Mokshada Ekadashi 2024: आज है मोक्षदा एकादशी(Mokshada Ekadashi) जो दिसंबर महीने कि पहली एकादशी है. यह दिन विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है और इसे विशेष रूप से आत्मिक उन्नति, पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है. मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति के पाप कर्मों का नाश होता है.
इस दिन का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि महाभारत की रणभूमि में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जो आज भी हर व्यक्ति के जीवन के लिए एक अमूल्य धरोहर है. इस एकादशी को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जो गीता के महत्व को दर्शाता है. मोक्षदा एकादशी सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसके व्रत को विशेष पुण्य प्रदान करने वाला माना जाता है.
मोक्षदा एकादशी का महत्व और व्रत कथा
मोक्षदा एकादशी का सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व है, क्योंकि यह न केवल घर-परिवार के उद्धार के लिए फायदेमंद होती है, बल्कि पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के पाप समाप्त होते हैं और उसे मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है. मोक्षदा एकादशी का व्रत परिवार की सुख-समृद्धि और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है.
आपको बता दे कि पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा वैखानस को सपना आया कि उनके पिता नरक में यातनाएं झेल रहे हैं. राजा ने पर्वत महात्मा से अपने पिता की मुक्ति का उपाय पूछा. महात्मा ने उन्हें मोक्षदा एकादशी(Mokshada Ekadashi) का व्रत करने की सलाह दी. राजा ने विधिपूर्वक व्रत किया और इसके प्रभाव से उनके पिता को मोक्ष प्राप्त हुआ। इसके साथ ही राजा को भी आशीर्वाद मिला और उनका जीवन सुखमय हो गया.
Mokshada Ekadashi 2024 के दिन करें ये काम
मोक्षदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें. पूजा स्थल की सफाई करें और भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी कि प्रतिमा स्थापित करें. भगवान को पीले फूल, अक्षत, और चंदन अर्पित करें. व्रत कथा का पाठ करें और साथ ही विष्णु चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं. इस दिन जरूरतमंदों को दान करना बेहद शुभ माना जाता है.
Mokshada Ekadashi 2024 के दिन भूलकर भी न करें ये काम
मोक्षदा एकादशी के दिन तामसिक आहार जैसे प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें. चावल और चावल से बनी चीजें खाना भी वर्जित होता है. इस दिन किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से बचें और अपशब्दों का प्रयोग न करें. इसके अलावा, साधु महात्माओं को अपने घर से खाली हाथ न जाने दें, उन्हें दान देने का विशेष महत्व है. इस दिन किये गए अच्छे कर्मों से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है