Rajasthan News : उदयपुर अपने इतिहास, संस्कृति, पर्यटन और इमारतों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. हरियाली अमावस्या के दिन लगने वाले मेले के लिए भी पूरी दुनिया में उदयपुर की एक विशेष पहचान है. विश्व में तो बहुत से मेले का आयोजन किया जाता है लेकिन उदयपुर में लगने वाला यह दो दिवसीय मेला अपने दूसरे दिन के लिए बहुत लोकप्रिय हो चुका है. दूसरे दिन इस मेले में केवल महिलाओं को जाने के अनुमति होती है. इस दिन महिलाएं मेले का आनंद उठाती हैं. यही नियम इस मेले को बहुत खास बना देता है. इस बार का यह मेला 17 और 18 जुलाई को आयोजित किया जायेगा.
उदय का मेला पूरे भारत में अपने खास अंदाज के लिए है लोकप्रिय
दशकों से हरियाली अमावस्या के दिन पूरे राजस्थान में दर्जनों मेलों का आयोजन किया जाता है. लेकिन महाराणा फतह सिंह के कार्यकाल के दौरान शुरू हुए उदयपुर के मेले की बात ही निराली है. इस मेले का पहली बार आयोजन 1898 में किया गया था. इस मेले में महिलाओं को विशेष अधिकार फतह सिंह के द्वारा ही प्रदान किया था. उनकी बनाई गई यह परम्परा आज तक उदयपुर के मेले में चली आ रही है.
फतह सिंह की पत्नी ने की थी मेले के आयोजन की मांग
उदयपुर में एक देवाली तालाब है जो बहुत प्रसिद्ध है. पहली बार जब महाराणा फतह सिंह अपनी पत्नी और मेवाड़ की महारानी चावड़ी के साथ देवाली तालाब घूमने गयें, तो वहां की सुन्दरता ने उनकी पत्नी के मन को मोह लिया. महारानी को लगा कि इस सुन्दरता को सभी महिलाओं को देखना चाहिए. महारानी ने देवाली के पास में एक मेले के आयोजन की मांग की और फतह सिंह मान गये. तभी से इस मेले का आयोजन किया जाने लगा और मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के आवागमन के लिए तय कर दिया गया. फ़तेह सिंह के बाद भी उदयपुर के राजा ने इस मुहीम को जारी रखा था. जो आजतक तह प्रचलन में है.