Bharatiya Nyaya Sanhita : भारतीय न्याय संहिता 2023 आज से यानी की एक जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू हो चुकी हैं।जो कि कई सालों पहले बने कानून की जगह लेगा। नए कानून के लागू होते ही आज सोमवार की सुबह पहला मुकदमा दिल्ली राज्य के कमला मार्केट थाने के उपनिरीक्षक कार्तिक मीणा ने एक रेहड़ी दुकानदार के ऊपर लिखवाया है। एसआई कार्तिक मीणा के अनुसार वह अपने क्षेत्र नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे डीलक्स शौचालय के पास पहुंचे तो एक व्यक्ति आम रास्ते में अपनी दुकान खुले हुए था जिसमे वह पानी,बीड़ी,सिगरेट आदि रखे हुए था जिस वजह से लोगों को वहां से निकले में दिक्कत हो रही थी।जिसको देखकर उपनिरीक्षक ने रेहड़ी वाले को आम रास्ते से दुकान हटाने के कहा तो दुकानदार ने अपनी मजबूरी बताकर वहां से चला गया।इसके बाद SI ने थाने में आकर आरोपी रेहड़ी के ऊपर केस फाइन किया।आरोपी रेहड़ी वाले का नाम पंकज कुमार है जो कि बिहार राज्य के बाढ़ निवासी हैं। एक जुलाई से देशभर में तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होगे जो आईपीसी,सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेगे।
अब क्या होगा नया कानून
FIR,जांच और सुनवाई के लिए अनिवार्य समय-सीमा तय की गई है।अब सुनवाई के 45 दिनों के भीतर फ़ैसला देना होगा, शिकायत के तीन दिन के भीतर FIR दर्ज करनी होगी। FIR अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के माध्यम से दर्ज की जाएगी।ये प्रोग्राम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के तहत काम करता है।सीसीटीएनएस में एक-एक बेहतर अपग्रेड किया गया है,अब भारत के लोगों को किसी भी पुलिस थाने में जाने की जरूरत नहीं है वे E -FIR करवा सकते हैं और नए कानून के अनुसार देश के किसी भी कोने से बैठकर E -FIR कर सकता है।वही प्रथम दृष्टया मामला किसी भी थाने से दर्ज किया जा सकता है चाहे वह मामला उस थाना क्षेत्र में आता हो या न आता हो। पहले केवल 15 दिन की पुलिस रिमांड दी जा सकती थी। लेकिन अब 60 या 90 दिन तक दी जा सकती है।अब नए कानून के अनुसार भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को ख़तरे में डालने वाले कृत्य को एक नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है।इस तरह के अपराध को जो पहले राजद्रोह था उसको हटा दिया गया है ।इसमें किस तरह की सज़ा दी जा सकती है, इसकी विस्तृत परिभाषा दी गई है।
कौन से कानून में हुआ बदलाव
छोटे संगठित अपराधों समेत सभी संगठित अपराध में तीन साल की सज़ा का प्रवाधान है।इससे पहले राज्यों के पास इसे लेकर अलग-अलग क़ानून थे। वही अब शादी का झूठा वादा करके सेक्स करने पर इस अपराध को जघन्य अपराध मानते हुए दस साल की सजा दी जाएगी। व्याभिचार और धारा 377, जिसका इस्तेमाल समलैंगिक यौन संबंधों पर मुक़दमा चलाने के लिए किया जाता था,इसे अब हटा दिया गया है।लेकिन कर्नाटक सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि 377 को पूरी तरह हटाना सही नहीं है,क्योंकि इस धारा का प्रयोग अप्राकृतिक सेक्स जैसे अपराधों में किया जाता रहा है।
- नए कानून के अनुसार अब किसी भी तरह की जांच पड़ताल में फॉरेंसिक साक्ष्य जरूरी हो गया है।
- सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग, जैसे खोज और बरामदगी की रिकॉर्डिंग, सभी पूछताछ और सुनवाई ऑनलाइन मोड में करना।
- नए कानून के अनुसार दया याचिका केवल आरोपी ही दाखिल कर सकता है।जबकि पहले गैर सरकारी संस्था भी कर सकती थी।