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Subhash Chandra Bose Jayanti 2025: देश को आजाद दिलाने के लिए कैसे हुआ INA का गठन, जानिए नेताजी का महत्वपूर्ण योगदान

Subhash Chandra Bose Jayanti 2025

Subhash Chandra Bose Jayanti 2025: आज 23 जनवरी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अतुलनीय योद्धाओं में से एक सुभाष चंद्र बोस जी(Subhash Chandra Bose) का जयंती पुरे देश में मनाया जा रहा है. नेताजी के नाम से मशहूर सुभाष चंद्र बॉस जी का आज 128वां जन्मदिन मनाया जा रहा है. आज देश के हर एक कोने में इनकी महानता और देश को स्वतंत्रता दिलाने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को याद किया जा रहा है.

आज के दिन हमारे युवाओं को यह बताया जाता है कि कैसे हमारे नेता जी सुभाष चंद्र बॉस ने क्रांति की लड़ाई लड़ी और हमारे देश को आजाद दिलाने में अपनी पूरी जिंदगी निकाल दी. आज के युवाओं के लिए सुभाष चंद्र बॉस एक प्रतिमा या यह कह सकते है कि वह शिक्षक है. जो हमे जिंदगी के हर एक मोड़ पर सराहना देते है. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी ब्रिटिश साम्राज्य से आज़ादी हासिल करने में लगा दी. इसके लिए उन्होंने आज़ाद हिंद फ़ौज या भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया था.

सुभाष चंद्र बॉस भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका एक एक नारा हमारे अंदर देश के प्रति प्यार और सम्म्मान जगाता है. उनका सबसे प्रसिद्ध नारा था ”तुम मुझे खून दो, और मैं तुम्हे आजादी दूंगा”. इस नारें को बोलते या सुनते ही हमारे देशवासियों में एक अलग सी ही ऊर्जा देखने को मिलती है.

नेताजी का जन्म और पढाई कहां और कैसे हुई ?(Subhash Chandra Bose Jayanti 2025)

 

नेताजी सुभाष चंद्र बॉस का जन्म 23 जनवरी 1897 (Subhash Chandra Bose Jayanti 2025) में ओडिशा के कटक शहर में हुई थी. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था जो कि एक प्रतिष्ठित वकील थे. वहीं, उनकी मां का नाम प्रभावती देवी था. बताया जाता है कि हमारे नेताजी के अंदर देशभक्ति का भाव उनकी मां से मिला है. उन्होंने अपनी स्कूली पढाई गृहनगर से पूरी करने के बाद कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया. वहां उन्होंने स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस की किताबें पढ़नी शुरू की और अपने अंदर देशभक्ति को लेकर भाव जगाया.

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Subhash Chandra Bose

उच्च शिक्षा के लिए वह इंग्लैंड चले गए. उसके बाद उन्होंने सन 1920 में इंग्लैंड में सिविल सेवा परीक्षा पास किया हालांकि जैसे ही उन्हें राष्टीय आंदोलन के बारें में पता चला जिसके बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ कर आंदोलन में शामिल हो गए. देश के स्वतंत्रता संग्राम में काम करने के दौरान वह कई बार जेल भी गए लेकिन उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और जंग लड़ते गए. उन्होंने एक अखबार भी निकाला था जिसका नाम ”स्वराज” था.

आपको बता दें, उन्होंने अपनी लड़ाई को और भी मजबूत करने के लिए जवाहरलाल नेहरू के साथ काम करना शुरू किया और कांग्रेस पार्टी के महासचिव की कुर्सी भी संभाली. उसके बाद सन 1938 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने और कई सारी योजना निकाली. उन्होंने ब्रिटिश से लड़ने के लिए आज़ाद हिंद फ़ौज का गठन किया जिसमे 45000 सैनिक शामिल थे. जिसमे भारतीय युद्ध बंदी और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में बसे भारतीय युवा शामिल थे. जिन्होंने लड़ाई के दौरान अपनी जान गवां दी.

सुभाष चंद्र बॉस अपनी लड़ाई तब तक लड़े जब तक उनकी मृत्यु न हो गई.बताया जाता है कि विमान दुर्घटना के दौरान वह काफी जल गए और 18 अगस्त 1945 को ताइवान के एक अस्पताल में अपनी आखिरी सास ली. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने में निरछावर कर दिया.

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