India Russia Relations : भारतीय प्रधानमंत्री तीसरी बार देश की सत्ता संभालने के बाद 8 जुलाई को रूस पहुच सकते हैं, जहां पर उनकी मुलाकात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होगी. इस मुलाकात को दुनिया की सबसे बड़ी मुलाकातों में से एक माना जा रहा है. दुनिया में भारत एकलौता ऐसा देश है जो बीते कुछ सालों में अमेरिका से अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है तो वहीं भारत ने रूस से भी अपने पुराने संबंधों को पहले जैसे ही मजबूत रखा है.
पश्चिमी देशों का प्रभाव भारत की हितों पर कभी नही पड़ा है. भारत बिना किसी देश के दबाव में आए स्वतंत्र रूप से फैसले लेता आया है. जिसकी एक सबसे बड़ी वजह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति है, भारत कभी भी किसी भी देश के गुट में नही रहा है. पिछले वर्ष पीएम मोदी अमेरिका स्टेट विजिट के लिए गए तो अब रूस जाने की तैयारी में हैं.
रूस में स्थित भारत के राजदूत वेंकटेश वर्मा ने द हिन्दू से बातचीत में कहा, ‘ कोरोना और तेजी से बदलते अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप की वजह से भारत और रूस के बीच हर साल होने वाला वार्षिक शिखर सम्मेलन पर विराम लग गया था. अब जरुरी हो गया है कि दोनों देशों के बीच सम्बन्धों को मजबूत बनाया जाए.
फरवरी 2022 में यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से पीएम मोदी अभी तक रूस की यात्रा पर नही गए हैं. लेकिन जब से मोदी भारत के प्रधानमंत्री के पद को ग्रहण किया है, तब से अभी तक 5 बार रूस की यात्रा कर चुके हैं. अगर पीएम मोदी के विदेशी दौर के आंकड़ों पर नजर डालें तो उन्होंने सबसे अधिक दौरा अमेरिका का किया है.
अमेरिका को सन्देश भारत बनाएगा रिश्तों में संतुलन
प्रधानमंत्री मोदी आखरी बार साल 2019 में रूस का दौरा किया था. इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ बदलाव भी देखे गए हैं. माना जा रहा है कि यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद रूस भारत के विरोधी देश चीन की खेमे में चला गया है. विशेषज्ञों का मानना है मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकता है.
यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद रूस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई बार यूनाइटेड नेशन में वोटिंग की गई लेकिन भारत हर बार वोटिंग से अपने आपको बाहर करता नजर आया है. भारत ना ही रूस का खुला समर्थन किया है ना ही रूस का विरोध किया है.
इतना ही नहीं जब अमेरिकी प्रतिबंधों के डर की वजह से दुनिया के कई देश रूस से अपने व्यावसायिक संबंध को खत्म कर रहे थे, तो उसे वक्त भी भारत ने रूस पर लगे अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों की परवाह नहीं किया और आज रूस भारत को सबसे ज्यादा कच्चा तेल बेचने वाला देश बन गया है. हालांकि अमेरिकी और यूरोपीय देशों के अंदर लगातार भारत के खिलाफ आवाज उठती रही, लेकिन भारत पर इन देशों का जरा भी असर नहीं पड़ा. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर हमेशा कहते रहे कि देश हित सबसे ऊपर है.