NATO Meeting : सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक रूप से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से गठित नाटो (Nato meeting) ने अपने 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं. नाटो संगठन का गठन 1949 में किया गया था. नाटो के 75वी वर्षगांठ पर इसके सदस्य देशों के साथ एक शिखर सम्मलेन का आयोजन किया गया है. इस शिखर सम्मलेन के जरिये नाटो की मजबूती को दुनिया के सामने प्रदर्शित किये जाने की कोशिश की जा रही है. इस संगठन के केंद्र में अमेरिका बैठा है और अमेरिका में इसी साल 5 नवम्बर को राष्ट्रपति का चुनाव भी होना है.
नाटो को पूर्ण समर्थन देने वाले बाइडेन इस बार के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के आगे कमजोर दिख रहे हैं. वहीं ट्रंप ने अपने पिछले राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान नाटो को अमेरिका के लिए एक आर्थिक बोझ बताया था. अमेरिका ही नाटो को सबसे अधिक आर्थिक मदद देता है.
इस मंगलवार से तीन दिनों के लिए राष्ट्रपति बाइडेन अपने चुनावी अभियान से इतर नाटो के शिखर सम्मलेन का नेतृत्व करेंगे. इस सम्मलेन में नाटो के 32 देश भाग लेंगे साथ ही कई अन्य देशों को इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रण भेजा गया है. जिसमें खासतौर वह देश होंगे जो चीन की बढ़ती ताकतों के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. राष्ट्रपति बाइडेन ने नाटो की बैठक में ऑस्ट्रेलिया जापान न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया को शामिल होने आग्रह किया है.
NATO रूस के आगे हो गया है बेबस
एक यूरोपीय अधिकारी के मुताबिक नाटो की बैठक में माहौल पहले की तुलना फीका हो गया है. क्योकिं रूस ने नाटो समर्थित यूक्रेन को युद्ध के मैदान में पीछे धकेल दिया है. रूस कई प्रतिबंधों के बावजूद भी आज बिलकुल राहत की स्थिति में है. इतना ही नहीं अधिकारी का यह भी कहना है कि यह बैठक बहुत सटीक समय में हो रही है. यह अच्छा समय और ख़राब समय दोनो है. अच्छा इसलिए क्योकिं यह बैठक रूस के बढ़ते दबदबे को कम करने पर मंथन करेगी. वहीं इस बैठक के लिए उपयुक्त समय ना होने के पीछे अमेरिका का चुनाव है. अतीत में पुतिन की प्रशंशा कर चुके डोनाल्ड ट्रंप इस बार के चुनाव में बढ़त पर नजर आ रहे हैं.