Lok Sabha : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। विधेयक का उद्देश्य राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सर्वेक्षण और अतिक्रमण हटाने से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करना है।विपक्षी दल डीएमके, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई है,वही सत्ता पक्ष के दल भाजपा और उसके सहयोगियों ने इस विधेयक का स्वागत किया है। जेडीयू और टीडीपी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि इस विधेयक के मुसलमान विरोध में नहीं है। लोकसभा में वक्फ कानून में संशोधन के लिए बिल पेश जाने के बाद चर्चा का जवाब देते हुए किरेन रिजिजू कहा कि बिल में किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया गया है।
सपा सांसद अखिलेश यादव ने विधेयक में आपत्ति जताई
लोकसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक बहुत सोची समझी राजनीति के लिए तैयार हो रहा है।
असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को मुसलमानों पर हमला
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को मुसलमानों पर हमला बताया है।उन्होंने ने कहा है कि ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। यह बिल भेदभावपूर्ण और मनमाना दोनों तरह का है। जेडीयू समेत एनडीए के सहयोगियों ने बिल का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य पारदर्शिता लाना है। बिल के विरोध में एनसीपी- एससीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि उन्होंने सरकार से मांग किया है कि वे इस विधेयक को पूरी तरह से वापस ले या फिर इसे स्थायी समिति के पास भेज दें।
यह संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ
कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करते हुए कहा कि यह बिल संविधान पर एक मौलिक हमला है। इस बिल के माध्यम से वे यह प्रावधान कर रहे हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे। उन्होंने इसे यह धर्म की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया। विधेयक का उद्देश्य केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है। यह विधेयक 18 फरवरी 2014 को राज्यसभा में पेश किया गया था।
रेलवे विभाग और रक्षा मंत्रालय के बाद रियल एस्टेट का तीसरा सबसे बड़ा मालिक
देश में 30 वक्फ बोर्ड हैं जो आठ लाख एकड़ से अधिक की संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं। यह उन्हें रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद रियल एस्टेट का तीसरा सबसे बड़ा मालिक बनाता है। विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों के गठन का प्रस्ताव है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व होगा। इसके अलावा, प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, वक्फ संपत्तियों से होने वाली सारी आय को दान पर खर्च करना होगा।विधेयक में प्रस्ताव है कि जिला कलेक्टर यह तय करेगा कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या सरकारी भूमि। इसमें बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड के निर्माण का भी प्रस्ताव है। मसौदा कानून मुस्लिम समुदायों के बीच शिया, सुन्नी, बोहरा, आगखानी और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान करता है।