Swami Vivekananda death anniversary : स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863, कलकत्ता [अब कोलकाता] और मृत्यु आज ही के दिन 4 जुलाई, 1902, कलकत्ता के पास हुई। भारत में एक हिंदू आध्यात्मिक नेता और सुधारक के तौर पर इन्होंने देश में हुए बदलाव की नींव रखी। इन्होंने भारतीय आध्यात्मिकता को पश्चिमी भौतिक प्रगति के साथ जोड़ने का प्रयास किया, यह मानते हुए कि दोनों एक दूसरे के पूरक और पूरक हैं।
आज भारत में उन्हें उनकी पुण्यतिथि पर याद
सभी के लिए प्रेरणास्रोत बने विशेषकर युवाओं के लिए उनके योगदान को भुला पाना मुश्किल है। उनके द्वारा बोली गई बाते आज भी युवा पीढ़ी के लिए किसी विषेश प्रेरणा से कम नहीं है । उन्होंने बताया है कि जो कुछ भी आपको शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से कमजोर बनाता है, उसे जहर समझकर त्याग दें।” “स्वतंत्र होने का साहस करें, जहाँ तक आपके विचार आपको ले जाएँ, वहाँ तक जाने का साहस करें और उसे अपने जीवन में उतारने का साहस करें।” “हम वही हैं जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है; इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। विवेकानंद जी ने नैतिकता की परिभाषा देते हुए बताया है कि जो स्वार्थी है वह अनैतिक है और जो निःस्वार्थ है वह नैतिक है। विवेकानंद ने यह भी देखा कि, यदि शिक्षा को संपूर्ण मानव जाति की सेवा करनी है, तो उसके सभी आयामों में, ज्ञान की खोज एक आजीवन प्रक्रिया होगी।
पीएम मोदी ने किया पोस्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है और कहा कि “हम एक समृद्ध और प्रगतिशील समाज के उनके सपने को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं”। मोदी ने एक पोस्ट के जरिए कहा की मैं स्वामी विवेकानंद को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनकी शिक्षाएं लाखों लोगों को ताकत देती हैं। उनका गहन ज्ञान और ज्ञान की निरंतर खोज भी बहुत प्रेरक है।” उन्होंने कहा, “हम एक समृद्ध और प्रगतिशील समाज के उनके सपने को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।” स्वामी विवेकानंद का निधन 4 जुलाई, 1902 को हुआ था।