Ashadha Amavasya 2024 : सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में व्याप्त आर्थिक अस्थिरता से भी निजात मिलती है।इस दिन पूजा जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है और पितरों का भी तर्पण और पिंड़दान किया जाता है।
कब है आषाढ़ अमावस्या
हिंदू पंचांग के अनुसार , इस साल आषाढ़ अमावस्या 5 जुलाई, शुक्रवार को है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इस दिन सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। अपने पूर्वजों को तर्पण करें। गंगा स्नान और दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मान्यता है कि अमावस्या के दिन शुभ कार्यों की मनाही है। अमावस्या के दिन कोई भी मांगलिक कार्य जैसे- मुंडन, गृह प्रवेश और शादी जैसे कार्यों को करने से भी बचना चाहिए। कहते हैं कि अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और इस दिन यदि उनका विधि-विधान से तर्पण किया जाए तो वह प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं ।
अमावस्या के दिन ध्यान देने योग्य बातें
आषाढ़ अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 08 मिनट से लेकर 04 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। पूजा करने के बाद दान करें। अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी में जाकर नहाएं। अगर ऐसा करना आसान नहीं है, तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल ड़ालकर नहा लें।
चूंकि अमावस्या तिथि मुख्यतः पितरों को समर्पित होती है, इसलिए इस दिन मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. – अमावस्या के दिन नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए. इस दिन ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
करें ये उपाय
पितृ दोष के उपाय
इसके लिए पीपल पेड़ को जल का अर्घ्य देने से पितृ दोष दूर होता है। अगर आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आषाढ़ अमावस्या पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करें। इसके बाद नदी या सरोवर में अंजलि यानी हथेली में काले तिल और गंगाजल लेकर तीन बार दक्षिण दिशा में मुखकर पितरों का तर्पण करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
गुरुड़ पुराण में निहित है कि तीन पीढ़ी के पितरों का तर्पण किया जाता है। इसके लिए तीन बार पितरों का जल का अर्घ्य दें। इस समय पितृ से सुख-समृद्धि की कामना करें। साथ ही जीवन में आने वाली बलाओं से रक्षा करने की याचना करें। आषाढ़ अमावस्या पर स्नान-ध्यान के बाद पितरों का जल का अर्घ्य दें। इस समय पितृ चालीसा, कवच और स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद पशु-पक्षी को भोजन दें। सनातन धर्म में दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इसके लिए आषाढ़ अमावस्या पर पूजा-पाठ, जप-तप करने के बाद अपनी आर्थिक स्थिति के हिसाब से ही दान-पुण्य करें। दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। आप चावल, नमक, गेंहू, दूध, दही, काले तिल,वस्त्र बाकि चीजों का दान भी कर सकते हैं ।