण से लेकर बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक के लगभग 1000 दिन, मस्तिष्क और शरीर के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. इन दिनों में सही पोषण बच्चे के भविष्य को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है. पहले छह महीनों के लिए केवल स्तनपान आवश्यक है, क्योंकि यह ऊर्जा, पोषक तत्व, प्रतिरक्षा और बेहतर पाचन के साथ बच्चे को स्वस्थ जीवन का आधार प्रदान करता है.

स्तनपान संभव न हो, तो बच्चों को देसी गाय का दूध, चावल की कांजी, या रागी की खीर देना फायदेमंद हो सकता है. इसके अलावा, माता-पिता को ताजे, मौसमी और स्थानीय फलों व सब्जियों से बने घर के बने भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए. पैकेज्ड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, जैसे प्रोटीन पाउडर, डिब्बाबंद बेबी फूड, और फलों के रस से बचना चाहिए. ऐसा आहार बच्चे के विकास को अधिक पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है.

बच्चों को खाने पर दें पूरा ध्यान

 

आजकल बच्चों को खाना खिलाने के दौरान टीवी या मोबाइल पर ध्यान लगाना आम हो गया है, लेकिन यह आदत गलत है. बच्चे को खाना खिलाते समय गैजेट्स से दूर रखें ताकि उनका पूरा ध्यान भोजन पर रहे. इससे वे समझ पाएंगे कि वे क्या खा रहे हैं और खाने की आदतें बेहतर बनेंगी. बच्चों को स्थानीय, मौसमी और पारंपरिक भोजन परोसें. उनके साथ बैठकर खाएं और उन्हें सही आदतें सिखाएं. शहरी माता-पिता ताजा उपज न मिलने पर अनाज, दाल, और श्रीअन्न का उपयोग करें. बच्चों की थाली में रागी खीर, राजगिरी, चावल की कांजी, या घी-गुड़ मिला भोजन शामिल करें.

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