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Mahakumbh Snan 2025: महाकुंभ में इस तरह होता है लोगों का कल्याण, संत के रूप में आते हैं देव

Mahakumbh Snan 2025

Mahakumbh Snan 2025: महाकुंभ (Mahakumbh 2025) का मेला एक बड़े स्तर पर आयोजित किया गया है जहां पर रोजाना लाखों की संख्या में लोग स्नान (Mahakumbh Snan 2025) कर रहे हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि महाकुंभ सनातनी धर्म के लोगों के लिए किस तरह कल्याणकारी हो सकता है. व्यक्ति किसी भी धर्म या संप्रदाय से क्यों ना हो महाकुंभमें स्नान के बाद सबका भला हो जाता है. कुंभ का अर्थ होता है कि एक घड़ा। बेहद मंगलकारी होता है जो जनमानस का कल्याण करता है.

क्या है कुंभ का मतलब

 

महाकुंभ के कलश की कहानी तो आपने सुनी ही होगी जब अमृत की चार बूंद प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरी थी. ऐसे में महाकाश में बृहस्पति ग्रह राशि मंगलकारी साबित होता है. ऐसे ही कुंभ कहा जाता है. कुंभ के भाव को जन्म कल्याणकारी भाव से भी देखा जाता है.

इन जगहों पर होता है कुंभ का आयोजन(Mahakumbh Snan 2025)

 

पुराणों में महाकुंभ का जिक्र किया गया है. महाकुंभ पर्व की स्थापना 12 की संख्या में किया गया है. इसमें से आठ देवलोक और चार मृत्यु लोक को विभाजित करता है. धरती पर रहने वाले मनुष्यों के पापों को कम करने के लिए महाकुंभ का विशेष महत्व होता है. हर 12 साल में प्रयागराज हरिद्वार उज्जैन और नासिक में कुंभ का आयोजन होता है. इस दौरान स्नान ध्यान पूजा पाठ किया जाता है.

भगवान के रूप में आते हैं संत

 

महाकुंभ के मेले में ऐसे देव और संत आते हैं जिन्हें बार-बार नहीं देखा जाता है. कुंभ खत्म होते ही है नागा साधु अचानक से विलुप्त भी हो जाते हैं. यह ऐसे स्थान पर चले जाते हैं इसके बारे में आज तक किसी को कुछ नहीं पता होता. ऐसा माना जाता है कि यह स्वर्ग के देवगन होते हैं जो मनुष्य को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं. उनके आशीर्वाद से मनुष्य का जीवन संवर जाता है.

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