Abhay Mudra : भगवान शिव की पूजा करने से कल्याणकारी फलों की प्राप्ति होती है हिंदू धर्म में शिव पूजन विशेष माना जाता है। भोलेनाथ की पूजा करने से सभी संकटों का नाश हो जाता है और परिवार में खुशहाली बनी रहती है। भगवान शंकर की पूजा करने को लेकर यदि मानता है कि वह अभय मुद्रा का स्वरूप है इसलिए उनके इस रूप की पूरी विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। बता दें कि, भगवान शिव की अभय मुद्रा की चर्चा न केवल धार्मिक दृष्टि से हो रही है बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी की जा रही है। हाल ही में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने संसद भवन में इस मुद्रा के बारे में जिक्र किया।
क्या है अभय मुद्रा ?
भगवान शिव की अभय मुद्रा सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है और यह शुभ होता है। भगवान शिव, गुरु नानक देव, ईसा मसीह, भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी को धारण करते देखा गया है। इस मुद्रा को करते समय दाहिना हाथ कंधे की ऊंचाई के बराबर उठाया जाता है और हथेली को बाहर की तरफ उंगलियों को सीधा रखते हुए दिखाया जाता है। वही बायां हाथ गोद में ही रखा जाता है इस तरह की मुद्रा का प्रयोग ज्यादातर आशीर्वाद देने के लिए किया जाता है।
अभय मुद्रा का मतलब और लाभ
भगवान शिव की अभय मुद्रा का मतलब यह होता है कि ‘निर्भय’ यानी कि भाई से मुक्त। भगवान शिव इस मुद्रा से भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आते हैं इस दौरान उनकी यह मुद्रा प्रसन्नता से भरपूर मानी जाती है। इतना ही नहीं जो भक्त इस मुद्रा का पालन करते हैं उनके जीवन से अंधकार दूर हो जाता है। इसके अलावा बुराई और अज्ञानता को पीछे छोड़कर व्यक्ति विजय प्राप्त करता है।